यह हुई समस्या
31 अटूबर तक रोडवेज में 31 बस सारथी थे। एक नवंबर से रोडवेज ने नियम बदला और रोजाना न्यूनतम 400 किलोमीटर की रनिंग कर दी। ऐसे में 30 शिड्यूल में बदलाव किया। बदले गए शिड्यूल पर परिचालकों ने रुचि नहीं दिखाई और इनकी संख्या घटकर 22 रह गई। पहले से कर्मचारियों की कमी थी, वहीं 9 बस सारथियों की और कमी होने से परेशानी ओर बढ़ गई।
यहां से भरपाई का प्रयास
रोडवेज प्रबंधन ने कई परिचालकों को विंडो, इटीएम और अन्य जगहों पर लगाया है। इनमें से कुछ मेडिकल अनफिट है। अचानक कर्मचारियों की कमी होने से प्रबंधन ने विंडो बंद कर वहां लगे कर्मचारियों को फिल्ड में लगा दिया। कुछ फिल्ड में जाने लगे तो कुछ मेडिकल लेकर घर बैठ गए। इससे समस्या जस की तस बनी हुई है।
यह हो रहा असर
कर्मचारियों की कमी से कई रूटों पर बसों को निरस्त किया जा रहा है। अचानक किसी कर्मचारी के अवकाश लेने से समस्या और बढ़ जाती है। ऐसे में किसी न किसी रूट की बस को निरस्त करना पड़ रहा है। इससे को भी बसों का पता नहीं चल पाता है।