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VIDEO…देश के विभिन्न राज्यों सहित विदेशों में भी नागौरी जीरा दिला रहा नागौर को पहचान

नागौर. नागौरी जीरे की बढ़ती मांग ने परंपरागत फसलों का रकबा घटा दिया है। पिछले पांच सालों के अंतराल में जीरे का रकबा काफी तेजी से बढ़ा है। कम पानी एवं मुनाफा ज्यादा मिलने के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों से नागौरी की बढ़ी मांग ने किसानों को इसकी बुवाई के लिए उत्साहित किया […]

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नागौर. नागौरी जीरे की बढ़ती मांग ने परंपरागत फसलों का रकबा घटा दिया है। पिछले पांच सालों के अंतराल में जीरे का रकबा काफी तेजी से बढ़ा है। कम पानी एवं मुनाफा ज्यादा मिलने के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों से नागौरी की बढ़ी मांग ने किसानों को इसकी बुवाई के लिए उत्साहित किया है। यही वजह रही है कि अब काश्तकार गेहूं, जौ एवं सरसों की अपेक्षा इसकी बुवाई करना ज्यादा बेहतर समझने लगे हैं। इसके चलते जीरे की बुआई का रकबा परंपरागत फसलों केा तेजी से पीछे करते हुए पांच से दस गुना ज्यादा रकबा बढ़ गया है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार नागौरी जीरे को रिफाइन करने की 14 से 15 फैक्ट्रियों के हेाने केचलते जीरे की खासी खपत हो जाती है। एक साल में करीब तीन लाख बोरियों की खपत यहां की फैक्ट्रियों में हो जाती है। इसका टर्नओवर भी तकरीबन तीन 300 करोड़ तक हो जाता है।
नागौरी जीरे की बढ़ती मांग ने राजस्थान को बनाया दूसरा बड़ा उत्पादक
नागौरी जीरे की बढ़ी मांग ने प्रदेश को गुजरात के बाद जीरे का दूसरा बड़ा उत्पादक बना दिया है। विशेषकर नागौरी जीरे की गुणवत्ता एवं इसमें से निकलने वाले तेल की औसत मात्रा जालोर आदि क्षेत्रों से भी ज्यादा बताई जाती है। हालांकि जीरे की बुवाई अजमेर, पाली, सिरोही, बाड़मेर, जयपुर एवं टोंक में भी की जाती है, लेकिन नागौरी जीरे की गुणवत्ता की वजह से इसकी मांग तेजी से बढ़ी है। यही वजह रही कि वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 के अंतराल में जीरे का रकबा गेहूं, जौ आदि परंपरागत फसलों से दोगुना नहीं, बल्कि कई गुना ज्यादा रहा है। इसके चलते अब नागौरी जीरा भी जिले की मुख्य रूप से उगाई जाने वाली फसलों की फेरहिस्त में पहले नंबर पर पहुंच गया है।
देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी जीरे की होती है आपूर्ति
जीरे की आपूर्ति दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश, चेन्नई, तमिलनाडू, महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश, गोवा, हिमांचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, ओडिशा, पंजाब, तेलंगाना आदि राज्यों में आपूर्ति की जाती है। इसके साथ ही राजस्थान से विदेशों में जाने वाले जीरों में भी नागौरी जीरा शामिल रहता है। इसमें यह चायना, बर्मा, बांग्लादेश, भूटान, अमेरिका, मारीशस आदि सहित दुनिया के विभिन्न देशों में इसकी आपूर्ति की जा रही है।
फसलों के रकबा आंकड़ों पर एक नजर

उपज 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22 2022-23
गेहूं 51378 68011 60655 45158 50074
जौ 6109 10648 11193 6223 11035
जीरा 72815 83976 58973 38870 46791
इसलिए नागौरी जीरा रहता है विशेष
नागौरी जीरे की विशेषताओं में है कि यह जीरा करीब 10 वर्षों तक खराब नहीं होता है। जबकि अन्य राज्यों के जीरे की गुणवत्ता दो से तीन साल में ही क्षीण होने लगती है। इसमें तेल की मात्रा चार से पांच प्रतिशत तक होती है, जबकि अन्य राज्यों के जीरे में तेल की मात्रा महज अधिकतम दो प्रतिशत तक ही पहुंच पाती है। अपनी विशेषताओं के कारण नागौरी जीरे ने नागौर की विशिष्ट पहचान बनाई है।
नागौरी जीरे की मांग बढ़ी है
नागौरी जीरे की मांग गत पांच से छह सालों में तेजी से बढ़ी है। अपनी विशेषताओं के कारण नागौरी जीरा अब पहले नंबर पर पहुंच गया है। यही वजह है कि इसकी आपूर्ति देश के ज्यादातर राज्यों के साथ ही विदेशों में राजस्थान से जाने वाले जीरे की खेप में शामिल हो चुका है।
बनवारीलाल अग्रवाल, जिला अध्यक्ष लघु उद्योग भारती नागौर
अन्य राज्यों के मुकाबले नागैरी जीरा गुणवत्ता में बेहतर
जीरे की गुणवत्ता के मुकाबले अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी बेहतर है। इसका जीआईके भी कराएंगे।जोधपुर में स्पाइस पार्क में जीरे की टेस्टिंग लेब होनी चाहिए। इससे किसान व व्यापारियों, दोनों को ही फायदा होगा। इससे गुणवत्ता की परख भी हो सकेगी।
रामेश्वर सारस्वत, व्यापारी, कृषि उपजमंडी नागौर