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मोटिवेशन : फैसला लेते समय सुनें मन की आवाज

अगर आप कोई फैसला लेने से पहले उसके एक-एक पहलू पर विचार में ही उलझे रहेंगे तो फैसला लेने का सही अवसर खो सकते हैं।

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Amanpreet Kaur

Nov 29, 2017

decision making

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अगर आप कोई फैसला लेने से पहले उसके एक-एक पहलू पर विचार में ही उलझे रहेंगे तो फैसला लेने का सही अवसर खो सकते हैं। सही फैसला लेना कला है। इसमें माहिर होने के लिए आपको कुछ खास बातों का खयाल रखना होगा। जानते हैं उन खास बातों के बारे में-

रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसे बहुत से क्षण आते हैं, जब हमें तत्काल ही कोई फैसला करना पड़ता है। ऐसे समय में फैसले के सही या गलत होने से ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है फैसले का लिया जाना। अगर आप सही समय पर फैसला नहीं कर पाते हैं तो कई अवसर खो बैठते हैं। इसमें दो तरह की संभावनाएं रहती हैं। एक तो यह कि सही फैसला लिए जाने पर आपका फायदा होगा और दूसरा, गलत फैसला लिए जाने पर आपको एक सीख मिलेगी। अपनी जिंदगी को बेहतर ढंग से जीने के लिए फैसले लेने की कला में आपको माहिर बनना होगा। फैसला करते समय आपको अपने मन की आवाज सुननी चाहिए। इसके लिए कुछ इस तरह प्रयास करने होंगे-

गलत होना भी सही

अक्सर वे लोग फैसले नहीं ले पाते जो हमेशा ‘सही’ होना जरूरी मानते हैं। सबसे पहले तो यह बात समझ लें कि आप इंसान हैं और इंसान गलतियों से ही सीखता है। इसलिए हर फैसले में अत्यधिक सावधानी वाली अप्रोच अपनाने से बचें। यह आपको सनकी बना सकती है। जब आप गलती की संभावनाएं स्वीकार करना सीख जाएंगे तब आप उस गलती के कारण पैदा होने वाली स्थितियों से निपटने के लिए भी खुद को तैयार कर पाएंगे।

न उलझें खुद में

बहुत से लोग किसी भी फैसले को लेने से पहले उसके परिणामों और उससे जुड़ी बुरी संभावनाओं के एक-एक पहलू पर इतना सोचने लगते हैं कि वे एक चक्र में उलझकर ही रह जाते हैं। किसी भी चीज का इतना ज्यादा विश्लेषण करने पर वे एक छोटा सा फैसला भी खुद नहीं कर पाते हैं। इसके उन्हें दो नुकसान होते हैं। एक तो उनके दिमाग में द्वंद्व चलता रहता है और दूसरा उनके अपने आप में ही उलझे रहने का फायदा उनके प्रतिद्वंद्वी उठा ले जाते हैं। तमाम विकल्पों पर सोच-सोचकर अपनी ऊर्जा गंवा चुके ये लोग प्रतिद्वंदियों का छोटा सा दांव भी विफल नहीं कर पाते। दिमाग में कोई द्वंद्व नहीं होना चाहिए।

अपने मन की आवाज सुनें

कई बार व्यक्ति खुद के बारे में जरूरत से ज्यादा विचार करता है और उलझ जाता है। आपको अपने सहज ज्ञान की मदद से फैसले लेने का प्रयास करना चाहिए। आपको किसी बाहरी दिखावे में आकर अपने मन की आवाज को नहीं दबाना चाहिए। आपके मन से आई आवाज सच्ची आवाज होती है। उसके आधार पर आप जो भी फैसला लेते हैं, वह कभी गलत साबित नहीं हो सकता। उस पर डटे रहें।

तय करें डेडलाइन

बेशक महत्वपूर्ण फैसले लेने में उनके फायदे और नुकसान पर गौर कर लिया जाना चाहिए लेकिन यह बिल्कुल सही नहीं कि आप उनके विश्लेषण में फैसले लेने का सही समय ही गंवा दें। इससे बचने के लिए अपने लिए डेडलाइन तय करें। तय डेडलाइन तक फैसला जरूर ले लेना चाहिए। इसके बाद आपको अपने फैसले पर विचार नहीं करना चाहिए।