
Pakistan historian being Criticized by people due to no record of past 1000 years
Pakistan: पाकिस्तान को भारत से अलग हुए 76 साल हो चुके हैं, इससे पहले पाकिस्तान भारत का ही अंग था और हजारों सालों तक इसका एक हिस्सा रहा था। जाहिर है कि भारत और पाकिस्तान का इतिहास एक रहा है लेकिन इस इतिहास को पाकिस्तान के इतिहासकार दबाने की कोशिश कर रहे हैं। अखंड भारत (India) के गौरवशाली इतिहास को पाकिस्तान के इतिहासकार ना तो पाकिस्तान की किताबों में जगह दे रहे हैं और ना ही स्कूल में पढ़ाई जाने वाली किताबों में। ये मुद्दा वक्त-वक्त पर उठता रहा है लेकिन पाकिस्तान की तरफ इस बारे में आज तक कोई जवाब नहीं आया। लेकिन अब पाकिस्तान में रहने वाले इतिहासकार ने ये मुद्दा फिर से उठा दिया। इतिहासकार का कहना है कि पाकिस्तान का इतिहास लिखने वालों ने 1000 सालों का इतिहास ही गायब कर दिया है।
एक पाकिस्तानी यू-ट्यूबर सोहेब चौधरी से बात करते हुए इतिहासकार ख्वाजा जमशेद इमाम ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की और कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इस इंटरव्यू में दिए गए ख्वाजा जमशेद के बयान के मुताबिक पाकिस्तान में जो किताबें स्कूल में पढ़ाई जा रही हैं उसमें उनके इतिहास का कोई नामोंनिशान नहीं है। ना ही किताबों में, चंद्रगुप्त मौर्य की बात की गई है और नाम ही सम्राट अशोक का जिक्र किया गया है, जबकि ये तो अखंड भारत का एक गौरवशाली इतिहास रहा है, 1947 में विभाजन होने से पहले तो पाकिस्तान भारत का हिस्सा था तो पाकिस्तान का इतिहास भारत से अलग कैसे हो गया।
जमशेद ने कहा कि वो जब छोटे थे, तो भगत सिंह, राजा पोरस, सम्राट अशोक और चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में पढ़ाया जाता था। लेकिन आज ये सब कुछ स्कूल की किताबों से गायब है। जमशेद ने आगे कहा कि हम आज भी भगत सिंह को अपना हीरो मानते हैं। असल हीरो सन ऑफ लैंड या सन ऑफ सोल होते हैं। हम पोरस को अपना राजा मानते हैं, जिसने सिकंदर को पानी पिला दिया था।
पाकिस्तान के इतिहास से ये स्वर्णिम 1000 साल कहां गायब कर दिए गए इसे लेकर ख्वाजा जमशेद ने कहा कि 1947 में भारत के बंटवारे के बाद इतिहास का भी बंटवारा हो गया। मोहम्मद अली जिन्ना की मौत के बाद जब पाकिस्तान की सत्ता लियाकत अली के हाथ में आई तब पाकिस्तान की संसद में एक ऑब्जेक्टिव रिजॉल्यूशन पास कराया गया। इसके मुताबिक रियासतों में इस्लाम धर्म थोप दिया गया। जबकि रियासतों का तो कोई धर्म नहीं होता। लेकिन इस रिजॉल्यूशन के बाद लोगों को इस्लाम धर्म कबूल कराया गया। उनकी विचारधारा इस्लामी मजहब वाली कराई गई, स्कूलों में पढा़ई जाने वाली किताबों के कंटेंट तक में खेल किया गया।
जमशेद के मुताबिक किताबों में 326 इस्वी में सिंकदर के भारत आने के बाद सीधे 712 इसवी का इतिहास बता दिया जब मोहम्मद बिन कासिम ने भारत पर आक्रमण किया था। इस दौरान ना तो राजा पोरस का जिक्र किया गया ना ही उस इतिहास को बताया गया और तो और 712 इसवी के बाद तो सीधे 1000 सालों के इतिहास को गायब करा दिया गया। पाकिस्तान की पाठ्यपुस्तकों तक में मौर्य वंश, चोल वंश, गुप्त वंश, मराठा शासन किसी का भी कोई जिक्र नहीं है। क्योंकि इसमें इस्लाम का कोई रोल नहीं था।
ख्वाज़ा जमशेद ने कहा कि “मैं भी ब्राह्मण जात का हूं, क्योंकि हमारे पूर्वज ब्राह्मण थे। हमारे पूर्वजों ने 1702 में इस्लाम धर्म कबूल कर लिया, इससे पहले तो हम वही थे ना जो हमारे पूर्वज थे।”
बता दें कि पाकिस्तान के इतिहासकार 1000 सालों के इतिहास का दबा रही है ये वहां का अब एक जटिल मुद्दा बनता जा रहा है। ये पाकिस्तान के स्कूलों के पाठ्यक्रम की प्राथमिकताओं, राजनीतिक विचारधारा और सांस्कृतिक पहचान के प्रश्नों से जुड़ा हुआ है। पाकिस्तान में शिक्षा और पाठ्यपुस्तकों को अक्सर सरकार ही नियंत्रित करती है। कई बार पाठ्यक्रमों को राजनीतिक, धार्मिक और वैचारिक प्राथमिकताओं के मुताबिक ही बदलाव किया जाता है। आलोचकों का मानना है कि इस प्रक्रिया में ऐतिहासिक तथ्यों का अपने हिसाब से पाक सरकार दुरपयोग कर रही है।
Published on:
28 Nov 2024 11:19 am
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