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Nagaur patrika…सुविधाएं बढऩे के बाद भी आंगनबाड़ी केन्द्रों की नहीं सुधरी तस्वीर…VIDEO

नागौर. जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आंकड़ों में बच्चे तो हर साल बढ़ जाते हैं, फिर भी केन्द्रों की तस्वीर नहीं सुधरी है। केन्द्रों के लिए सरकार ने स्टेडियोमीटर एवं वजन आदि की मशीनें उपलब्ध कराई है, भामाशाहों की मदद से खिलौने की भी व्यवस्था की […]

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नागौर. जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आंकड़ों में बच्चे तो हर साल बढ़ जाते हैं, फिर भी केन्द्रों की तस्वीर नहीं सुधरी है। केन्द्रों के लिए सरकार ने स्टेडियोमीटर एवं वजन आदि की मशीनें उपलब्ध कराई है, भामाशाहों की मदद से खिलौने की भी व्यवस्था की गई है। इसके बाद भी आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति में बदलाव नहीं आया है। जानकारों का कहना है इसकी वजह ज्यादातर केन्द्रों का संचालन आज भी किराए के छोटे से कमरे में किया जा रहा है। शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में यही स्थिति है। इसकी तस्वीर बेहतर बेहतर करने के लिए भवनों की व्यवस्था करने के साथ ही इसे प्राथमिक स्तर के एक बेहतर स्कूल के रूप में न केवल परिवर्तित करना पड़ेगा, बल्कि अच्छा बजट भी उपलब्ध कराना पड़ेगा। ऐसा होने पर ही इसकी स्थिति में बदलाव आ सकता है, नहीं तो फिर इस तरह स्थिति रही तो हालात और भी ज्यादा विकट हो जाएंगे।

निरीक्षण में बच्चे रहते गायब

जिले में छोटे- बड़े करीब पंद्रह सौ आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं। विभाग की ओर जारी अधिकृत आंकड़ों के अनुसार केन्द्रों में वर्ष 2019-20 से 2020-21 तक छह माह से तीन वर्ष तक के बच्चों की संख्या में 23 हजार 784 की बढ़ोत्तरी हुई है। इसी तरह से वर्ष 2021-22 से 2022-23 तक में 21041 बच्चों की संख्या बढ़ी है। यानि की चार साल में छह से तीन साल तक के बच्चों की संख्या 44,825 बढ़ गई। इसी तरह से तीन साल से छह वर्ष तक के बच्चों में 2019-20 से 2020-21 तक के बच्चों की संख्या में 910 की वृद्धि हो पाई। वर्ष 2021-22 से वर्ष 2022-23 तक 30206 बच्चों की संख्या एक साथ बढ़ी।

आंकड़ों में तीन से छह साल तक के बच्चों में 30 हजार से ज्यादा की यह बढ़ोत्तरी काफी अप्रत्याशित रही है। हालांकि विभागीय अधिकारियों का मानना है कि केन्द्रों में वजन मशीन आदि उपकरण देने के साथ ही जिला एवं ब्लॉक समन्वय लगाने से स्थिति बेहतर हुई है। इसके बाद भी केन्द्रों के निरीक्षण में कई बार आंकड़ों में दर्ज संख्यानुसार बच्चे नहीं मिलते इस सवाल का जवाब देने से अधिकारी बचते रहे।

जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में वर्षवार लाभार्थियों की स्थिति

वर्ष- छह माह से तीन वर्ष – तीन वर्ष से छह साल

2019-20- 35663- 32404

2020-21- 59447- 33314

2021-22 -78469 -39788

2022-23 -99510- 69994

2023-24 -55000- 31000

बेकदरी का प्रमुख कारण यह भी रहा

जानकारों के अनुसार ज्यादातर आंगनबाड़ी केन्द्रों विशेषकर शहरी क्षेत्रों में स्थापित केन्द्रों का संचालन बमुश्किल एक कमरे में किया जा रहा है। उसी में पोषाहार व अन्य संसाधन रखे जाते हैं। अब इतनी कम जगह में बच्चों को बैठाकर पढ़ाना मुश्किल काम है। फिर भी कागजी खानापूर्ति के लिए ऐसे केन्द्रों को जैसे-तैसे चलाया जा रहा है। जबकि कम जगह के कारण लोग बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों में भेजने से बचने लगे हैं।

इनका कहना है…

जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों की तस्वीर बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन इसे बेहतर करने के लिए भवनों की व्यवस्था कराए जाने के प्रयासों के साथ ही अन्य आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। केन्द्र की कार्यकर्ताओं के माध्यम से लोगों को केन्द्र में बच्चों को भेजने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कार्यक्रम भी किए जाएंगे।

दुर्गासिंह उदावत, उपनिदेशक आईसीडीएस नागौर