12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कांगो: पूर्वी प्रांत में बढ़ रहा है इबोला का आतंक, मरने वालों की संख्या पहुंची 55

सरकार ने अगले तीन महीने तक इस बीमारी के इलाज को निशुल्क करने का ऐलान किया है।

2 min read
Google source verification

image

Shweta Singh

Aug 22, 2018

kango still in threat with ebola 55 death till now

कांगो: पूर्वी प्रांत में बढ़ रहा है इबोला का आतंक, मरने वालों की संख्या पहुंची 55

किन्शासा। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में इस वक्त इबोला का खतरा बढ़ता जा रहा है। ताजा जानकारी के अनुसार वहां के पूर्वी भाग में इस महीने इबोला के कारण मरने वालों की संख्या 55 हो गई है, पहले ये संख्या 50 बताई जा रही थी। इस बढ़ते खतरे को देखकर वहां की सरकार बेहद चिंतित है।

अगले तीन महीने तक इस बीमारी का इलाज निशुल्क

मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि सरकार ने अगले तीन महीने तक इस बीमारी के इलाज को निशुल्क करने का ऐलान किया है। इस संबंध में कांगो के स्वास्थ्य मंत्रालय बुलेटन भी जारी किया है। उन्होंने अपने ताजा बुलेटन में बताया है कि बेनी के नजदीक मबालको-मांगीना में पांच लोगों की मौत की जानकारी मिली है। जिसके बाद ये इस संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। आपको बता दें कि कांगो में इबोला से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र वहां का उत्तरी कीवु इलाका है।

96 में से 69 मामलों में इबोला होने की पुष्टि

इस बारे में मंत्रालय का कहना है कि, 'रक्तस्रावी बुखार के सभी 96 मामले सामने आए थे। जिनमें से 69 मामलों में इबोला होने की पुष्टि की गई है। वहीं इसके अलावा बचे हुए 27 केसों को संभावित मामलों के तौर पर देखा जा रहा है।' वहीं इसी बीच बीमारी से निपटने के लिए तैनात किए चिकित्सीय दल ने इस वायरस के संपर्क में आने वाले लोगों की संभावित संख्या को मेडिकल जांच के बाद 1609 कर दिया है, जो पहले 2157 थी।

फैसले के पीछे का मकसद

वहां के बेनी प्रांत के मेयर जीन एडमॉन्ड नयोनी मासूम्बुको बवांनाकावा ने ऐलान किया कि सरकार ने बेनी, मबालको-मांगीना और ओइका में आने वाले तीन महीनों तक के लिए इबोला से ग्रस्त लोगों का मुफ्त इलाज करने का फैसला किया है। मेडिकल टीम के इन-चार्ज डॉ बाथ नज्जोलोको तंबवे ने इस कदम की तारीफ की। उन्होंने कहा इस फैसले का मकसद 'वित्तीय रूकावट को खत्न करना था, जिनके चलते लोग स्वास्थ्य केंद्र जाकर इलाज कराने से बचते थे।'