
उदयपुर. न ले आउट प्लान, न भू रूपांतरण। जहां मर्जी वहां खेत में लगाए मुटाम और दे दिया कॉलोनी का नाम। शहर के आस-पास यूडीए पेराफेरी के गांवों में खेतों पर इन दिनाें कॉलोनियों की फसल बेरोकटोक कट रही है। कॉलोनाइजर सरकारी नियमों को धता बताकर आवासीय भूखंड बेच चांदी कूट रहे हैं। यूडीए पेराफेरी में होने और सस्ते प्लॉट के लालच में आम लोग भी नियमों से अनजान होकर इनमें निवेश कर रहे हैं। भविष्य में होने वाले संभावित नुकसान से भी वे बेखबर हैं।
सरकार के नियमानुसार किसी भी ग्रामीण या शहरी क्षेत्र में बगैर भू रूपांतरण के कृषि भूमि का आवासीय या व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकता। भू रूपांतरण के साथ ही संबंधित भूमि का मास्टर प्लान के अनुसार ले आउट प्लान भी जरूरी है। इसके बावजूद जिम्मेदारों की आंखों के सामने खेतों में प्लॉटों की फसल बोई जा रही है। भूमि दलाल और भू माफिया किसानों को लालच देकर उनकी जमीनें खरीद रहे हैं और प्लानिंग कर प्लॉट बेच रहे हैं।
शहर से लगते भुवाणा, तितरडी, डाकन कोटडा, कलडवास, सविना खेड़ा, देबारी, उमरड़ा, बड़गांव सहित आसपास के कई गांवों और इनके आगे भी जमीनों की बगैर भू रूपांतरण व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ गई है।
कृषि भूमि पर काटी जा रही कई कॉलानियों में न पानी-बिजली का इंतजाम है और न पर्याप्त चौड़ी सड़क। पत्रिका टीम ने बुधवार को कुछ इलाकों का जायजा लिया तो देखा कि कहीं दस से पंद्रह फीट चौड़ी सड़क है तो कहीं पेयजल तक का इंतजाम नहीं। सलूम्बर रोड पर एक कॉलोनी में मिली महिला से पूछा कि यहां प्लॉट लेना है, पानी की क्या व्यवस्था है। जवाब मिला यहां तो बोरिंग ही कराना पड़ता है।
राज्य सरकार के निर्देशानुसार यूडीए या यूआइटी पेराफेरी के गांव कंट्रोल्ड बेल्ट कहलाते हैं। इनमें भू रूपांतरण एवं आवासीय व गैर आवासीय योजनाओं की मंजूरी यूडीए अथवा यूआइटी की ओर से ही दी जाती है। यदि बगैर मंजूरी कोई कार्य होता है तो संबंधित पटवारी, तहसीलदार, उपखंड अधिकारी, यूडीए, यूआइटी के अधिकारियों समेत कलक्टर तक इसके लिए जिम्मेदार होता है।
पेराफेरी एरिया को मास्टर प्लान में कंट्रोल्ड बेल्ट के रूप में चिह्नित किया जाता है। जहां कोई आवासीय, गैर आवासीय, व्यवसायिक गतिविधि बगैर मंजूरी के नहीं की जा सकती है। बगैर भू रूपांतरित एवं बिना अनुमोदित कॉलोनी या आवासीय योजना में प्लाॅट आदि लेने वाले को भविष्य में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कई बार बसी-बसाई कॉलोनियों के नक्शे बदलने पड़ जाते हैं, जिससे भूखंड के खरीदार को मुश्किल हो सकती है। ऐसे में आमजन को ऐसी जगहों पर निवेश से बचना चाहिए। वहीं इस तरह की गतिविधियों को रोकने की जिम्मेदारी पटवारी, तहसीलदार, एसडीओ से लेकर यूडीए के अधिकारियों और कलक्टर तक की होती है। - टॉपिक एक्सपर्ट ... सतीश श्रीमाली, सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक
Updated on:
29 Aug 2024 11:34 am
Published on:
29 Aug 2024 10:37 am
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