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उज्जैन. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी ) विश्वविद्यालय और उद्योगों के बीच कड़ी बनने जा रहा है। इसमें विश्वविद्यालयों को उद्योगों की जरूरत के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार करना होगा। इसे लेकर कवायद हो रही है। यूजीसी का मानना है कि इससे न सिर्फ युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि उद्योगों को भी अपनी जरूरत के अनुसार युवा मिल सकेंगे, जिससे उद्योग संचालित करने में आसानी होगी। इसके लिए आयोग की एक कमेटी ने रिपोर्ट तैयार की है। इसके आधार पर विश्वविद्यालयों को उद्योगों की जरूरत के हिसाब से न सिर्फ अपने पाठ्यक्रम में बदलाव करना होगा, बल्कि इसके लिए उद्योगों से जुड़े पेशेवर लोगों को अपनी अकादमिक संरचना में शामिल भी करना होगा। उद्योगों से संबंध सुधारने के लिए विश्वविद्यालयों में टेक्नोलॉजी इनोवेशन और इंटरप्रिन्योरशिप सेल (टीआइइ सेल) बनाने की सिफारिश की गई है। यह सेल नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगी। इसके साथ यूजीसी एक कमेटी गठित करेगी। इसमें उद्योग जगत से संबंधित प्रतिष्ठित के मार्गदर्शन में काम करेगी, जिससे यूनिवर्सिटी-इंडस्ट्री लिंकेज की जरूरतें पूरी हो सकें।
व्यवसायिक संस्थान का महत्वपूर्ण रोल
उद्योगों से अच्छे संबंध बनाने के अलावा विश्वविद्यालय स्तर पर आइपीआर के रिजल्ट में बढ़ोतरी हो सकेगी। इसके लिए सरकार व व्यवसायिक संस्थान महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकते हैं। विश्वविद्यालय के प्राथमिक उद्देश्यों में से एक गुणवत्ता युक्त शिक्षा के माध्यम से विशेष रूप से उद्योग द्वारा रोजगार के लिए कुशल स्नातकों को तैयार और विकसित करना है। इसके चलते यूजीसी ने पूरा ड्रॉफ्ट जारी कर छात्र-छात्राओं सहित शिक्षकों, शोधार्थियों और संबंधित लोगों से सुझाव मांगे जाएंगे। जानकारों का कहना है कि वर्तमान में विश्वविद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम बहुत पुराने हो चुके हैं। ऐसे में उद्योगों के साथ मिलकर पाठ्यक्रम तैयार करने से छात्रों के सामने रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तो उद्योगों की भी अपनी जरूरत के अनुसार युवा मिल सकेंगे।
इनका कहना
फिलहाल कोई गाइड लाइन नहीं मिली है। भविष्य में यूजीसी के जैसे दिशा-निर्देश होगे उनका पालन किया जाएगा। शैलेंद कुमार शर्मा, कुलानुशासक, विक्रम विवि।
Published on:
16 Dec 2019 09:59 pm
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