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महाकाल मंदिर में क्या बन रहा है,जिसमें दिखेगी शिव महिमा

महाकाल के आंगन को सजाया-संवारा जा रहा हैं। स्मार्ट सिटी मृदा प्रोजेक्ट के तहत विकास और सौंदर्यीकरण के कार्य किए जा रहे हैं। इसमें शिवपुराण की महिमा/गाथा भी शामिल है। इसे करीब 130 कल्चर (मूर्तिशिल्प) के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा।

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What is being built in Mahakal temple, where Shiva's glory will be see

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उज्जैन. महाकाल मंदिर क्षेत्र में स्मार्ट सिटी मृदा (महाकाल, रूद्रसागर एकीकृत विकास दृष्टिकोण) प्रोजेक्ट के तहत विकास और सौंदर्यीकरण के कार्य किए जा रहे हैं। इसमें शिवपुराण की महिमा/गाथा भी शामिल है। इसे करीब 130 कल्चर (मूर्तिशिल्प) के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। सूरत के एक संस्थान द्वारा त्रिवेणी संग्रहालय के पास अस्थायी वर्कशॉप में मूर्तियों को आकार देना प्रारंभ कर दिया है। स्मार्ट सिटी कंपनी ने महाकाल-रूद्रसागर विकास के लिए दो चरणों की योजना तैयार की है। प्रथम चरण में 96.97 करोड़ रुपए से प्रोजेक्ट अनुरूप त्रिवेणी संग्रहालय के पास स्वागत द्वार बनवाया जाएगा। इस द्वार से महाकाल मंदिर तक 700 मीटर लंबा कॉरिडोर बनवाया जाएगा। इसके अलावा अन्य कार्य भी किए जा रहे हैं। महाकाल मंदिर का नया प्रवेश द्वार त्रिवेणी संग्रहालय के पास बनेगा। शिवपुराण एवं महाकाल के महत्व को दर्शाता महाकाल थीम पार्क बनाया जा रहा है। इसमें भगवान शिव की करीब 45 फीट ऊंची शिव की मूर्ति के साथ ही सप्तऋषि, माता पार्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय के साथ शिवपुराण के महत्व अनुसार विभिन्न पात्र की 9 से लेकर 25 फीट की १३० ये अधिक मूर्ति पुराण के विवरण अनुसार स्थापित होगी। पहले चरण में 12 कार्य अगले 18 महीनों में पूर्ण कराने की तैयारी की गई है, लेकिन इन मूर्तियों को 7 से 8 माह में बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
गुजरात का संस्थान तैयार कर रहा मूर्तियों को
शिवपुराण एवं महाकाल के महत्व को दर्शाती मूर्तियों का निर्माण गुजरात के संस्थान स्वप्ना आर्ट सूरत द्वारा किया जा रहा है। इसके निदेशक विजय पडवाल ने बताया कि वैसे तो प्रोजेक्ट का कार्य एमपी बाबरिया ज्वाइंट वेंचर डीएच पटेल एंड गायत्री इलेक्ट्रॉनिक्स फर्म द्वारा किया जा रहा है। इसमें मूर्ति निर्माण का कार्य स्वप्ना आर्ट सूरत कर रहा है। देश में खासकर गुजरात में विभिन्न स्थानों पर ७ हजार से अधिक कल्चर (मूर्तिशिल्प) स्थापित करने के बाद बाबा महाकाल की नगरी में कार्य करने का यह पहला बड़ा और महत्वपूर्ण कार्य मिला है। उन्होंने बताया कि अभी अधिकांश मूर्तिशिल्प का कार्य धार्मिक आधारित किया है और राजा महाकाल के नगर में भी धार्मिक मूर्तियों के निर्माण का अवसर मिला है। पडवाल का कहना है कि हम चाहते तो यहां स्थापित होने वाली मूर्तियों को सूरत में बनाकर भी ला सकते थे पर बाबा के आंगन/चरण में काम करने की मंशा से उज्जैन में अस्थायी वर्कशाप में काम प्रारंभ किया है।
फाइबर की होगी अधिकांश मूर्तियां
मृदा (महाकाल, रूद्रसागर एकीकृत विकास दृष्टिकोण) प्रोजेक्ट अंतर्गत इस कार्य में कई मूर्ति पत्थरों की भी होगी, पर अधिकांश फाइबर की रहेंगी। २५ से अधिक कलाकार स्वप्ना आर्ट के निदेशक पडवाल के मार्ग दर्शन में मूर्तियों को आकार देने में जुटे हुए हैं। सबसे पहले भगवान गणेश की मूर्ति तैयार कर दी गई है।

तीन चरण में होगा निर्माण

स्वप्ना आर्ट के निदेशक पडवाल ने बताया कि मूर्ति को आकार देने का काम तीन प्रमुख चरण में होता है। इसमें सबसे पहले लोहे और रस्सी की मदद से ढांचा तैयार किया जाता है। इस पर मिट्टी (क्लेवर्क) मंशा अनुरूप प्रतिमा का आकर दे कर इसके सूखने पर पीओपी लगाकर मूर्ति के आकार का सांचा बनाने के पर फायबर लगाया जाता है। पूर्ण आकार मिलने पर रंग-रोगन के बाद मूर्ति तैयार होती है। स्वप्ना आर्ट को १३० मूर्तियों का निर्माण करना है। उम्मीद है कि ७ से ८ माह में सभी प्रतिमाएं तैयार हो जाएगी। 15 मीटर ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा भी लगाई जाएगी। पास ही रूद्रसागर के किनारों पर सीढ़ीनुमा घाट बनाए जाएंगे। स्मार्ट सिटी कंपनी ने इन कामों की शुरुआत करवा दी है।