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उज्जैन

विवि संबद्धता प्रकरण की पुरानी जांच जारी, डीसीडीसी को फिर निरीक्षण की कमान

विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन ने आगामी सत्र के लिए निजी कॉलेजों को संबद्धता प्रदान करने के लिए कमेटी का गठन किया गया।

उज्जैनMay 11, 2019 / 10:01 pm

Lalit Saxena

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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन ने आगामी सत्र के लिए निजी कॉलेजों को संबद्धता प्रदान करने के लिए कमेटी का गठन किया गया। लगभग निजी कॉलेजों में कमेटी के प्रमुख की जिम्मेदारी डायरेक्टर ऑफ कॉलेज डेवलपमेंट कौंसिल (डीसीडीसी) के सौंपी गई। जिस पर अब नया विवाद शुरू हो गया। विक्रम विवि परिक्षेत्र में पिछले कई सत्रों से लगातार निजी कॉलेजों को संबद्धता और निरंतरता (पुरानी संबंद्धता को आगे बढ़ाने) में जमकर धांधली हुई। इसकी शिकायत राजभवन और उच्च शिक्षा विभाग तक पहुंची। इन प्रक्रिया में गड़बड़ी भी सामने आई। इसी के चलते कुलपति प्रो. एसएस पाण्डे को इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन डीसीडीसी के पद पर बदलाव नहीं हुआ। अब नए सत्र के लिए भी पूरी जिम्मेदारी डीसीडीसी को सौंप दी। इसे लेकर अब एनएसयूआई ने भी आपत्ति दर्ज की।

डीसीडीसी देखता है कॉलेजों का काम

विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी कॉलेजों में धारा २८ कोड के तहत शिक्षक नियुक्ति, संबद्धता, निरंतरता के काम में डीसीडीसी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वह सभी समिति में होता है। पूर्व कुलपति एसएस पाण्डे ने वर्ष २०१५ में डीसीडीसी नागेश शिंदे की रवानगी की ओर अपने करीबी प्रो. केएन सिंह को बैठाया। इसके बाद निजी कॉलेजों में नियुक्ति और संबद्धता में जमकर धांधली हुई। खुलेआम वसूली के आरोप लगे। संबद्धता विवादों के चलते ही कुलसचिव और निजी कॉलेजों के संचालक के बीच मारपीट तक की नौबत आ आ गई।

एक दिन में १२१ नियुक्ति

विक्रम विवि प्रशासन ने धारा २८ कोर्ड के तहत आरडीगार्डी मेडिकल कॉलेज में नियुक्ति की। विवि प्रशासन द्वारा गठित एक समिति ने एक ही दिन में १२१ शिक्षकों की नियुक्ति की। इसके लिए कमेटी ने एक दिन करीब ३५० आवेदक के साक्षात्कार लिए। इसके बाद विवि की पूरी धांधली खुलकर सामने आई। विभाग की जांच में उक्त प्रकरण में पूरी प्रक्रिया नियम विरुद्ध साबित हुई। विभाग ने यह जांच रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत कर दी।

नए कुलपति ने नहीं किया बदलाव

कुलपति एसएस पाण्डे के इस्तीफे के बाद प्रो. केएन सिंह ही सबसे ज्यादा प्रकरण में उलझे। इसमें पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गणना में धांधली प्रकरण, सांसद चिंतामणि मालवीय के बेटे के नंबर ९ से १८ होना, निजी कॉलेजों की पूरी प्रक्रिया आदि शामिल हैं। इसके बाद विवि प्रशासन ने केएन सिंह को हटाने की तैयारी की, लेकिन नए कुलपति ने केएन सिंह को नहीं हटाया। इसके पीछे पुराने प्रकरणों की जांच प्रमुख कारण है, ताकि इन जांच की आंच से कोई दूसरा नहीं उलझे।

इनका कहना है

पुरानी शिकायतों और जांच का नए प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं। इस सत्र में पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से नियमों के साथ होगी।

डीके बग्गा, कुलसचिव, विक्रम विवि।

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