आठ हजार उड़ानों से हर आदमी तक ऐसे वैक्सीन पहुंचाएंगी विमानन कंपनियां ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि नीति निर्धारक आंकड़ों पर बराबर नजर रखे हुए थे और समानांतर रूप से कार्य कर रहे थे। उनका दावा था कि यूरोपीय यूनियन से बाहर निकलने की वजह से भी ब्रिटेन को वैक्सीन के लिए जल्द मंजूरी मिली। अन्य यूरोपीय देश भी वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दे सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया और ईयू की सामूहिक प्रक्रिया को अपनाने की बात कही। ईयू नेताओं को आशंका है कि प्रत्येक देश के निजी स्तर पर निर्णय लेने से वैक्सीन पर विश्वसनीयता कम हो सकती है। अमरीकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की वैक्सीन को मंजूरी की प्रक्रिया ब्रिटेन के मुकाबले थोड़ी जटिल है। दोनों देशों में इस बात को लेकर भी भिन्नता है कि पहले वैक्सीन किसे लगेगी?
वैक्सीन के लिए भरोसा दिलाना होगा
ब्रिटेन में टीकाकरण के प्रयास इसलिए भी सराहनीय हैं, क्योंकि पश्चिमी देशों में आज भी इसको लेकर अविश्वास का भाव है। इस वर्ष एक सर्वे के अनुसार ब्रिटेन के 20 फीसदी लोगों ने कहा, उन्हें वैक्सीन मिलने की कोई संभावना नहीं लगती। फ्रांस में 50 फीसदी टीके लगवाने के इच्छुक नहीं हैं। जर्मनी में 29 प्रतिशत लोगों का मानना है, वैक्सीन नहीं मिलेगी।
सबसे बड़ा सवाल, कोरोना के टीके की प्रतिरक्षा कितने दिन रहेगी? ब्रिटेन को राजनीतिक लाभमहामारी से बचाव का बेहतर प्रबंधन करने में विफल रहा ब्रिटेन छवि सुधारने का मौका गंवाना नहीं चाहेगा। ब्रिटेन के व्यापार सचिव आलोक शर्मा ने ट्वीट में लिखा कि इंग्लैंड ने कोविड-19 के खिलाफ जंग की शुरुआत कर दी है। इससे प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को राजनीतिक लाभ मिल सकता है। ब्रिटेन कोरोना से सर्वाधिक मौतों वाले देशों की सूची में दर्ज है।