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उज्जैन. जिस प्रयोगशाला को प्रारंभ करने के लिए विद्यार्थियों को आंदोलन करना पड़ा वह करीब एक वर्ष से जांच के नाम पर सीलबंद है। इसी के चलते प्रयोगशाला भवन के भीतर का परिसर लावारिस स्थिति में खंडहर जैसा नजर आने लगा हैं। प्रयोगशाला बंद रहने की वजह से इंजीनियरिंग विद्यार्थी प्रयोग से वंचित हैं।
विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी संस्थान (एसओईटी) के इंजीनियरिंग विभाग की सिविल और मैकेनिकल शाखा की प्रयोगशाला को एक वर्ष पहले चोरी की घटना के बाद जांच के नाम पर सीलबंद कर दिया था। मुख्य द्वारा पर सील नहीं होने के कारण भवन परिसर में आवागमन चालू था। नतीजतन परिसर का दुरुपयोग होने लगा। इसके बाद परिसर पर भी विवि की आेर से ताला जड़ दिया था। इसके बाद से प्रयोगशाला पूरी तरह बंद थी। संदिग्ध परिस्थिति में चोरी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी संस्थान की प्रयोगशाला से करीब १ वर्ष पहले लगभग ९ लाख रुपए के उपकरण और पाट्र्स चोरी हुए हैं। इस चोरी में खास बात यह है कि न तो प्रयोगशाला का ताला टूटा था और न किसी खिड़की के कांच फूटे थे। इसके बावजूद लाखों रुपए का सामान चोरी हो गया। पुलिस ने इस मामले में प्रकरण भी दर्ज किया था। एक और महत्वपूर्ण बात यह कि उस वक्त विधानसभा चुनाव पूर्व प्रकिया के लिए इंजीनियरिंग संस्थान का अधिग्रहण किया गया था। भवन पुन: विवि को मिला तब चोरी का पता चला था। विधानसभा निर्वाचन प्रक्रिया के लिए प्रशासन को भवन देने के पहले सभी सामान का सत्यापन हुआ था।
शराब पार्टियों भी होती रहीं
चोरी की घटना की जांच के दौरान यह तथ्य भी सामने आया था कि प्रयोगशाला में शराब की पार्टियां भी होती थीं। शराब पार्टियां होने के कुछ साक्ष्य मिले थे। इस आधार पर संदेह व्यक्त किया गया था कि चोरी में विवि या संस्थान के किसी व्यक्ति का हाथ हो सकता है। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच के नाम पर भवन को सीलबंद कर दिया गया था।
फिलहाल बदहाल भवन
भवन लंबे समय से उपयोग में नहीं आने के कारण (एसओइटी) के इंजीनियरिंग विभाग की सिविल और मैकेनिकल शाखा का प्रयोगशाला भवन बदहाल हो गया है। अधिकांश खिड़कियों के कांच टूट गए हैं। मशीन और उपकरण खुले पड़े हैं। भवन के भीतर परिसर में पेड़ और घास उग चुकी है। पूरा परिसर धूल से पटा हुआ है। मशीन और उपकरण कई दिनों से बंद होने के कारण प्रयोग लायक है या इसका पता भी इनके उपयोग करने पर ही चलेगा।
ये कमियां भी हैं
- पुराना सिलेब्स अपडेट नहीं है।
- प्रयोगशाला बंद रहने से इंजीनियरिंग विभाग के विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल ज्ञान का अभाव है।
- प्रयोगशाला में टेक्नीशियन भी नहीं है।
- लाइब्रेरी में किताबों की कमी है।
- पानी की व्यवस्था भी नहीं है।
-डिप्टी डायरेक्टर का कोई प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद एक रीडर अनावश्यक तौर पर संस्थान में पदस्थ है।
साफ-सफाई की जा रही हैं
प्रयोगशाला की सील को खोल कर साफ-सफाई की जा रही है। उपकरणों का परीक्षण और संधारण कर प्रायोगिक कार्य प्रारंभ कर दिए जाएंगे।
-डॉ. उमेश सिंह, निदेशक स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी संस्थान।
Published on:
04 Dec 2019 10:18 pm
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