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वाराणसी

रखें समय का ध्यान, कहीं बीत न जाए मुहूर्त, शरद पूर्णिमा की रात वक्त से पहले इन मंत्रों से करें पूजन, धन-धान्य से भर जाएगा घर

Sharad Purnima के दिन शुभ मुहूर्त में रात से पहले मंत्रो का जाप और पूजन करने से धन-धान्य से भर जाएगा घर

वाराणसीOct 24, 2018 / 05:18 pm

Ajay Chaturvedi

शरद पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा

वाराणसी. आश्विन शुक्ल पूर्णिमा का खास महत्व होता है। यह पूर्णिमा इस बार 24 अक्टूबर बुधवार को है। विभिन्न धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन चंद्रमा सभी सोलह कलाओं से युक्त होकर अमृत बरसाते हैं। साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए खास पूजा और व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि यह दिन इतना शुभ और सकारात्मक होता है कि छोटे से उपाय से बड़ी-बड़ी समस्याएं टल जाती हैं।
पौराणिक मान्याओं के मुताबिक माता लक्ष्मी का जन्म इसी दिन हुआ था। इस वजह से धन प्राप्ति के लिए यह दिन सबसे अच्छा माना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी और सोलह चंद्रमा की पूजा करने से अलग-अलग वरदान मिलते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित बृजभूषण दुबे ने पत्रिका को बताया कि पूर्णिमा यूं तो मंगलवार की रात 10.04 बजे ही लग चुकी है, जो बुधवार की रात 10.14 बजे तक ही रहेगी। ऐसे में भक्तों को चाहिए कि वो रात 10.14 बजे तक पूजन-अर्चन और अर्घ्यदान वगैरह की क्रिया जरूर निबटा लें। उससे पहले ही दूध या दूध से बनी खीर चंद्रमा को चढ़ा दें।
बताया जाता है कि इस दिन चांद्र दर्शन और पूजन का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। इस दिन इन्हें खुश करने के लिए भी कई उपाय किए जाते हैं। कुंडली में चंद्र की स्थिति मजबूत करनी हो या अपने मन को स्थिर बनाना हो चंद्रमा की पूजा करें। यह चंद्र मंत्र मन की शांति और शीतलता के साथ अपार धन, धान्य, संपत्ति देते हैं। साथ ही सेहत भी उत्तम रहती है।

शरद पूर्णिमा की रात इस मंत्र का जप करने से चंद्र देव की विशेष कृपा मिलती है…

ॐ चं चंद्रमस्यै नम:
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।
ॐ श्रां श्रीं


कुबेर को धन का राजा कहा जाता है। इस लोक की समस्त धन संपदा का स्वामी एकमात्र उन्हें ही बनाया गया है। अगर शरद पूर्णिमा की रात इस मंत्र का जाप करते हैं तो कुबेर प्रसन्न हो जाएंगे।
धन प्राप्ति के लिए इस मंत्र का करें जप

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये
धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय दापय स्वाहा।।

चंद्र देव करते हैं शीतलता की वर्षा
चंद्र देव अपनी 27 पत्नियों- रोहिणी, कृतिका आदि नक्षत्र के साथ अपनी पूरी कलाओं से पूर्ण होकर इस रात सभी लोकों पर शीतलता की वर्षा करते हैं। इस दिन इंद्र और महालक्ष्मी का पूजन करते हुए कोजागर व्रत करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है।
रात को छत पर रखें गाय के दूध से बनी खीर
शरद पूर्णिमा की रात, गाय के दूध से बनी खीर या केवल दूध छत पर रखने का प्रचलन है। ऐसी मान्यता है कि चंद्र देव द्वारा बरसाई जा रहीं अमृत की बूंदें, चांदनी, खीर या दूध को अमृत से भर देती हैं। इस खीर में गाय का घी भी मिलाया जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने का विधान भी है, जिसमें उन्हें पूजा के अंत में अर्घ्य भी दिया जाता है। भोग भी भगवान को इसी रात्रि में लगाया जाता है। हेमंत ऋतु इसी दिन से ही शुरू होती है। ऐसा भी माना जाता है कि देवी लक्ष्मी के भाई चंद्रमा इस रात विधि-विधान से पूजा-पाठ करने वालों को शीघ्रता से फल देते हैं।
शरद पूर्णिमा व्रत विधि
– इंद्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी का दीपक जलाकर उसकी गंद पुष्प आदि से पूजा करें
– ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराएं और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करें
– जागरण करें धन-संपत्ति में वृद्धि होगी
– रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करें
– मंदिर में खीर आदि दान करें
– गंगा स्नान-ध्यान के बाद गंगा घाटों पर ही दान-पुण्य करें।
चंद्रमा के संपर्क से होता है शक्ति का संचार
शरद पूर्णिमा के महत्व का वैज्ञानिक अध्ययन भी हुआ है। इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और इसका असर जीव-जंतु सब पर पड़ता है। इस दिन चांदनी के संपर्क में रहने से व्यक्ति में अद्भुत शक्ति का संचार होता है।

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