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अजब गजब

इस शहर में डर के साये में जीते हैं लोग, हर पल मडराती रहती है मौत

मेट्समोर नाम के एक शहर में हर पल मौत मंडराती रहती है। यहां पर सबसे खतरनाक न्यूक्लियर पावर प्लांट का निर्माण किया था।

Jan 24, 2021 / 11:09 am

Shaitan Prajapat

Metsamor City

Metsamor City

नई दिल्ली। मेट्समोर नाम का शहर बहुत ही खूबसूरत है। यहां पर रहने वाले लोगों को सभी प्रकार की सुविधाएं मिल रही है। इसके बावजूद इस शहर के लोग डर के साये में जीते रहे है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर हर वक्त मौत मंडराती रहती है। मेट्समोर को कभी दुनिया का सबसे खतरनाक न्यूक्लियर पावर प्लांट बताया गया था। इस वजह से यह भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र में बना है। यह अर्मेनिया की राजधानी येरेवन से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर पल भर में सब कुछ बदल सकता है। सालों पहले यहां पर हजारों लोगों की मौत हो गई थी।

25,000 लोगों की हुई थी मौत
एक रिपोर्ट के अनुसार, 1970 के दशक में यह न्यूक्लियर पावर प्लांट चेरनोबिल के साथ ही बनाया गया था। उन दिनों मेट्समोर रिएक्टर से विशाल सोवियत संघ की ऊर्जा की बढ़ती जरूरतें पूरी होती थी। सोवियत संघ ने 2000 तक अपनी जरूरत की 60 फीसदी बिजली परमाणु ऊर्जा से बनाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन साल 1988 में 6.8 तीव्रता के भूकंप के अर्मेनिया में तवाही मचा दी। इस विनाशकारी भूकंप ने करीब 25 हजार लोगों को मौत की नींद सुला दी।

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1995 में फिर शुरू
यह हादसा होने के बाद सुरक्षा कारणों से परमाणु बिजलीघर को बंद कर कर दिया गया। प्लांट के सिस्टम में बिजली की आपूर्ति में बाधा आ रही थी। मेट्समोर रिएक्टर में काम करने वाले कई कर्मचारी पोलैंड, यूक्रेन और रूस में अपने घर लौट गए। 30 साल बाद ये प्लांट आज अर्मेनिया में चर्चा का विषय बन गया है। साल 1995 में इसको फिर से चालू किया गया।

डर से साये में रह रहे है लोग
आज भी ये उनते ही खतरनाक है जितने पहले थे। आज भी वहां भूगर्भीय हलचल होती रहती है। इस तकरार के बीच ही मेट्समोर न्यूक्लियर प्लांट और शहर में रहने वालों की जिंदगी चले जा रही है। आज मेट्समोर की आबादी करीब 10,000 लोगों की है। जिनमें ढेर सारे बच्चे हैं। रिएक्टर के कूलिंग टावर से करीब पांच किलोमीटर दूर बने अपार्टमेंट में रहने वाले लोग बिजली की कमी और प्लांट के संभावित खतरे के बीच संतुलन साधे हुए हैं।

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