जयपुर. एक ओर जहां गांधी नगर रेलवे स्टेशन को करोड़ों रुपए खर्च कर विश्व स्तरीय बनाए जाने का काम चल रहा है। दूसरी ओर यात्रियों को सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। यात्रियों की समस्याओं को लेकर राजस्थान पत्रिका के रिपोर्टर ने पड़ताल की तो चौंकाने वाले हालात सामने आए।
माजरा ये है कि इस स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर 24 घंटे मेें 100 से ज्यादा टे्रेनों की आवाजाही होती है। यहां से सफर करने वाले ज्यादातर यात्री यही से बैठते और उतरते है। इसके बावजूद भी यहां यात्रियों के बैठने के प्रोपर इंतजाम नहीं है। कुर्सियों की कमी के कारण यात्री दिन में तेज धूप में फर्श पर बैठे नजर आते हैं। कुछ जगह शेड भी नहीं हैं तो, कई जगह से प्लेटफार्म पर री-डवलपमेंंट कार्य के चलते खुदाई चल रही है। इधर, वेटिंग हॉल में भी ऐसा ही हाल है। यहां पहुंचने में यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है। कारण कि , इसमें सामने लोहे के बड़े बोर्ड लगा दिए गए हैं। इससे हवा पानी की भी दिक्कत रहती है।
सबसे ज्यादा परेशानी रिजर्वेशन कराने आने वाले बुजुर्ग व महिला यात्रियों को होती है। यहां भी बैठने के प्रोपर इंतजाम नहीं है। यहां भी टिकट बुकिंग कराने आने वाले लोग व उनके साथ आने वाले खड़ा रहने को मजबूर है।
गेट के सामने खड़े हो रहे वाहन
-री-डवलपमेंट कार्य की वजह से पार्किंग एरिया में भी तोड़ फोड़ की गर्ई है। रेलवे ने यात्रियों के लिए कोई अन्य इंतजाम नहीं किए लेकिन रेलवे कर्मचारी मुख्य प्रवेश द्वार के अंदर गेट के सामने वाहन खड़े कर रहे हैं। जिससे यात्रियों को आवाजाही में दिक्कत हो रही है।
ठंडे पानी का भी इंतजाम नहीं
-इस भीषण गर्मी में रेलवे ने स्टेशन पर ठंडे पानी के इंतजाम नहीं किए गए। यात्री भीषण गर्मी में उबला हुआ पानी पीने को मजबूर है। यहां पर यात्रियों को दोपहर में सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। कारण प्लेटफार्म एक पर छांव के पूरे इंतजाम नहीं है। ट्रेन के आने की सूचना मिलते ही यात्री धूप में खड़े नजर आते हैं, कई छांव ढंूढते दिखते है।
आए दिन खराब हो रही मशीने
-यहां बैगेज स्कैनर आए दिन खराब पड़ा रहता है। यही हाल एस्केलेटर के देखा जाता है। जिससे यात्रियों को दिक्कतों के साथ ही सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
रेलवे का तर्क, काम चल रहा है, दिक्कत तो होगी
– इस मामले में रेलवे अधिकारियों का कहना है कि स्टेशन के री डवपलमेंट का काम चल रहा है। इससे समस्या तो होगी। लेकिन इस बीच वैकल्पिक इंतजाम करने के सवाल पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।