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सियाराम के मिलन का पर्व है ‘श्रीपंचमी’, आज ऐसे जगाएं अपना सोया भाग्य

Published: Dec 04, 2016 09:56:00 am

इस दिन श्रीराम और सीताजी का पूजन कर श्रीराम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें, तो अवश्य लाभ होगा

hanumanji ram darbar

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जिनके वैवाहिक जीवन में संतान या परिवार की कोई भी समस्या है, वे इस दिन श्रीराम और सीताजी का पूजन कर श्रीराम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें, तो अवश्य लाभ होगा।

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मार्गशीर्ष की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम तथा जनक पुत्री जानकी का विवाह हुआ था। तब से इस पंचमी को ‘श्रीपंचमी’ या ‘विवाह पंचमी’ पर्व के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। यह तिथि इस वर्ष 4 दिसंबर को है। रामचरितमानस में महाकवि गोस्वामी तुलसीदासजी ने त्रेता युग के श्रीराम और जनकनन्दिनी सीता के विवाह का वर्णन बेहद सुंदरता से किया है। सीताराम विवाह रामायण में रावण के अंत के लिए बढ़ाया एक कदम भी है क्योंकि रावण के अंत का सृजन सीताजी के हरण की घटना से ही प्रारम्भ हो गया था।

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यूं पूरी हुई जनक की प्रतिज्ञा

रामायण के अनुसार जनक की पुत्री सीता धर्मपरायण थीं। एक दिन जब जनकजी पूजा करने आए तो उन्होंने देखा कि शिव का धनुष एक हाथ में लिए हुए सीता पूजा स्थल की सफाई कर रही हैं। इस दृश्य को देखकर जनकजी आश्चर्यचकित रह गए कि इस अत्यंत भारी धनुष को एक सुकुमारी ने कैसे उठा लिया। उसी समय जनकजी ने तय कर लिया कि सीता का पति वही होगा जो शिव के इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने में सफल होगा। अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार राजा जनक ने धनुष-यज्ञ का आयोजन किया।

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इस यज्ञ में सम्पूर्ण संसार के राजा, महाराजा, राजकुमार तथा वीर पुरुषों को आमंत्रित किया गया। समारोह में अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र श्रीरामचन्द्र और लक्ष्मण अपने गुरु विश्वामित्र के साथ उपस्थित हुए। जब धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने की बारी आई तो वहां उपस्थित किसी भी वीर से प्रत्यंचा तो दूर धनुष हिला तक नहीं। तभी ऋषि विश्वामित्र ने प्रभु श्रीराम को आज्ञा देते हुए कह, ‘हे राम! उठो, शिवजी का धनुष तोड़ो और जनक का संताप मिटाओ। गुरु विश्वामित्र के वचन सुनकर श्रीराम तत्पर उठे और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए आगे बढ़े। यह दृश्य देखकर सीताजी के मन में उल्लास छा गया। माता सीता के मन की बात श्रीराम जान गए और उन्होंने देखते ही देखते धनुष को तोड़ दिया। सीताजी ने श्रीराम के गले में जयमाला पहनाई।

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मंदिरों में विशेष उत्सव

प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष की शुक्ल पंचमी को राम मंदिरों में विशेष उत्सव मनाया जाता है। आज के दिन भगवान श्रीराम का विधिवत पूजन और सांकेतिक रूप से या उत्सव के रूप में भगवान का विवाह सीताजी से कराया जाए तो जीवन में सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। जिनके वैवाहिक जीवन में संतान या परिवार से सम्बंधित कोई भी समस्या है तो वे इस दिन श्रीराम और सीताजी का पूजन करके श्रीराम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें तो अवश्य लाभ होगा।
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