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नागदा स्वच्छता सर्वेक्षण में नहीं जमा पाया पैर, मिला 48वां स्थान

विकास कार्यों की वाह-वाही लूटते नहीं थकने वाले नागदा शहर को इस बार निराशा हाथ लगी है। कारण आवास व शहरी मंत्रालय द्वारा किए गए स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में नागदा शहर को प्रदेश में 48वां स्थान मिला है।

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नागदा स्वच्छता सर्वेक्षण में नहीं जमा पाया पैर, मिला 48वां स्थान

नागदा स्वच्छता सर्वेक्षण में नहीं जमा पाया पैर, मिला 48वां स्थान

तीन चरणों में की गई रैकिंग, अंतिम का परिणाम बाकी
नागदा। विकास कार्यों की वाह-वाही लूटते नहीं थकने वाले नागदा शहर को इस बार निराशा हाथ लगी है। कारण आवास व शहरी मंत्रालय द्वारा किए गए स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में नागदा शहर को प्रदेश में 48वां स्थान मिला है। दरअसल इस बार तीन चरणों में की गई स्वच्छता रैकिंग के आधार पर नगर पालिकाओं और नगर निगमों को रैंक दिए गए है। जिसके अनुसार प्रथम चरण में नागदा देश में 237 व वहीं मध्य प्रदेश में 24 वें स्थान पर रहा। दूसरी ओर दूसरे चरण में नागदा देश में 378 वें और प्रदेश में 48 वें स्थान पर रहा। अंतिम चरण का परिणाम जनवरी 2020 के प्रथम सप्ताह में आएगा। खास बात यह है कि, यह पहली बार हो रहा है कि, स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणाम को वर्ष में एक बार ही घोषित कर परिणाम जारी किए जाते थे। लेकिन इस बार आवास और शहरी मंत्रालय द्वारा तीन चरणों के आधार पर नगर पालिकाओं को रैकिंग दी गई है।
सीएमओ और अध्यक्ष में रहा विवाद
नागदा नगर पालिका के स्वच्छता सर्वेक्षण की रैकिंग में पिछडऩे का मुख्य कारण सीएमओ सतीश मटसेनिया और नगर पालिका अध्यक्ष अशोक मालवीय के बीच विवाद रहा है। दोनों के बीच चार से पांच माह तक मतभेद रहा। जिसके चलते सीएमओ सतीश मटसेनिया स्वच्छता सर्वेक्षण के अंतर्गत किए जाने वाले कार्यों पर ठीक प्रकार से ध्यान नहीं दे सके।
अध्यक्ष ने भी नहीं दिखाई रुचि
स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर नगर पालिका अध्यक्ष अशोक मालवीय द्वारा भी वर्ष 2019 में रुचि नहीं दिखाई गई। वहीं भाजपा सरकार होने के दौरान अध्यक्ष मालवीय द्वारा सुबह 4 बजे उठकर सफाई कर्मचारियों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा कर उनकी एक रिपोर्ट तैयार कर संबंधित सीएमओ को देते थे। लेकिन मनमुटाव होने के कारण इस वर्ष नगर पालिका अध्यक्ष अशोक मालवीय द्वारा कर्मचारियों की मॉनिटरिंग प्रकार के किसी भी कार्य को अंजाम नहीं दिया।
नहीं लगी सकी महापुरुषों की प्रतिमाएं

स्वच्छता सर्वेक्षण के दोनों चरणों में पिछडऩे का कारण यह भी है कि, नगर पालिका द्वारा शहर के प्रमुख चौराहों पर महापुरुषों की प्रतिमा लगाया जाना सुनिश्चित किया गया था। लेकिन विवाद के चलते महापुरुषों की प्रतिमा नायन डेम स्थित नगर पालिका फिल्टर प्लांट पर पड़ी-पड़ी धूल खा रही है। यदि शहर के चयनित स्थानों पर महापुरुषों की प्रतिमा लगाई जाती तो निश्चित रुप से नागदा नगर पालिका स्वच्छता सर्वेक्षण में टॉप नगर पालिकाओं की श्रेणी में आ सकती थी।