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दुर्गापुर

पश्चिम बंगाल फिर हुआ शर्मसार, मेडिकल स्टूडेंट के साथ गैंगरेप की घटना

पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान ज़िले के दुर्गापुर में एक दुखद घटना सामने आई है। ओडिशा की रहने वाली एक मेडिकल स्टूडेंट के साथ गैंगरेप की कथित वारदात हुई है। पुलिस ने शनिवार को इसकी जानकारी दी।

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पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान ज़िले के दुर्गापुर में एक दुखद घटना सामने आई है। ओडिशा की रहने वाली एक मेडिकल स्टूडेंट के साथ गैंगरेप की कथित वारदात हुई है। पुलिस ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। यह घटना शुक्रवार रात की है, जब पीड़िता — जो कि एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की सेकंड ईयर की छात्रा है — अपने एक दोस्त के साथ डिनर के लिए कॉलेज कैंपस से बाहर गई थी। लौटते समय, कुछ अज्ञात लोगों ने इस घटना को अंजाम दिया। फिलहाल पीड़िता का इलाज पास के एक अस्पताल में चल रहा है और पुलिस मामले की जांच कर रही है।

घटना के सामने आते ही यह मामला राजनीतिक तूल पकड़ चुका है। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इस घटना को “बेहद निंदनीय और दर्दनाक” बताया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि ओडिशा सरकार पीड़िता और उसके परिवार को हर संभव मदद देगी।

वहीं दूसरी ओर, भाजपा ने पश्चिम बंगाल सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर तीखा हमला किया है। पार्टी का कहना है कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और ममता सरकार इसमें विफल रही है। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी सोशल मीडिया पर लिखा कि यह एक पैटर्न बन चुका है जिसका ममता सरकार को 2026 में जवाब देना होगा। हालांकि, अभी तक पुलिस ने आरोपियों की पहचान की पुष्टि नहीं की है, लेकिन कुछ नेताओं ने सोशल मीडिया पर नाम साझा किए हैं — जो जांच प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।

इन आरोपों के जवाब में पश्चिम बंगाल की मंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता शशि पांजा ने कहा कि ऐसे संवेदनशील मामलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि जब मणिपुर या ओडिशा में ऐसी घटनाएं होती हैं, तब चुप्पी क्यों रहती है? साथ ही उन्होंने ये भी जोड़ा कि दुर्गापुर मामले की जांच पुलिस द्वारा शुरू कर दी गई है।

ये घटना एक बार फिर सवाल उठाती है कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा पर राजनीतिक बयानबाज़ी से ऊपर उठकर ठोस कार्रवाई कब होगी। क्योंकि इससे पहले आर जी कर जैसे घटना ने बंगाल की कानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया था अब ये नई वारदात सामने आई है। क्या हम ऐसे संवेदनशील मामलों को राजनीतिक हथियार बनाते रहेंगे, या पीड़ितों को इंसाफ़ दिलाने पर ज़ोर देंगे? अब इन सवालों के जवाब आगे की जांच में पता चल पाएंगें।