29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मोटिवेशनल स्टोरी : पिता बेचते थे पत्ते, बेटा बना करोड़पति

अमीर बनने की ललक उन्हीं में देखी जाती है जिनका बचपन गरीबी में गुजरा हो

2 min read
Google source verification

image

Amanpreet Kaur

Jan 28, 2018

Jabir Karat

Jabir Karat

खास : हाल ही इनके द्वारा शुरू की गई वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी ‘ग्रीन वॉर्म’ सुर्खियों में है जो कचरे को बेहतर तरीके से निस्तारित कर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने का काम कर रही है। केरल के पांच जिलों में कंपनी है और १२० कर्मचारी काम कर रहे हैं। सालाना कारोबार करीब ढाई करोड़ रुपए का है।

अमीर बनने की ललक उन्हीं में देखी जाती है जिनका बचपन गरीबी में गुजरा हो। बेशक यह उनके दिमाग पर गहरा असर रखता है और वे अमीर बन जाने के बाद भी अपने बचपन की उन यादों को मिटा नहीं पाते। यही वजह है कि ये लोग हमेशा जमीन से जुड़े रहते हैं। ऐसी ही कहानी है जबीर करात की।

जबीर के पिता केले के पत्ते बेचकर घर चलाते थे। पिता का सपना था कि बेटा पढ़ लिखकर कुछ बेहतर कर सके। स्कूली शिक्षा के बाद इन्होंने कॉमर्स की पढ़ाई करने का फैसला किया। दिल्ली यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की डिग्री पूरी की। कॉलेज खत्म होते ही एक बिजनेस कंपनी में प्लेसमेंट हो गया लेकिन इन्हें कुछ अलग करना था और नौकरी का ऑफर छोड़ दिया। भारत सरकार के स्वच्छता अभियान ने इन्हें कुछ नया करने की सीख दी और वापस केरल चले गए। पूरे केरल को कचरा मुक्त बनाने का फैसला किया।

नवंबर २०१४ में पांच लाख रुपए की लागत से ग्रीन वॉर्म कंपनी खोली और कचरा निस्तारण का काम शुरू किया। घर-घर कचरा उठाने का काम शुरू हुआ। इसके लिए न्यूनतम चार्ज लेते हैं। आज इनकी कंपनी हर महीने ४५० टन कचरे का निस्तारण कर रही है। तीन रिसाइक्लिंग यूनिट में कचरा निस्तारण के साथ जरूरी चीजों का निर्माण भी किया जा रहा है। इनकी कंपनी का सालाना बिजनेस करीब ढाई करोड़ रुपए का है। केरल के पांच जिलों में कंपनी है जिसमें १२० कर्मचारी काम कर रहे हैं। आज इनके प्रयासों से केरल के पांच जिलों में साफ-सफाई की स्थिति काफी बेहतर हो चुकी है। इनका इरादा इस प्रोजेक्ट को पूरे देश में लागू करना है जिससे केंद्र सरकार के स्वच्छता मिशन को और प्रभावी बनाया जा सके।