चीन के तिआंजिन शहर में चले रहे शंघाई सहयोग संगठन SCO समिट में एक दिलचस्प नज़ारा देखने को मिला। सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ मंच पर पहुंचे। तीनों नेताओं ने एक-दूसरे से गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाया, हल्की बातचीत भी की इस दौरान तीनो नेताओं के बीच गजब की कैमेस्ट्री देखने को मिली। ये पल कैमरों में कैद हो गया और तुरंत चर्चा का विषय बन गया।
इस बातचीत के थोड़ी देर बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कुछ तस्वीरें शेयर कीं, जिनमें वो पुतिन और शी जिनपिंग के साथ नजर आ रहे हैं। उन्होंने लिखा कि “तिआंजिन में बातचीत जारी है! SCO समिट के दौरान राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया।”
वहीं एक और तस्वीर इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल जब मोदी और पुतिन एक साथ आगे बढ़ रहे थे, उसी समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ अकेले खड़े नज़र आए। उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं गया, जिससे साफ लगा कि पाकिस्तान इस मंच पर अलग-थलग पड़ गया है। इससे पहले SCO समिट की फैमिली फोटो के दौरान भी कुछ तस्वीरें सामने आई थीं, जिनमें मोदी और शरीफ़ एक-दूसरे से काफी दूरी पर खड़े दिखाई दिए । इन तस्वीरों से साफ है कि अभी भी दोनों देशो के रिश्तों के बीच काफी तल्खी बाकी है। तस्वीरों दूरी को पूरी तरह साफ कर दिया है।
बता दें कि पीएम मोदी इस सम्मेलन में SCO की प्लेनरी बैठक को संबोधित करने वाले हैं, जहां वो क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और कनेक्टिविटी पर भारत की प्राथमिकताओं को सामने रखेंगे। इसके अलावा, पुतिन के साथ एक द्विपक्षीय बैठक भी तय है, जिसमें भारत और रूस के बीच रक्षा, ऊर्जा और रणनीतिक सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। ये सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया में काफी हलचल है। भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद रिश्ते तनावपूर्ण हैं। वहीं भारत और चीन के रिश्तों में थोड़ी नरमी आई है, लेकिन सीमा विवाद अब भी पूरी तरह सुलझा नहीं है। दूसरी तरफ, दुनियाभर में व्यापार को लेकर तनाव बढ़ा हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई देशों पर भारी टैरिफ लगा दिए है, जिसमें भारत के निर्यात पर भी 50% तक की ड्यूटी शामिल है। ऐसे में SCO समिट में भारत की सक्रिय भूमिका और तीन बड़े नेताओं मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग के बीच मेलजोल का ये पल, अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक अहम संकेत दे रहा है।