
Mushtaq Ahmed Zargar
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में जकूरा के पास हुए आतंकी हमले में सशस्त्र सीमा बल के काफिले को निशाना बनाया गया। प्रतिबंधित अल-उमर मुजाहिदीन नाम के आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए भविष्य में इसी तरीके के और हमले करने की चेतावनी दी है।
भले ही इसे घाटी में एक आतंकी घटना की तरह देखा जा रहा हो, लेकिन अगर अतीत पर नजर दौड़ाएं तो इससे 90 के दशक की यादें ताजा हो गई हैं। वजह है इस आतंकी संगठन का मुखिया मुश्ताक अहमद जरगर, जो 17 साल बाद सामने आया है।
मुश्ताक अहमद जरगर वही शख्स है, जिसे 1999 में विमान आईसी-814 के अपहृत यात्रियों को रिहा करने के बदले छोड़ा गया था। यात्रियों की सकुशल रिहाई के लिए तीन खूंखार आतंकियों को छोड़ा गया था। इनके नाम हैं- मौलाना मसूद अजहर, शेख उमर और मुश्ताक अहमद जरगर।
मौलाना मसूद अजहर ने पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद नाम के आतंकी संगठन की नींव रखी, जिस पर 2001 में भारतीय संसद, इस साल पठानकोट और उरी में सेना के ब्रिगेड मुख्यालय पर हमले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है।
क्या है मुश्ताक अहमद जरगर का अतीत?
मुश्ताक अहमद जरगर के 1999 के बाद सामने आने से घाटी में दहशत की नई दस्तक देखी जा रही है। दो दशक के बाद कश्मीर घाटी में अल-उमर मुजाहिदीन एक बार फिर से सक्रिय हुआ है। जकूरा हमले में एसएसबी का एक जवान शहीद हुआ है।
मुश्ताक अहमद जरगर नाम के कुख्यात आतंकवादी को 1992 में सुरक्षाबलों ने गिरफ्तार कर लिया था। इससे पहले 12 अगस्त 1989 को तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण में उसका नाम सामने आया था।
रूबिया सईद की रिहाई के बदले जदगर ने पांच आतंकवादियों को छोड़ने की मांग की थी। जिसे तत्कालीन सरकार ने मान लिया था। इसके बाद मुश्ताक ने श्रीनगर में हत्या की कई वारदातों को अंजाम दिया।
15 मई 1992 को जरगर सुरक्षाबलों की गिरफ्त में आया। गिरफ्तारी के बाद उसका आतंकी संगठन अल-उमर-मुजाहिदीन खत्म हो गया। सात साल बाद दिसंबर 1999 में आतंकवादियों ने भारतीय विमान (आईसी-814) को अगवा कर लिया।
Published on:
16 Oct 2016 07:06 am
