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अमरीका और ब्रिटेन के साथ-साथ इन देशों ने दी कोवैक्सीन को मंजूरी, भारतीयों के लिए खोले अपने देश के दरवाजे

भारत बायोटेक की बनी वैक्सीन लगवाने के बाद इंग्लैंड पहुंचने पर अब यात्रियों को खुद को आइसोलेट करने की जरूरत नहीं होगी। यह कदम विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के कोवैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की सूची में डालने के बाद उठाया गया है। वहीं, अमरीका में भी कोविड के चलते 21 महीनों से लगा प्रतिबंध हट गया है ऐसे में वह भी कोवैक्सीन को अनुमति देगा, क्योंकि सभी एफडीए और विश्व स्वास्थ्य संगठन से अनुमति प्राप्त वैक्सीन अमरीका में अधिकृत हैं।  

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Ashutosh Pathak

Nov 09, 2021

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नई दिल्ली।

ब्रिटिश सरकार ने भारत की बनी वैक्सीन कोवैक्सीन को अपनी सूची में शामिल करने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही अब 22 नंवबर से ऐसे अंतरराष्ट्रीय यात्री जिन्होंने कोवैक्सीन लगवा रखी है, वह भी यात्रा कर पाएंगे।

कोवैक्सीन को कई देशों ने अनुमति दे दी है, लेकिन टीके को अनुमति मिलने के बावजूद कुछ देशों में सीधे यात्रा करना अभी शुरू नहीं हुआ है। भारत सरकार ने कोविड के चलते अंतरराष्ट्रीय यात्री फ्लाइट को 30 नवंबर 2021 तक स्थगित किया हुआ है। केवल वही देश जिसके साथ भारत का एयर बबल करार हुआ है, वहीं पर सीधी फ्लाइट जा सकती है।

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अमरीका
यूएस ने हाल ही में 21 महीने से लगा कोविड प्रतिबंध हटाया है। देश अन्य वैक्सीन के साथ ही कोवैक्सीन को भी मंजूरी देगा।

इंग्लैंड
ब्रिटेन ने कहा है कि वह इस महीने के अंत तक विश्व स्वास्थ्य संगठन की आपातकालीन इस्तेमाल की सूची में शामिल वैक्सीन को अनुमित दे देगा, इससे चीन की सिनोवेक, सिनोफार्म और भारत की कोवैक्सिन को देश में आने वाले यात्रियों के अनुमोदित टीके की सूची में शामिल कर लिया जाएगा। ये बदलाव 22 नवंबर से लागू हो जाएगा। इससे भारत सहित मलेशिया यूएई के लोगों को राहत मिलेगी।

ऑस्ट्रेलिया
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आस्ट्रेलिया ने भी अनुमित दे दी है। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया का भारत के साथ एयर बबल करार नहीं हुआ है, इसलिए यहां भारत से सीधी फ्लाइट नहीं जा सकती है। ऑस्ट्रेलिया दुबई, अबुधाबी और टोक्यो एयरपोर्ट से होते हुए जाया जा सकता है, हालांकि इन तीनों ही देशों में कोवैक्सीन को अनुमति नहीं मिली है।

मॉरिशस
इस देश के साथ भी यही हाल है, यहां कोवैक्सिन को इजाजत तो है लेकिन इसके साथ भी भारत का एयर बबल करार नहीं होने की वजह से यहां सीधी फ्लाइट नहीं जा सकती है।

नेपाल
कोवैक्सीन लगवाने वालों के लिए नेपाल में वहीं नियम है जो फिलीपींस में है। भारत के नागरिकों को कोविड 19 वैक्सीन के आखरी डोज का प्रमाणपत्र दिखाना होता है।

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श्रीलंका
कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों ही वैक्सीन को यहां मंजूरी है। अगर किसी को वैक्सीन नहीं लगी है तो उसे 14 दिन के आइसोलेशन में रहना होता है।

मेक्सिको
मेक्सिको के स्वास्थ्य नियामकों ने कोवैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए सहमति तो दिखा दी है लेकिन यह देश भी उन 28 देशों में शामिल नहीं है जिसके साथ भारत का एयर बबल करार हुआ है।

ग्रीस
भारतीय को ग्रीस जाने पर कोविड -19 वैक्सीन का प्रमाणपत्र और साथ में नेगेटिव आरटी-पीसीआर (72 घंटे से पहले) या एंटीजन रिपोर्ट (48 घंटे से पहले) दिखाना होगा, लेकिन यहां के लिए भी कोई सीधी फ्लाइट नहीं है और यात्रियों को यूरोप होकर जाना होता है। वर्तमान में किसी भी बड़े यूरोपीय देश ने कोवैक्सीन को अनुमति नहीं दी है।

स्विट्जरलैंड
भारत आने वाले यात्रियों के लिए स्विट्जरलैंड ने भी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी प्रदान की है।

ईरान
मध्य एशिया का देश ईरान भी उन देशों में शामिल है जिसने कोवैक्सीन लगवाने वाले भारतीयों को अपने देश में आने की इजाजत दी है। अगर आरटी पीसीआर का परिणाम उपलब्ध नहीं है तो व्यक्ति को 14 दिन के आइसोलेशन में रहना होता है।

ओमान
भारतीयों को अब ओमान जाने पर कोवैक्सीन लेने के बाद 14 दिन के आइसोलेशन में नहीं रहना होगा। इससे पहले भारत से आने वाले सभी यात्रियों को जिन्होंने कोवैक्सीन के दोनों डोज लिए हुए हैं, उन्हें यात्रा से पहले 14 दिन आइसोलेशन में रहना ज़रूरी था।

जिम्बाव्वे
भारतीय आगंतुकों को आरटी-पीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी, इसके अलावा कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों को अफ्रीकी राष्ट्रों में अनुमति है।

गुआना
दक्षिण अमरिकी देश गुआना ने भी कोवैक्सीन को यात्रा के लिए अनुमति दे दी है। इसके अलावा गुआना में एस्ट्राजेनका, स्पूतनिक, सिनोफार्म, सिनोवेक, जॉनजन एंड जॉनसन, फाइजर, और मॉडर्ना को भी इजाजत है।

पैराग्वे
अन्य दक्षिण अमरीकी देशों में पैराग्वे ने भी कोवैक्सीन को अनुमति प्रदान की है लेकिन बावजूद इसके यहां सीधे यात्रा की अभी अनुमति नहीं मिली है।

फिलीपींस
ऐसे यात्री जिन्हें कोवैक्सीन लगी है वो फिलीपींस जा सकते हैं। लेकिन यहां पर भी भारत से सीधी फ्लाइट चलना अभी शुरू नहीं हुआ है।

इस्टोनिया
भारतीय नागरिकों ने अगर कोवैक्सीन लगवाया हुआ है तो उसे जांच की जरूरत नहीं होगी, यह उन पहले देशों में से है जिसने कोवैक्सीन को पहचान दी थी।