शरद पूर्णिमा की रात इस मंत्र का जप करने से चंद्र देव की विशेष कृपा मिलती है… ॐ चं चंद्रमस्यै नम:
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।
ॐ श्रां श्रीं
कुबेर को धन का राजा कहा जाता है। इस लोक की समस्त धन संपदा का स्वामी एकमात्र उन्हें ही बनाया गया है। अगर शरद पूर्णिमा की रात इस मंत्र का जाप करते हैं तो कुबेर प्रसन्न हो जाएंगे।
धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय दापय स्वाहा।। चंद्र देव करते हैं शीतलता की वर्षा
चंद्र देव अपनी 27 पत्नियों- रोहिणी, कृतिका आदि नक्षत्र के साथ अपनी पूरी कलाओं से पूर्ण होकर इस रात सभी लोकों पर शीतलता की वर्षा करते हैं। इस दिन इंद्र और महालक्ष्मी का पूजन करते हुए कोजागर व्रत करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है।
शरद पूर्णिमा की रात, गाय के दूध से बनी खीर या केवल दूध छत पर रखने का प्रचलन है। ऐसी मान्यता है कि चंद्र देव द्वारा बरसाई जा रहीं अमृत की बूंदें, चांदनी, खीर या दूध को अमृत से भर देती हैं। इस खीर में गाय का घी भी मिलाया जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने का विधान भी है, जिसमें उन्हें पूजा के अंत में अर्घ्य भी दिया जाता है। भोग भी भगवान को इसी रात्रि में लगाया जाता है। हेमंत ऋतु इसी दिन से ही शुरू होती है। ऐसा भी माना जाता है कि देवी लक्ष्मी के भाई चंद्रमा इस रात विधि-विधान से पूजा-पाठ करने वालों को शीघ्रता से फल देते हैं।
– इंद्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी का दीपक जलाकर उसकी गंद पुष्प आदि से पूजा करें
– ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराएं और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करें
– जागरण करें धन-संपत्ति में वृद्धि होगी
– रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करें
– मंदिर में खीर आदि दान करें
– गंगा स्नान-ध्यान के बाद गंगा घाटों पर ही दान-पुण्य करें।
शरद पूर्णिमा के महत्व का वैज्ञानिक अध्ययन भी हुआ है। इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और इसका असर जीव-जंतु सब पर पड़ता है। इस दिन चांदनी के संपर्क में रहने से व्यक्ति में अद्भुत शक्ति का संचार होता है।