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ये कैसी मजबूरी! देश का मुकद्दर तय करने वाले तो चुने, हक न ले सके

उत्तर प्रदेश राज्य देश के राजनैतिक समीकरण बदलने की ताकत को रखता है लेकिन यहां एक वर्ग ऐसा भी है इस ताकत के बाद भी आज तक अपने हक से महरूम है।

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Amit Sharma

Aug 28, 2016

Aakhir Kyun

Speak UP

आगरा।
20 करोड़ की आबादी, देश का सबसे बड़ा प्रदेश। देश को सर्वाधिक प्रधानमंत्री देने वाला प्रदेश आज बदहाल है। उत्तर प्रदेश में न तो विकास का पहिया, अपने चरम पर घूमा और नाहीं यहां की जनता को खुशहाल जीवन मिल सका। आलम यह है कि सर्वाधिक पीएम देने के बाद भी यूपी बदहाल है। झुग्गियों में रहने वाले लोग आज भी पशुवत जीवन जी रहे हैं। उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।


25 वर्ष में नहीं ली अधिकारियों ने सुध

बोदला-सिकंदरा रोड स्थित अन्ना आईकॉन कॉम्पलेक्स के सामने 25 वर्ष से झुग्गी झोपड़ी में जीवन यापन कर रहे हैं। सरकार की गरीबों को आवास देने की तमाम योजनाएं चल रही हैं, लेकिन ये लोग इन झुग्गी झोपड़ियों के अलावा, पक्के मकान में देखने का सिर्फ सपना ही देख रहे हैं। न तो इन्हें किसी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, नाहीं सस्ते दामों पर राशन मिल पाता है। कहते हैं कि नदियों के इस देश में पानी तो कम से कम फ्री में मिल जाता है, लेकिन ये लोग दैनिक प्रयोग के लिए पानी भी खरीदकर पीते हैं। इन्हें अंदाजा भी नहीं है कि गरीबों के लिए सरकार की क्या योजनाएं चल रही हैं। पत्रिका टीम ने जब इनसे बात की, तो उन्होंने बताया कि 25 वर्ष में उनके पास न तो कोई सरकारी अधिकारी आया और नाहीं कोई जन​प्रतिनिधि।


टपकते पानी में भूख पेट बिलखते बच्चे

इन झुग्गी झोपड़ी में निवास करने वाले सरजू ने बताया कि बारिश के दिनों में घास फूस से बनी झोपड़ी से पानी टपकता है। बारिश के दिनों में काम भी नहीं मिलता है। एक माह में बमुश्किल 10 दिन काम मिल जाए, बड़ी बात है। 10 दिन के रोजगार में महीने भर तक परिवार का पालन करना बेहद मुश्किल होता है। लगातार होने वाली बारिश के दौरान तो हालत यह हो जाती हैं, कि टपकते पानी में बच्चे भूखे पेट बिलखते हैं। न कोई सहारा देने वाला होता है और नाहीं कोई मदद करने वाला। बस ईश्वर से दुआ करते हैं, कि दो वक्त की रोटी के लिए कम से कम कोई रोजगार तो मिल जाए।


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नहीं मिली कोई पहचान

सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने बताया कि नियम ये है कि 10 वर्ष में नागरिकता मिल जाती है, लेकिन इन लोगों को तो 25 वर्ष बाद भी कोई पहचान नहीं मिल सकी है। इससे बड़ा यूपी बदहाली का कोई कारण क्या हो सकता है। इन लोगों के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना बेहद मुश्किल होता है। इनके बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। इनके लिए सरकार को काई ठोस कदम उठाने चाहिए।


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