जबलपुर। वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे पीयूष गोयल ने शुक्रवार 1 फरवरी को मोदी सरकार का अंतरिम बजट पेश कर दिया। इस बजट को लेकर कहीं संतुष्टि तो कहीं निराशा के भी भाव देखने को मिले। लोगों ने आयकर छूट की सीमा को 5 लाख तक बढ़ाए जाने और दो हैक्टेयर तक भूमि वाले किसानों को 6 हजार रुपए आर्थिक सहायता की घोषणा को स्वागत योग्य बताया, वहीं उद्योग और व्यापारिक क्षेत्र में निराशा के भाव भी देखने को मिले। उद्योग व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना था कि मोदी सरकार ने इस दिशा में कोई खास पहल नहीं की है। कर विशेषज्ञों का भी मानना है कि औद्योगिक क्षेत्र में कुछ सुविधाओं की घोषणा के साथ आयकर भुगतान प्रणाली को सरल किए जाने की दिशा में भी प्रयास होने चाहिए थे।
राहत देने वाला बजट
कर सलाहकार अनिल अग्रवाल का मानना है कि बजट में करों की प्रक्रिया को सरल किए जाने की भी सुविधा मिलनी थी, लेकिन इसकी घोषणा नहीं की गई। हालांकि यह बजट निम्न-मध्यम वर्ग को राहत देने वाला प्रतीत हो रहा है। सरकार ने आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर और पांच एकड़ तक भूमि वाले किसानों को 6 हजार रुपए आर्थिक सहायता की जो घोषणा की है वह राहत देने वाली है। व्यवसायाी कमल ग्रोवर का कहना है कि सरकार के प्रयास से इस बार कर से सरकार की आय बढ़ी है। सरकार ने जिस तरह सैन्य क्षेत्र, कृषि आदि के लिए राहत की घोषणा की है वह स्वागत योग्य है। टैक्स बार एसोशिएशन के अध्यक्ष एमएम नेमा का भी मानना है कि सरकार ने बजट में निम्न और मध्यम आय वर्ग को राहत देने का प्रयास किया है।
उद्योग और व्यापार की उपेक्षा
व्यवसायी एसके जैन का कहना है कि केन्द्रीय बजट में अर्थव्यवस्था के सभी वर्गों को सुविधाएँ दी गई हैं लेकिन व्यापारी वर्ग को पूरी तरह नकार दिया गया है। जबकि व्यापारी देश की अर्थव्यवस्था में रीड की हड्डी का काम करते हैं। बजट को देख कर लगता है की व्यापारी अवांछनीय है। जबलपुर चेम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष प्रेम दुबे व वरिष्ठ उपाध्यक्ष हिमांशु खरे का कहना है बजट में उद्योगों के लिए कुछ खास नहीं किया गया, जबकि इनसे कई परिवारों का उदर पोषण होता है। मृत प्राय होते लघु उद्योगों को जीवनदान देने के लिए भी प्रयासों का नहीं होना निराशाजनक है।
व्यापारियों को थी उम्मीद
व्यवसायी रावेन्द्र गुप्ता ने कहा किदो दिन पहले व्यापारियों के लिए वाणिज्य मंत्रालय में विभाग बनाकर एवं कल ई कॉमर्स में एफडीआई पालिसी को आगे न बढ़ाने के सरकार के निर्णय से देश भर के व्यापारियों को बजट से बड़ी उम्मीदें थी लेकिन बजट में व्यापारियों का कोई जिक्र तक न होने से व्यापारी बेहद निराश हैं। इस दिशा में हर हाल में प्रयास होने चाहिए।