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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय की ओर से रविवार को आयोजित पीएचडी-एमफिल प्रवेश परीक्षा को लेकर विवि प्रशासन की एक के बाद एक लापरवाही और नियमों की अनदेखी सामने आ रही है। परीक्षार्थियों को परीक्षा खत्म होने के बाद प्रश्न पत्र नहीं ले जाने दिया गया। वहीं प्राप्तांक को सार्वजनिक करने में समानता भी नहीं रखी गई। विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी और एमफिल की परीक्षा में जमकर नियमों की अनदेखी की गई। मनमानी के साथ लापरवाही भी बरती गई। नियम अनुसार किसी भी परीक्षा के बाद परीक्षार्थी को प्रश्न पत्र ले जाने की अनुमति रहती है। पीएचडी और एमफिल की प्रवेश परीक्षा में छात्रों को ओएमआर शीट के साथ प्रश्न पत्र भी दिए गए थे। परीक्षा खत्म होने के बाद सभी विद्यार्थियों से प्रश्न पत्र वापस ले लिए गए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार परीक्षा प्रारंभ होने पर ही अनेक प्रश्न पत्रों में गलती और विसंगति सामने आ गई थी। हालांकि इनका तत्काल निराकरण भी कर दिया गया, लेकिन विवि प्रशासन ने विसंगति उजागर होने के भय से परीक्षार्थियों को परीक्षा खत्म होने के बाद प्रश्न पत्र ही नहीं ले जाने दिया।
प्राप्तांक बताने में मनमानी
मूल्यांकन के बाद प्रवेश परीक्षा में शामिल परीक्षार्थियों को कितने अंक मिले हैं, यह सार्वजनिक करने में भी विवि द्वारा मनमानी की गई है। कुछ विषयों में सभी विद्यार्थियों के अंक को सार्वजनिक कर परिणाम विक्रम विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड किए हैं। अनेक विषयों की परीक्षा में केवल सफल परीक्षार्थियों के अंक जाहिर किए हैं। इससे विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है।
नकल को लेकर हंगामा, विवाद
परीक्षा के दौरान नकल का मामला भी सामने आया है। चर्चा है कि परीक्षा के दौरान प्रभावशाली छात्र द्वारा नकल का प्रयास किया जा रहा था। एक अन्य छात्र के आपत्ति लेने पर कुछ देर विवाद और हंगामा हुआ। मामले को दबा दिया गया।
आरटीआई के आवेदन
परीक्षा में अनियमितता और लापरवाही सामने आने के बाद विवि की विश्वनीयता पर सवाल खड़े होने पर अब परीक्षाथियों को भी विवि प्रशासन परीक्षा पर शंका होने लगी हैं। इसके चलते कई विद्यार्थियों ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) में आंसर शीट्स दिखाने के लिए विवि में आवेदन लगाना शुरू कर दिया है।
Published on:
11 Dec 2019 09:10 pm
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