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आगरा विकास प्राधिकरण के कारण गढ़ी संपत में बच्चों की शादी नहीं हो पा रही, देखें वीडियो

-भूमि बचाओ किसान संघर्ष समिति पहुंची गांव तो मिली जानकारी
-एडीए ने जमीन का अधिग्रहण तो कर लिया लेकिन मुआवजा नहीं दिया
-व्यापारी दुखी और 80 फीसदी आबादी वासा किसान आज भी दुखी है
-किसान कॉल सेन्टर हाथी के दांत की तरह हो गया है, नम्बर नहीं उठता

आगराDec 10, 2019 / 05:05 pm

Bhanu Pratap

kisan

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आगरा। भूमि बचाओ किसान संघर्ष समिति सक्रिय है। गांवों में रहने वाले किसानों (Farmers) और मजदूरों से संवाद किया जा रहा है। अपने अधिकारों, आवश्यकताओं व समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास किया जा रहा है। किसानों को आगामी संघर्ष के लिए तैयार किया जा रहा है। इसे नाम दिया गया है गांव-गांव जागरण अभियान। गांवों में बताया जा रहा है व्यापारी (Traders) सुखी और किसान (kisan) दुखी, क्योंकि किसान भविष्य की समस्याओं को पहले ही भांप लेता है। आगरा विकास प्राधिकरण (Agra Development Authority) ने जमीन अधिग्रहण (land acquisition) के बाद भी मुआवजा (compensation) नहीं दिया है। इससे किसान दुखी हैं।
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जमीन का अधिग्रहण लेकिन मुआवजा नहीं

इसी क्रम में किसान नेता गढ़ी संपत (रायपुर), एत्मादपुर पहुंचे। आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा लैंड पार्सल के लिए कई गांवों की जमीन को अधिग्रहित किया गया था, जिसमें गढ़ी संपत की खेती योग्य जमीन भी शामिल है। विडंबना है कि अधिग्रहण के बदले जमीन के मालिक किसानों को मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ| जमीन से उनका नाम भी खारिज कर दिया गया। वर्तमान में ऐसे किसानों की दशा बहुत खराब है। ऐसे कई किसान हैं, जिनके सामने भविष्य का संकट है। बच्चों की शादियां नहीं हो पा रही हैं। जीवनयापन का कोई साधन नहीं है। जमीन न होने से किसान को मिलने वाले लाभ भी उनको प्राप्त नहीं हो रहे हैं। समाज में सम्मान भी नहीं मिल पा रहा है।
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आंदोलन के बाद भी सिर्फ आश्वासन मिला

ग्रामवासियों ने बताया कि मुआवजा के लिए 18 दिन तक टोल प्लाजा पर धरना दिया। कमिश्नरी में धरना दिया। हजारों की संख्या में किसानों ने संघर्ष किया। कई बार विधायक व सांसदों की उपस्थिति में किसानों को पैसा दिलाने का आश्वासन दिया गया। आश्वासन सिर्फ आश्वासन ही रह गए। कोई भी परिणाम प्राप्त नहीं हुआ|
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किसान कॉल सेन्टर हाथी के दांत की तरह

किसानों से यह भी जानकारी ली गयी कि किसान सेंटर पर कॉल करने पर संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता है। किसान कॉल सेंटर हाथी के दांत साबित हो रहा है| किसानों ने बताया कि काल सेन्टर नंबर 1551 पर अपनी समस्याओं को बताकर कुछ हद तक निदान करवा लेते थे। लेकिन अब यह नंबर भी कम ही उठाया जाता है| भूमि बचाओ किसान संघर्ष समिति के सदस्य भी सौर ऊर्जा, पराली और गायों से सम्बन्धित समस्या को लेकर किसान कॉल सेन्टर का नम्बर लगाते रहे। किसी ने फोन रिसीव नहीं किया। किसानों ने सरकार से इस नम्बर को शीघ्र सुचारु करने की मांग की है।
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व्यापारी और किसान

वक्ताओं ने उपस्थित लोगों को बताया कि व्यापारी वर्ग जागरुकता के चलते अपनी समस्याओं का निदान अतिशीघ्र करा लेता है। अधिकांश मामलों में व्यापारियों को सड़क पर आकर धरना, प्रदर्शन, अनशन आदि तरीके नहीं अपनाने पड़ते हैं|इसका एकमात्र कारण यह है कि वे वर्तमान के आधार पर भावी समस्याओं को भांप जाते हैं। उनके निराकरण के लिए तुरंत हर स्तर पर प्रयास शुरू कर देते हैं| इसी कारण व्यापारी वर्ग समृद्ध और सुखी है।देश की 80% आबादी किसान होने के बाद भी किसान और मजदूर सबसे अधिक गरीब और समस्याग्रस्त हैं| किसान अपनी समस्याओं को उचित समय पर उचित तरीके से उठाना नहीं जानते हैं| भूमि बचाओ किसान सघंर्ष समिति के संयोजक ने कहा है कि अब समय आ गया है कि किसान जागरूक ह़ों। किसान आयोग की माँग को चौपाल-चौपाल पर रखें। गांव में भविष्य के संघर्ष के लिए ग्राम समिति का गठन किया गया, जिसकी जिम्मेदारी अनिल सिकरवार, राहुल सिकरवार और रिंकू सिंह को दी गई|
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इन्होंने रखे विचार

सभा में भूमि बचाओ किसान संघर्ष समिति संयोजक मनोज शर्मा, सन्तोष शर्मा, सर्वेश सिकरवार, कुँवरपाल सिंह सिकरवार, सुनील सिकरवार, जयपाल, अनूप, विपत्ति सिंह सिकरवार, अमरपाल सिंह सिकरवार, उपदेश सिंह, वीरेंद्र सिंह, गोलू सिंह, ज्वाला सिंह, सुरेश सिंह, अनिल कुमार यादव, बृजमोहन एडवोकेट, हरिओम, रामनरेश आदि उपस्थित रहे।

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