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प्रेम संबंध: निचली अदालतों का फैसला पलटा, प्रेमी युवक को किया दोषमुक्त

प्रेम संबंध के एक मामले में प्रेमिका की हत्या का दोषी ठहराने के ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रेमी को बरी कर दिया है।

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सीकर

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Santosh Trivedi

Jun 11, 2017

प्रेम संबंध के एक मामले में प्रेमिका की हत्या का दोषी ठहराने के ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रेमी को बरी कर दिया है। मामला 1 नवंबर 1995 का है, जब जयपुर की एक एमबीए छात्रा ने प्रेमी से शादी की अनुमति नहीं मिलने पर जहर खा खुदकुशी कर ली।

घटना वाले दिन युवती घर से शाम को क्लास के लिए निकली लेकिन रात 9 बजे तक घर नहीं लौटी। 10 बजे घरवालों को सूचना मिली कि वह एसएमएस में भर्ती है। परिजन अस्पताल पहुंचे तो वह मृत पाई गई। युवती के माता-पिता ने अगले दिन गांधीनगर थाने में प्रेमी युवक सतीश निरंकारी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया।

जयपुर के ट्रायल कोर्ट ने खुदकुशी की बात नकारी और युवक को हत्या का दोषी मान उम्रकैद की सजा दी। युवक ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने 19 फरवरी 2007 को अपने फैसले में युवक को हत्या का दोषी माना। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि अभियोजन आरोप साबित नहीं कर पाया है। अभियोजन में कई किस्म के संदेह पैदा होते हैं, जिसके आधार पर आरोपित को दोषमुक्त किया जाता है।

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