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पढऩा कठिन पर जीवन की राह के लिए आसान है यह

आज गणित के प्रति नई पीढ़ी का रुझान कम हो रहा है। बच्चों में कठिन परिश्रम की ललक और धैर्य की कमी इसका एक बड़ा कारण हैं। इसे पढऩा भले कठिन पर यह जीवन की राह को बहुत आसान बना सकता हैं।

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It is hard to read but easy for the way of life

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उज्जैन. गणित न केवल परीक्षा का बेहतर स्कोरिंग विषय है, साथ ही विविध क्षेत्र में इस विषय के साथ अनेक स्कोप हैं। इसके बाद भी गणित के प्रति नई पीढ़ी का रुझान कम हो रहा है। जानकारों का कहना हैं कि इसके लिए सिस्टम का तो दोष है ही, बच्चों में कठिन परिश्रम की ललक और धैर्य की कमी भी एक बड़ा कारण हैं। गणित के क्षेत्र में जाने वालों की कमी नहीं है। आवश्यकता इस बात कि है कि प्रतिभाओं की पहचान कर प्रोत्साहित करने की है। गणित के प्रति नई पीढ़ी का रुझान कम हो रहा है। जो इंजीनियरिंग या आईटी सेक्टर में जाने की चाहत में यह विषय पढ़ भी रहे हैं तो उनमें से ज्यादातर का ज्ञान काम चलाऊ स्तर तक ही सीमित है। इसके पीछे कई कारण हैं। पहला तो यही कि गणित दूसरे विषयों से इतर एक निश्चित रीति और सूत्रों पर आधारित है। इसके लिए समय देना आवश्यक हैं। नई पीढ़ी में इसकी कमी हैं। गणित एक प्रैक्टिस सब्जेक्ट है। इसके लिए बच्चों या छात्रों को अधिक ध्यान देने की जरुरत है,पर वर्तमान दौरान में यह नहीं कर पा रहें है।
गणित से डर की वजह
जानकारों के अनुसार गणित से डर की वजह कई वजह हैं। इसके साथ बच्चों में कठिन परिश्रम और धैर्य की कमी हैं। दूसरे लगभग सभी विषय ऐसे हैं जिन्हें समझ न आने पर रटा जा सकता है, लेकिन गणित में ऐसा संभव नहीं है। इसे समझना जरूरी है। इसमें सवाल की हर स्टेप गणित के सूत्रों या सिद्धांतों से ही आगे बढ़ती है। इसलिए इसकी हर स्टेप में उलझन होती है। बच्चे इससे दूर भागते हैं। गणित में कंप्यूटिंग और डिस्क्रीट गणित सहित कई नई ब्रांच शामिल होने से स्टूडेंट पर बोझ बढ़ रहा है। डिफरेंशियल, इंटीग्रल और मैट्रिक्स जैसे कई टॉपिक बारहवीं क्लास में जाकर ही पढ़ाए जाते हैं, इससे स्टूडेंट अंजान होते हैं। लिहाजा इन्हें समझने में परेशानी होती है।इसलिए बढ़ी मुश्किलगणित के जानकारों के मुताबिक हमारी शिक्षा पद्धति में तमाम खामियां हैं। समस्या को सतही तौर पर खत्म किया जा रहा है। गणित को रोचक अंदाज में पढ़ाने का सिस्टम खत्म हो गया है। सरकारी स्कूलों में जैसे-तैसे बच्चे मिडिल स्कूल तक पहुंचते हैं तो टीचर उन पर ध्यान नहीं देते। वे सिर्फ कोर्स पूरा करने का टारगेट लेकर चलते हैं। तब तक स्टूडेंट को गणित इतनी कठिन लगने लगती है कि वह 10वीं पास करके इसे छोडऩे का मन बना चुका होता है। जब सिर्फ कोर्स पूरा कराने का टारगेट लेकर चलेगा है तो वह बच्चों को सवाल पूछने की आजादी नहीं देता।
हर जगह मौजूद है गणित
२५ वर्षों से गणित अध्यापन में सक्रिय जुबैर अहमद कुरैशी का कहना है कि बीते कुछ वर्षो में गणित को लेकर बच्चों में रूचि कम हुई हैं,जबकि हर क्षेत्र और विषय में गणित हर जगह मौजूद हैं। यदि युवा के पास गणित की शैक्षणिक योग्यता है,तो वह किसी भी क्षेत्र में रोजगार के अवसर तलाश सकता हैं। बच्चों में गिणत के प्रति भय का निकालने का कार्य शिक्षक के साथ माता-पिता को करना होगा। गणित के लिए बड़ी-बड़ी किताबों को पढऩे की आवश्यकता ही नहीं हैं। केवल समय और धैर्य के साथ मेहनत करना हैं। एक जानकारी के अनुसार सीबीएसई की 12 वीं कक्षा में पिछले चार वर्षों में 100 प्रतिशत अंक लाने वालों की संख्या करीब 26 प्रतिशत घटी है। इसका केवल एक कारण है बच्चों का प्रैक्टिस और सीटिंग से दूर होना हैं। यह चिंता का विषय है हमारे इतने बड़े देश में सक्षम गणितज्ञों की संख्‍या काफी कम है। पिछले तीन दशकों से ज्‍यादा गणित में प्रतिभावान युवक और युवतियों ने इस क्षेत्र में आगे कार्य नहीं किया। इससे स्‍कूल और कॉलेजों में गणित के अच्‍छे शिक्षकों में कमी हुई है। आज गणितज्ञों के पास केरियर के कई नए अवसर उपलब्‍ध हैं और हाल के वर्षों में अध्‍यापन का पेशा अपने आप में बहुत आकर्षक बन गया है।
बहुआयामी अवसर है गणित में
विक्रम विश्वविद्यालय गणित अध्ययनशाला के संदीप तिवारी का कहना है कि गणित में बहुआयामी अवसर उपलब्ध हैं। आज सबसे महत्वपूर्ण विषय है,सूचना प्रौद्योगिकी। इसमें काम करना गणित के बगैर संभव नहीं है। बिजनेस के तमाम क्षेत्रों में इंडस्ट्री की जरूरत को समझने और औद्योगिक रणनीति बनाने के लिए गणित बेहद जरूरी है। गणित को जीव विज्ञान का माइक्रोस्कोप भी माना जा सकता है। गणित को समझे बगैर मनोविज्ञान को भी न तो समझा जा सकता है। यह वैसा ही है जैसे कैप्लर के ग्रहों संबंधी नियमों के बगैर फिजिक्स के स्टूडेंट्स को सौरमंडल के बारे में बताना। स्पोट्र्स साइंस में आज किसी भी बड़ी स्पर्धा में जीतने के लिए प्रतिस्पर्धी टीम की क्षमताओं का आंकलन किया जाना जरूरी है। फैशन डिजाइनिंग में भी गणित का महत्वपूण योगदान सामने आया है। तिवारी ने बताया कि विक्रम विवि गणित अध्ययनशाला से गणित की अनेक प्रतिभाओं ने विविध क्षेत्रों में अपना हुनर दिखा हैं। अध्ययनशाला से पीएचडी करन वाले ११ शोधार्थी पीएससी से सहायक प्राध्यापक के तौर पर चयनित हुए हैं। प्रतिवर्ष गणित में ६ से ८ पीएचडी अवार्ड होती हैं। बीते 4 वर्षों के दौरान 2019 में 7 पीएचडी,2018 में 6 पीएचडी,3 एमफिल,2017 में 8 पीएचडी,5 एमफिल,2016 में 6 पीएचडी,10 एमफिल हुई है।