डीसीडीसी देखता है कॉलेजों का काम
विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी कॉलेजों में धारा २८ कोड के तहत शिक्षक नियुक्ति, संबद्धता, निरंतरता के काम में डीसीडीसी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वह सभी समिति में होता है। पूर्व कुलपति एसएस पाण्डे ने वर्ष २०१५ में डीसीडीसी नागेश शिंदे की रवानगी की ओर अपने करीबी प्रो. केएन सिंह को बैठाया। इसके बाद निजी कॉलेजों में नियुक्ति और संबद्धता में जमकर धांधली हुई। खुलेआम वसूली के आरोप लगे। संबद्धता विवादों के चलते ही कुलसचिव और निजी कॉलेजों के संचालक के बीच मारपीट तक की नौबत आ आ गई।
एक दिन में १२१ नियुक्ति
विक्रम विवि प्रशासन ने धारा २८ कोर्ड के तहत आरडीगार्डी मेडिकल कॉलेज में नियुक्ति की। विवि प्रशासन द्वारा गठित एक समिति ने एक ही दिन में १२१ शिक्षकों की नियुक्ति की। इसके लिए कमेटी ने एक दिन करीब ३५० आवेदक के साक्षात्कार लिए। इसके बाद विवि की पूरी धांधली खुलकर सामने आई। विभाग की जांच में उक्त प्रकरण में पूरी प्रक्रिया नियम विरुद्ध साबित हुई। विभाग ने यह जांच रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत कर दी।
नए कुलपति ने नहीं किया बदलाव
कुलपति एसएस पाण्डे के इस्तीफे के बाद प्रो. केएन सिंह ही सबसे ज्यादा प्रकरण में उलझे। इसमें पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गणना में धांधली प्रकरण, सांसद चिंतामणि मालवीय के बेटे के नंबर ९ से १८ होना, निजी कॉलेजों की पूरी प्रक्रिया आदि शामिल हैं। इसके बाद विवि प्रशासन ने केएन सिंह को हटाने की तैयारी की, लेकिन नए कुलपति ने केएन सिंह को नहीं हटाया। इसके पीछे पुराने प्रकरणों की जांच प्रमुख कारण है, ताकि इन जांच की आंच से कोई दूसरा नहीं उलझे।
इनका कहना है
पुरानी शिकायतों और जांच का नए प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं। इस सत्र में पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से नियमों के साथ होगी।
डीके बग्गा, कुलसचिव, विक्रम विवि।