16 घंटे तक चला रहे मोटर
सोमवार सुबह 9.05 बजे पत्रिका टीम शहर से पांच किमी दूर ग्राम सांपखेड़ा में स्थित चीलर बांध पहुंची, डैम में करीब ८ फीट पानी संग्रहित है, जो पूरी गर्मी शहर की प्यास बुझाने के लिए काफी है। पिछले साल की गर्मी में यहां छतरी के नीचे नहर किनारे मोटर लगाकर पानी लिफ्ट किया जा रहा था, इस बार यहां मोटर नहीं है। सामने की तरफ नए इंटेकवेल पर कुछ लोग दिखाई दिए, पत्रिका ने वहां जाने की सोची, लेकिन वहां रास्ता नहीं था, ऐसे में बाइक उठाकर सांपखेड़ा गांव के दूसरी तरफ बेरछा रोड पहुंचे। यहां सडक़ किनारे वाटर वक्र्स तक सप्लाई के लिए इंटेकवेल बना हुआ है, यहां बड़ी पाइप लाइन डली हुई है, इसमें पानी भी चल रहा है, इसका दूसरा छोर करीब 600 मीटर दूर चीलर बांध में है। वहां तक पहुंचने के लिए पत्रिका टीम को पैदल ही चलना पड़ा। जब यहां पहुंचे तो इंटेकवेल के पास ही एक बड़ी नहर दिखाई दी, नहर के किनारे पर दो बड़े पाइप लगे हुए हैं, जो नहर के पानी के लेवल से ऊंचाई पर हैं। यहां से गुजर रहे ग्रामीण मयाराम ने बताया कि जब तालाब पूरा भरा था, तब इस पाइप से पानी बेरछा रोड के इंटेकवेल पहुंच रहा था, अब तालाब में पानी कम है, इसलिए पास वाले कुएं में दिन रात मोटर चलाई जा रही है और पानी पहुंचाया जा रहा है। पत्रिका ने नए इंटेकवेल के और करीब जाकर देखा तो पाया कि वहां मोटर चल रही है और डैम से पानी उलीचकर पाइप के माध्यम से बेरछा रोड पहुंचाया जा रहा है।
दो साल से चल रहा पानी
डैम से होकर पत्रिका टीम दोबारा बेरछा रोड वाले इंटेकवेल पहुंची,यहां तैनात कर्मचारी ने बताया कि यहां से पाइप लाइन के माध्यम से ही पानी सीधे वाटर वक्र्स पहुंचाया जा रहा है, इसके लिए दोनों तरफ की मोटर दिनभर में करीब 16 घंटे चलाई जा रही है। कर्मचारी ने बताया कि वह दो साल से यहां तैनात है, इस दौरान कभी भी यहां की मोटर बंद नहीं हुई।
वाटर वक्र्स से जुड़ रही सीधी पाइप लाइन
यहां के बाद पत्रिका टीम एबी रोड स्थित वाटर वक्र्स पहुंची, यहां पर दो कर्मचारी जल शुद्धिकरण संयंत्र पर काम करते नजर आए। इसके किनारे पर बड़ा पाइप लगा है, जिसमें से पानी फिल्टर प्लांट में जा रहा है। पूछने पर कर्मचारियों ने बताया कि बेरछा रोड के इंटेकवेल से पानी सीधा यहीं आ रहा है और छह चरण में फिल्टर होकर टंकियों में भरा रहा है। कर्मचारी ने बताया कि आप खुद ही देख लो पानी कितना साफ है, 14 फीट की गहराई होने के बावजूद नीचे तक दिखाई दे रहा है। शहर में गंदा पानी जाने का कोई और कारण हो सकता है। लेकिन यहां से शुद्ध जल सप्लाई किया जा रहा है।
इधर ग्रामीणों का कहना- दो दिन पहले तक यहीं से जा रहा था पानी
ग्राम सांपखेड़ा में चीलर बांध की नहर शुरू होती है, इसके माध्यम से पानी यहां से ठीक 700 मीटर दूर इंटेकवेल में पहुंचता है, फिर से पाइप के माध्यम से चीलर नदी और वाटर वक्र्स पहुंचता है। सुबह करीब 7.45 बजे ग्रामीण रामचरण यहां अपनी भैंसों को नहला रहे थे। पत्रिका टीम ने उनसे सवाल किया कि आज नहर में पानी कम क्यों हैं,रोज तो यहां अच्छा पानी भरा रहता है। इस पर रामचरण ने कहा कि दो दिन पहले तक नहर में पानी छोड़ा जा रहा था। आज नहर में पानी कम क्यों हैं, इसका नहीं पता, लेकिन लग रहा है कि अब यहां से पानी आगे वाले कुएं में नहीं भर रहे हैं। पत्रिका टीम ने तब उक्त नहर का मुआयना किया तो हालात काफी खराब मिले,पूरी नहर में गंदा पानी और काई जमी हुई थी, लोग नहर में कपड़े धो रहे थे, मवेशियों को स्नान करवा रहे थे। इंटेकवेल के पास की हालत भी कुछ ऐसी ही थी, हालांकि कम मात्रा में पानी नहर के माध्यम से इंटेकेवेल में जा रहा था।
यह हो सकता है गंदा पानी सप्लाई का कारण
शहर में बिछी पाइप लाइन का बरसो पुराना होना, इस कारण लाइन में भारी मात्रा में गंदगी जमने की आशंका
पाइन लाइन का बार-बार फूटना और जगह-जगह से लीकेज होगा
शहर की पेयजल टंकियों की नियमित सफाई ना होना
कई जगह पाइप लाइन नाले के पास से गुजरी है, ऐसे में लीकेज के कारण गंदा पानी पाइप में आ रहा है।
ऊंचा बना है इंटेकवेल
साल 2008 में करीब 13 करोड़ रुपए की लागत से छोटे और मझौले नगरों की शहरी अवसंरचना विकास योजना (यूआईडीएसएसएमटी) के अंतर्गत चीलर बांध पर नए इंटेकवेल निर्माण के लिए कार्य शुरू हुआ। कुछ सालों पर यह बनकर तैयार हुआ तो इसमें एक बड़ी तकनीकी खामी सामने आ गई। यह पानी के लेवल से ऊंचाई पर बना दिया गया। इस कारण यहां से पानी को लिफ्ट करना पड़ रहा है। इसमें बिजली सहित उपकरणों के रखरखाव पर अतिरिक्त खर्च हो रहा है।
इनका कहना है
चीलर बांध से पाइप लाइन के माध्यम से ही पानी वाटर वक्र्स तक लाया जा रहा है। यह प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है। वाटर वक्र्स पर भी पानी में ब्लीचिंग, फिटकरी और एलम डालकर अच्छी तरह से साफ करने के बाद ही टंकियों में भरा जा रहा है।
भूपेंद्र कुमार दीक्षित, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, शाजापुर