करीब 800 साल पुराने इस मंदिर में स्त्री मूर्तियों को देखकर लगा आज के जमाने की इस सच्चाई का पता
छात्र हैरान थे कि इस तरह की शारीरिक बनावट के साथ रोज 99 साल तक ज़िंदा कैसे रहीं। रोज के अधिकांश अंग गलत जगह पर थे। कुछ के आकार सामान्य से बहुत बड़े थे। वह लेवोकार्डिया के साथ साइटस इनवर्सस नामक स्थिति में जी रही थीं, जिसमें अधिकांश महत्वपूर्ण अंग उलटे हो जाते हैं। शरीर के अंगों को देखकर ऐसा लगता है मानों शरीर के अंदर शीशा लगा हो। रोज के शरीर की पेचीदगी 5 करोड़ लोगों में से किसी एक को होती है।
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रोज के परिवार का कहना है कि रोज को इस वजह से कभी कोई दिक्कत नहीं हुई। रोज के दिल की एक बड़ी नस अपनी जगह पर नहीं थी। वह दाईं ओर की बजाए बाईं और मिली। दिल का दाहिना एट्रीअम सामान्य आकार से दोगुना था। इसी तरह रोज के दाहिने फेफड़े में तीन के बजाय दो हिस्से थे। रोज का पेट भी बाईं ओर होने के बजाय, दाईं ओर था। उनका पाचनतंत्र भी उल्टा था। मेडिकल साइंस में इसे चमत्कार कहा जा सकता है। शरीर के इतने जटिल होने के बावजूद रोज मेरी को कोई बीमारी नहीं थी। उन्हें केवल गठिया की शिकायत थी।