17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भारत की NSG सदस्यता फेयरवेल गिफ्ट नहीं, US को चीन का जवाब 

भारत के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य नहीं बन पाने के पीछे अमरीका द्वारा चीन पर आरोपों का जवाब सामने आया है। 

2 min read
Google source verification

image

Anuj Shukla

Jan 16, 2017

India's NSG membership can't be farewell gift: Chi

India's NSG membership can't be farewell gift: China to US


पेचिंग. भारत के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य नहीं बन पाने के पीछे ओबामा प्रशासन द्वारा चीन पर आरोपों का जवाब सामने आया है। सोमवार को चीन ने कहा कि NSG में भारत की सदस्यता किसी फेयरवेल पार्टी (बराक ओबामा के) का गिफ्ट नहीं है, जो किसी देश (भारत) को मिल जाएगा। चीन ने कहा इस बारे में हमने अपना पक्ष पहले ही रख दिया है। सोमवार को विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, "'भारत की एनएसजी सदस्यता के आवेदन और एनपीटी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों के लिए एनएसजी में प्रवेश के नियम के देखते हुए हमने अपनी बात रख दी है और हम इसे फिर दोहराना नहीं चाहते हैं।"

अमरीका ने कहा था - चीन की वजह से नहीं हो पाई NSG में भारत की एंट्री

बता दें कि एक दिन पहले ओबामा प्रशासन ने कहा था कि एनएसजी का सदस्य बनने की भारत की मुहिम में चीन ने अडंगा डाला। ओबामा प्रशासन के अफसरों ने कहा था, यह कम्युनिस्ट देश नई दिल्ली के प्रयास में रोड़ा की तरह काम कर रहा है। दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल के मुताबिक़, एक साफ़ अवरोधक है जिसका निदान करने की जरूरत है और वह चीन है।

अमरीका चाहता है भारत बने NSG का सदस्य

कुछ ही दिन में ओबामा प्रशासन का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। 20 जनवरी से ट्रंप के प्रशासन की शुरुआत होगी। इस बारे में अमरीकी अफसरों ने माना कि चीनी प्रतिरोध की वजह से ही भारत एनएसजी का सदस्य नहीं बन पाया। एनएसजी में सहमति के आधार पर फैसला होता है। निशा देसाई ने कहा, अमरीकी प्रेसिडेंट अपने इस भरोसे को लेकर पूरी तरह स्पष्ट रहे हैं कि भारत एनएसजी के लिए योग्य है और अमरीका इस समूह में भारत की एंट्री को सपोर्ट करता है। निशा ने कहा, हमने एनएसजी में भारत के आवेदन का सपोर्ट करने के लिए भारत के साथ बहुत निकटता से काम किया, लेकिन हमने यह भी पाया कि वहां कुछ चिंताएं बनी हुई हैं, कुछ आपत्तियां हैं जिनको एनएसजी के कुछ सदस्यों ने प्रकट किया है और इनको लेकर काम करने की जरूरत है।

कई देशों ने सपोर्ट किया था पर चीन ने डाला था अडंगा

एनएसजी सदस्यता के मुद्दे पर भारत को अमरीका समेत कई देशों ने सपोर्ट किया था। लेकिन चीन के वीटो की वजह से भारत का आवेदन खारिज हो गया। चीन ने भारत की सदस्यता का विरोध करने वाले देशों की अगुवाई की। तुर्की, न्यूजीलैंड, आयरलैंड, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रिया ने इस मुद्दे पर चीनी रुख का समर्थन किया।

चीन हमेशा से करता रहा है भारत का विरोध
चीन हमेशा से एनएसजी में भारत के शामिल होने का विरोध करता रहा है। उसके मुताबिक़ सिर्फ परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत करने वाले देशों को ही एनएसजी में शामिल किया जाना चाहिए। चीन का तर्क है कि यदि किसी तरह की रियायत देकर भारत को सदस्यता दी जाती है तो पाकिस्तान को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए।


ये भी पढ़ें

image