ब्रिटेन के शाही परिवार के 69 वर्षीय प्रिंस चाल्र्स ने कहा है कि आज का समय आधा मशीन और आधा इंसान जैसा हो गया है। पहले मशीनें जिंदगी का हिस्सा होती थीं लेकिन अब मशीनें जिंदगी बन गई हैं।
ब्रिटेन के शाही परिवार के 69 वर्षीय प्रिंस चाल्र्स ने कहा है कि आज का समय आधा मशीन और आधा इंसान जैसा हो गया है। पहले मशीनें जिंदगी का हिस्सा होती थीं लेकिन अब मशीनें जिंदगी बन गई हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बारे में सोचना होगा जिसका प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि वे इस बात से निराश हैं कि कैसे मनुष्य मशीनों से बात करने में व्यस्त है और इसके अलावा उसे कोई सुध नहीं है। मुझे सबसे कठिन लगता है कि मनुष्य मशीनों पर आश्रित हो गया है जो मानव सभ्यता के लिए किसी तरह से ठीक नहीं है।
जितनी तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग बढ़ रहा है उतनी ही तेजी से आने वाले समय में लोग पारंपरिक तौर तरीकों की ओर भागेंगे जो मनुष्यों द्वारा तैयार किया गया होगा ना कि मशीनों द्वारा। प्रिंस चाल्र्स का मानना है कि मानव जीवन में मशीनीकरण वातावरण को खराब करने के साथ मनुष्य जीवन को प्रभावित करने का काम कर रहा है।
हम जिस ग्रह पर रह रहे हैं उसकी कुछ सीमाएं हैं। अब हम उसकी सीमाओं को लांघने में लगे हैं जो किसी हद तक ठीक नहीं है। इंसान को सोचना होगा कि मशीनें और आधुनिक तकनीक उसकी जिंदगी को आसान तो बना रही हैं लेकिन परेशानियां भी खड़ी कर रही हैं। मशीनें भविष्य में परिवार और समाज में अलगाव की स्थिति पैदा करेंगी जिसको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।
एलन मस्क भी एआई के मुखर विरोधी हैं। उन्होंने चेतावनी दी थी कि एआई एक दिन मनुष्य जीवन का ‘अमर तानाशाह’ होगा जिसकी कैद से बाहर निकलना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा था कि एआई युक्त मशीनें को अपनाना जिंदगी में शैतान को अपनाने के बराबर है।
महान दिवंगत वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने कहा था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धि) भविष्य में जैविक विकास को बाधित करने का काम करेगी जिससे मनुष्य कोई भी काम समय पर पूरा नहीं कर पाएगा और धीरे-धीरे वे प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाएगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव जितनी तेजी से बढ़ रहा है, भविष्य में लोग उतनी ही तेजी से पारंपरिक तौर तरीकों को अधिक पसंद करेंगे।
(वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत)