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पश्चिमी सभ्यता में डूबते छात्रों को भारतीय संस्कारों से जोड़ रहे गुरु

उज्जैन.भारत में राष्ट्रीय शिक्षा निति 2020 की शुरुआत हो चुकी है, जिसमें मुख्य तत्व मातृभाषा में अधययन एवं भारतीय संस्कारित शिक्षा को महत्व दिया गया है। आज हमारे छात्र पश्चिमी सभ्यता में डूबकर अपने संस्कारों को भूलते जा रहे है।

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Happy Teachers day Ujjain MP

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ऐसी परिस्थिति में शिक्षक का दायित्व और अधिक बढ जाता है, क्योंकि शिक्षक को लाभ का पद या सामान्य सेवा का पद ना माना जाकर गुरुत्व दायित्व का पद माना जाता रहा है। यह युवा पीढ़ी, समाज व देश को निरंतर आगे बढ़ाने का कार्य करते हैं। गुरु संदीपनी के आश्रम व कृष्ण की शिक्षास्थली में आज भी ऐसे शिक्षक हैं, जो निस्वार्थ भाव से वुवा पीढ़ी के भविष्य को संवारने के लिए दिन रात प्रयास कर रहे हैं। यह किसी तपस्या से कम नहीं है। आइए जानते हैं, भगवान कृष्ण के गुरुकुल उज्जयिनि में शिक्षा के महत्व को बरकरार रखने वाले गुरुओं का त्याग।

एक घर ऐसा..गुरुकुल जैसा
पति-पत्नी दोनों प्राध्यापक और घर पर कोई नहीं..। रोज सुबह ताला लगाकर नौकरी बजाने वाली दंपती को छात्रों से इतना प्यार की घर की चाबी उन्हें सौंप रखी है। इसी घर में एक लाइब्रेरी है, जहां बैठकर सभी प्रकार की प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी की जा सकती है। इसके अलावा सूने घर में कीचन और खान-पान की सभी वस्तुएं छात्रों के लिए उपलब्ध रहती है, जिससे यह घर किसी गुरुकुल से कम नहीं लगता है। अब तक की गाथा पढ़कर लग रहा होगा कि यह किसी फिल्म की कहानी है, लेकिन यह हकीकत उज्जैन में डॉ. हरीश व्यास के यहां बयां हो रही है। डॉ. व्यास कालीदास गल्र्स कॉलेज में प्रोफेसर हैं। वहीं उनकी पत्नी प्रो. अलका व्यास विक्रम विश्वविद्यालय में व्याख्याता हैं। इनका मकान मतलब छात्रों का गुरुकुल उज्जैन के व्यास नगर में है, जहां से अध्ययन प्राप्त कर आस-पास गांव के प्रतिभावन विद्यार्थी अपना भविष्य गढ़ रहे हैं।

यह है डॉ. व्यास दंपत्ती की ख्याति
भारतीय संस्कार से ओत-प्रोत गुरुकल का संचालन करने वाली व्यास दंपत्ती राष्ट्रीय ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर शोध कार्य करने, पढऩे व पढ़ाने के अनुभवी हैं तथा कई बार सम्मानित किए जा चुके हैं। इन्होंने अनेक छात्र-छात्राओं का सिर्फ भविष्य ही नहीं संवारा, बल्कि उन्हें भारतीय संस्कारों से परिचय करवाते हुए अपने देश की माटी से जोडऩे का कार्य किया है। डॉ. व्यास शा. कालिदास कन्या महाविद्यालय में वनस्पतिशास्त्र के प्राध्यापक होने के साथ ही पर्यावरणविद भी हैं।

व्यास की लाइब्रेरी और इससे जुडी बातें
डॉ. व्यास ने बतायाकि जब उन्होंने अपनी शिक्षा समाप्त की, उस दौरान हिंदी माध्यम में बेहतर पुस्तकें ना होने के कारण विद्यार्थियों को समस्या का सामना करना पढ़ता था। मुख्य रूप से ग्रामीण एवं दूरस्थ विद्यार्थी की घबराहट उसे आगे बढऩे से रोकती है। यह स्वयं ऐसी ही पृष्ठभूमि से आते हैं। इसलिए ऐसे ग्रामीण प्रतिभावान ग्रामीण विद्यार्थियों के लिए 1998 में घर पर ही एक पुस्तकालय की स्थापना की। इन्होंने वैज्ञानिक एवं प्राध्यापक बनने के लिए राष्ट्रीय परीक्षा यूजीसी, सीएसआईआर नेट की तैयारी के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित करना शुरू किया। इसमें पहली सफलता नेट जेआरएफ परिक्षा शिवानी इंदुरकर ने ना सिर्फ उत्तीर्ण की बल्कि भाभा रिसर्च एटोमिक सेंटर से पीएचडी की उपाधी प्राप्त की। तब से अब तक लगभग 140 से अधिक विद्यार्थी राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक, प्राध्यापक व अधिकारी बनकर उज्जैन शहर का नाम रोशन कर रहे हैं। इस सफलता से प्रेरित होकर विभिन्न प्रतियोगिता के लिए इन बच्चों के क्लस्टर बना दिए। यहां बच्चे आपस में विचार विमर्श करके समस्याएं भी स्वयं ही हल कर लेते हैं। जब आवश्यकता होती है, तब ये डॉ. व्यास से दिशा निर्देश लेते हैं। यहां इन्हें आत्मनिर्भर होने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस आधुनिक गुरुकुल में विद्यार्थी सुबह से शाम तक अध्ययन करते हैं। पत्रिका ने कुछ पढाई करते हुए विद्यार्थियों से चर्चा की तब पता चला की इस गुरुकुल रूपी आश्रम में जाती-पांति, धर्म का कोई स्थान नहीं है। जब विद्यार्थियों से यहां के शुल्क के बारे में पूछा तो वे कहने लगे कि यहां शुल्क के नाम पर एक शर्त है। जब भी स्वयं के पैरों पर खड़े हो जाओ, अपनी क्षमता के अनुसार बच्चों को इसी प्रकार से शिक्षित करना है।

क्या कहते हैं बच्चे
व्यास की लाइब्रेरी में मौजूद छात्रा खुशबू मालवीय ने पत्रिका को बताया कि उन्हें यहां आकर पढ़ाई करना गुरुकुल आश्रम पर में रहने जैसा लगता है। वह मोजमखेडी ग्राम की रहने वाली है। एक अन्य छात्रा पूजा रायकवार कहती है की यहां पहुंचकर निराशा आशा में बदल जाती है। केना भोंसले ने कहा ये सर का नहीं हमारा घर है। इसीलिए इसका ध्यान भी हम ही रखते हैं। शा. कन्या महाविद्यालय मंदसौर में प्राध्यापिका नौरीन कुरेशी का कहना है की उन्हें विश्वास नहीं था कि वे इतनी कम उम्र में पीएससी चयनित होकर प्राध्यापिका बन जाएंगी। इसके पीछे वे डॉ. व्यास का सहयोग व आशीर्वाद मानती है।

छात्रों में क्वालिटी पैदा करने वाले डॉ. कोठारी

विज्ञान विषय के उज्जैन माधवनगर शास. उत्कृष्ट उमावि के व्याख्याता डॉ. योगेंद्र कोठारी को हरफनमौला शिक्षक के रूप में पहचान मिली है। डॉ. कोठारी छात्रों की क्वालिटी को उभारकर उनमें आत्मविश्वास बढ़ाने का काम करते हैं। विज्ञान एवं रसायन विज्ञान विषय के व्याख्याता डॉ. कोठारी ने अपनी अध्यापन शैली से अब तक दर्जनों बच्चों को ऊंचे आहदों तक पहुंचाया है। सरल और सहज स्वभाव के शिक्षक कोठारी अर्थ के मोह से दूर हैं। उन्हें अपने विद्यार्थियों के ओहदों में ही अपनी सफलता देखती है। सरकारी स्कूल में अच्छी शिक्षा देने वाले शिक्षक कोठारी ने विद्यार्थियों की शैक्षणिक समस्याओं को दूर करने के लिए अपने घर के दवाजे भी खोल रखे हैं। उनका कहना है कि यह निशुल्क सेवा है, जो उन्हें अपने परिवार से संस्कार में मिली है।

डॉ. कोठारी के विद्यार्थी और उनकी सफलता
- गौरव पंड्या, वर्ष 2006 पास आउट, सेंटर फॉर एडवांस्ड कंप्यूटिंग, बैंगलोर से शुरुआत, वर्तमान में एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेस, बैंगलोर में कार्यरत
- राहुल शर्मा, वर्ष 2006 पास आउट, टीसीएस मुंबई से शुरुआत, 5 वर्ष अमेरिका में सेवाएं दी। वर्तमान में टीसीएस मुंबई में कार्यरत। राहुल के अनुसार, कोठारी सर ने स्कूल में विज्ञान और रसायन शास्त्र पढ़ाया और उनके विचारों ने मुझे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बढऩे के लिए प्रेरित किया। विज्ञान मेले के दौरान उनका मार्गदर्शन मेरे लिए अधिक तर्कसंगत रूप से सोचने और विज्ञान के प्रति झुकाव रखने में सहायक था।
- प्राची टटावत, वर्ष 2017 में पास आउट, वर्तमान में शासकीय स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय, रतलाम से एमबीबीएस कर रही है। प्राची ने बताया कि उनके क्लास टीचर डॉ. योगेंद्र सर ने उन्हें रसायन शास्र का मार्गदर्शन दिया। वे हमेशा मेरे आदर्श शिक्षक रहेंगे।
- पमिता सेठिया, टीसीएस हैदराबाद में शुरुआत, वर्तमान में कनाडा में बैंकिंग सेक्टर में कार्यरत
- मोहित पांडेय, वर्ष 2012 में पास आउट, आइआइटी कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की और वर्तमान में डिजाइन के क्षेत्र में पीएचडी कर रहे हैं।
- अभिषेक चौहान, वर्ष 2012 में पास आउट, आइआइटी गुवाहाटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पढाई की।
- अक्षत जोशी, वर्ष 2020 में पास आउट, वर्तमान में मेडिकल कॉलेज, भोपाल से एमबीबीएस कर रहे हैं।

शिक्षक कोठारी का परिचय
डॉ. योगेंद्र कुमार पिता खेमचंद कोठारी
व्याख्याता, शासकीय उत्कृष्ट उमावि, माधवनगर उज्जैन
अध्यापन विषय- विज्ञान एवं रसायन विज्ञान
अनुभव- 34 वर्ष

कोठारी की उपलब्धियां
- वर्ष 1996-97 में रमन विज्ञान लोकप्रियता शिक्षक पुरस्कार
- वर्ष 2001 में 'इनोवेटिव साइंस टीचर्स अवार्डÓ - वर्ष 2008 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय से राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान
- वर्ष 2013 में सर्वश्रेष्ठ रसायन विज्ञान शिक्षक पुरस्कार
- वर्ष 2013 में मध्यप्रदेश विज्ञान प्रतिभा सम्मान - वर्ष 2016 में पत्रिका शिक्षक उत्कृष्टता पुरस्कार, पत्रिका समाचार पत्र समूह
- वर्ष 2016 में आउटस्टैंडिंग साइंस टीचर्स प्राइज
- वर्ष 2019 में सर्टिफिकेट ऑफ एप्प्रेसिअशन
- वर्ष 2021 में सर्टिफिकेट ऑफ एप्प्रेसिअशन
- वर्ष 2022 में राष्ट्रीय आईसीटी पुरस्कार

एजुकेशनल टूल्स के साथ वीडियो
डॉ. कोठारी के यूट्यूब चैनल पर 544 रसायन विज्ञान एवं विज्ञान विषय के वीडियो उपलब्ध हैं। उज्जैन, प्रदेश ही नहीं देशभर के विद्यार्थियों ने इसका लाभ थ्योरी एवं प्रैक्टिकल सीखने में किया है। इसमें आपने शिक्षण को बेहतर बनाने के लिए एजुकेशनल टूल्स का इस्तेमाल किया है।