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रूस के करीब आ रहा अमेरिका, चीन को हुई टेेंशन- रिपोर्ट में दावा

US on Russia: रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, रूस के साथ संचार बहाल करने की योजना पर काम कर रहे हैं।

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भारत

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Jyoti Sharma

Feb 22, 2025

Donald Trump Russia Vladimir Putin US draws Russia closer China should worry

Donald Trump Russia Vladimir Putin

Russia USA China: डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद रूस और अमेरिका के बीच काफी नजदीकियां आ गई हैं। जिससे अब चीन को टेंशन होने लगी है। इसका दावा हांगकांग स्थिति चीनी मीडिया आउटलेट साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump), रूस के साथ संचार बहाल करने की योजना पर काम कर रहे हैं। ट्रंप ने यूक्रेन युद्ध के लिए ज़ेलेंस्की को ही दोषी ठहराय़ा है। जो अमेरिका की रूस नीति में बदलाव का संकेत है।

इतनी आसानी से चीन से दूर नहीं जा सकता रूस

रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के इस बदलाव को रूसी नेता व्लादिमिर पुतिन के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। जिन्होंने ट्रम्प से मिलने और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ विश्वास बढ़ाने की इच्छा भी जताई है। हालांकि इधर चीन के जानकारों ने इस मुद्दे पर कहा है कि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि अमेरिका-रूस संबंधों को उस बिंदु तक फिर से बनाया जा सकता है जहां रूस, चीन से दूर जाने का विकल्प चुन सकता है।

जानकारों के मुताबिक चीन के लिए अमेरिका-रूस (US Russia Relations) के बीच बढ़ते संबंधों को लेकर चिंता में आने का कोई कारण नहीं है। उनका कहना है कि पश्चिम का मुकाबला करने के लिए रूस और चीन के साझा रणनीतिक लक्ष्य और उनके गहरे आर्थिक संबंध एक ऐसी साझेदारी ही जिसे पश्चिम के लिए तोड़ना काफी मुश्किल है।

इस मुद्दे पर चीन स्थित थिंक टैंक, सेंटर फॉर चाइना एंड ग्लोबलाइजेशन के उपाध्यक्ष विक्टर गाओ ने कहा कि ये कहना अभी सही नहीं है कि अगर अमेरिका और रूस यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए किसी समझौते पर पहुंचते हैं तो इससे चीन-रूस संबंधों में गिरावट आएगी। उन्होंने कहा कि रूस ट्रम्प पर 100 प्रतिशत भरोसा नहीं करेगा, और वो चीन के साथ अपने मैत्रीपूर्ण और समान संबंधों की कीमत पर अमेरिका की तरफ नहीं मुड़़ेगा।

अमेरिका को लेकर सतर्क रहेगा रूस 

पिछले दिनों डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को लेकर कहा था कि वे रूस को G-7 में दोबारा वापस लाना चाहते हैं। क्रीमिया पर कब्जे के चलते 2014 में रूस को तत्कालीन G-8 से बाहर करना एक गलती थी।

हालांकि ट्रंप के इस विचार को क्रेमलिन ने एक सिरे से खारिज कर दिया था। कनाडा में रूसी राजदूत ओलेग स्टेपानोव ने G-7 को एक पुरानी संरचना कह दिया था और ये बोल दिया था था कि रूस को इस बारे में सोचने के लिए कोई दिलचस्पी नहीं है। 

विक्टर गाओ ने कहा था कि रूस अमेरिका के किसी भी प्रस्ताव को लेकर सतर्क रहेगा क्योंकि दोनों देशों के बीच भरोसे की कमी है। उन्होंने कहा कि रूस उभरती अर्थव्यवस्थाओं के BRICS समूह या शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सुरक्षा समूह से बाहर नहीं निकलेगा, जिनमें चीन भी शामिल है।

युद्ध के बाद चीन के करीब आया है रूस 

वहीं बीजिंग के रेनमिन विश्वविद्यालय में यूरोप मामलों के विशेषज्ञ वांग यीवेई ने इस मुद्दे पर कहा कि रूस के खिलाफ सालों से लगे अमेरिकी और पश्चिमी प्रतिबंधों के चलते रूस पश्चिम से अलग-थलग होता जा रहा है। ऐसे में रूस के लिए पश्चिमी देशों पर आंख बंद कर भरोसा करना काफी मुश्किल है। वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, रूस औद्योगिक मामलों में, अर्थव्यवस्था में और ऊर्जा मामलों में चीन के करीब पहुंच गया है। ऐसे में ये पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि रूस चीन से दूर चला जाएगा।

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