बिलासपुर. रुक जाना नहीं तू कहीं हार के, कांटों में चलकर मिलेंगे साए बहार के। गाने की इस पंक्ति को शत प्रतिशत चरितार्थ किया बीजेएस द्वारा आयोजित नि:शुल्क सेवा शिविर के पांचवें दिन पहुंचे कई दिव्यांगों ने।
भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति जयपुर एवं रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन लिमिटेड के सौजन्य से सकल जैन समाज बिलासपुर एवं श्री गुजराती समाज बिलासपुर के सहयोग आयोजित इस शिविर के पांचवें दिन स्वास्थ्य शिविर के शुभारंभ के मुख्य अतिथि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार एवं विशिष्ट अतिथि बीजेएस के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार जैन रहे।
शिविर के शुभारम्भ में भगवान महावीर स्वामी के छायाचित्र के सामने दीप प्रज्वलन के साथ-साथ बीजेएस के भाई प्रवीण कोचर ने मंगलाचरण के रूप में णमोकार मंत्र की बहुत ही मनमोहक प्रस्तुति दी।
प्रोफेसर चक्रवाल ने कहा कि भारत की आबादी का आधा प्रतिशत से भी कम जैन आबादी है लेकिन लेकिन सेवा भाव का संचार सबसे ज्यादा जैन समाज ही कर रहा है। जैन समाज के त्याग और समर्पण का इतिहास बहुत पुराना है। भारतीय जैन संघठना को इस उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्होंने अंतर्मन से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं प्रदान की।
स्वास्थ्य शिविर में होम्योपैथी के विशेषज्ञ डॉ अंशुमान जैन एवं डॉक्टर सतीश कौशिक तथा आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉक्टर राघवेंद्र सिंह ने स्वास्थ्य जांच कर परामर्श दिया। लगभग 100 लोगों ने इस स्वास्थ्य शिविर का लाभ उठाया। कवर्धा से 40 दिव्यांगों को लेकर एक बस शिविर पहुंची। इन सभी विकलांगों को जांच उपरांत आवश्यकतानुसार कृत्रिम अंग, बैसाखी, ट्राईसाईकिल, व्हीलचेयर या श्रवणयंत्र प्रदान किए जाएंगे। निस्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए बीजेएस की टीम द्वारा शिविर में सेवा दे रहे सभी चिकित्सकों का सम्मान किया गया।
इसके साथ ही गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की जीजीवी श्रवण लाइन योजना के स्वयंसेवकों उन्नति साहू, गीतिका नेताम, प्रांजली साहू, रागिनी विश्वकर्मा एवं सत्यम शर्मा को भी सम्मानित किया गया। बीजेएस के इस नि:शुल्क सेवा शिविर में जीजीवी श्रवण लाइन के जरिए सहयोग प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल जी को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
शिविर की सफलता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि शिविर के बारे में सुनकर न केवल बिलासपुर अपितु आसपास के अंचल के कई समाजसेवी एवं गणमान्य शिविर का जायजा लेने के लिए पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में आज बिलासपुर सराफा एसोसिएशन के राजू सलूजा एवं पहुंचे। शिविर में दिव्यांगों को देखकर वे भी भावुक हो गए परन्तु शिविर की व्यवस्था को देखकर उन्होंने बीजेएस की पूरी टीम को बहुत-बहुत साधुवाद दिया।
कार्यक्रम में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के जीजीवी श्रवण लाइन योजना की प्रभारी डॉ. अर्चना यादव, जीजीवी श्रवण लाइन योजना के स्वयंसेवक सत्यम शर्मा, रागिनी विश्वकर्मा, प्रांजली साहू, उन्नति साहू, गीतिका नेताम के साथ अमरेश जैन, प्रवीण कोचर, संजय छाजेड़, अजय छाजेड, आंचल जैन, अमित जैन, राजू तेजाणी, महिपाल सुराना, क्षिप्रा जैन, डॉ अंशुमन जैन, विजय जैन, गोपाल वेलानी, अभिनव डाकलिया, ऋतु जैन, सीमा जैन, गौरव जैन, श्वेता जैन, पूर्णिमा सुराणा, सुनीता जैन, विनोद लुनिया, कमल जैन, मनीष जैन, अंकित गेडयि़ा, स्वप्निल जैन, राकेश तेजानी, रीतेश तेजानी, भावेश गांधी, अर्चना नाहर, जय कुमार जैन, अंशुल जैन, पराग जैन, अनिता जैन एवं नागरिक और दिव्यांग लाभार्थी उपस्थित रहे।
शिविर का समापन आज
30 जून को शिविर के समापन समारोह में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रीभूपेश बघेल उपस्थित रहेंगे। समापन समारोह सायं 3:30 बजे से प्रारंभ होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा दिव्यांगों को ट्राईसाइकिल, बैसाखी, व्हीलचेयर, श्रवण यंत्र एवं कृत्रिम अंग प्रदान किए जाएंगे।
झूम-झूम कर नाचने लगे शरदचंद
महासमुंद से आए 45 वर्षीय शरद चंद को 2007 में उन्हें मलेरिया हो गया था, जिसका इंफेक्शन पैर के नाखून से फैलता हुआ हाथ तक पहुंच गया था, उनकी जान बचाने के लिए डॉक्टरों को उनके दोनों पैर और दोनों हाथ काटने पड़ेे। दोनों हाथ व पैर लगाने के बाद जब शरद चंद बीजेएस की टीम के साथ झूम झूम कर नाचने लगे तो आयोजकों ने कहा शिविर लगाने का मकसद सफल हो गया।
जैन संघटन की टीम का दिया आशीर्वाद
टाटा कोनी देवरी से आए 75 वर्षीय मोहित राम जी जिन्होंने 25 वर्ष पूर्व अपना एक पैर खो दिया था। किसी कीड़े के काटने के कारण उनके पैर में जहर फैल गया था जिस कारण से एक पैर काटना पड़ा। शिविर में आज उन्हें एक कृत्रिम पैर लगाया गया। 25 साल बाद आज वापस अपने दोनों पैर में खड़े होते ही भारतीय जैन संघठना की पूरी टीम को बहुत-बहुत आशीर्वाद दिया।
अपने पैरों पर चले तो खुशी के आंसू छलके
केवटाडीह चिलहाटी से आए 23 वर्षीय दिव्यांग भरत गोंड ने बताया कि 2 जनवरी 2022 में सड़क पार करते समय एक गाड़ी वाले ने उन्हें ठोकर मार दी थी, जिसके बाद उनके पैर काटने पड़े थे। आज इस शिविर में ं कृत्रिम पैर प्रदान कर पुन: अपने पैरों पर चलाया गया तो उनके और उनके परिवार जनों की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।
मैं अब काम पर वापस जा सकता हूं
जांजगीर से आए रुपेश सूर्यवंशी जिन्होंने 9 महीने पहले काम करते समय अपना एक पैर गंवा दिया था। शिविर में आज कृत्रिम पैर मिलने के बाद खुश होते हुए बोले कि अब मैं वापस काम में जा सकता हूं।
दोनों पैरों से चलने की मिली खुशी
सिरगिट्टी से आई दसोदिया साहू का एक पैर 1 साल पहले घाव के कारण काटना पड़ा था, आज शिविर में कृत्रिम पैर लगवाकर अपने परिवार वालों के साथ खुशी-खुशी दोनों पैरों में चलकर शिविर में घूम रही थीं।
खुशी के आंसू निकल गए
4 साल पहले एक्सीडेंट में अपना एक पैर गवां चुके हैं तालापारा निवासी शाहरुख मिर्जा अपने दोनों पैरों में चलकर शिविर से वापस खुशी के आंसू के साथ गए।
बिना किसी सहारे के घर गईं
सांप काटने के कारण अपना एक पैर गवां चुकी जागृति साहू शिविर से वापस बिना किसी सहारे के अपने दोनों पैरों पर चलकर गईं।