दादाजी महाराज ने कहृ- आखिर कितना धन कमाओगे। किसी के पास धन है, तो वह खर्च नहीं करता और जो निर्धन है, खर्च करना चाहता है, उस पर धन नहीं है। जिनके पास धन हो जाता है, उनमें कंजूसी और बढ़ जाती है। एक बात याद रखें कि राधास्वामी मत कहता है कि जिसके पास धन है, उसे परमार्थ के काम में खर्च करना चाहिए। सत्संग में खर्च करना चाहिए। रसोई में देना चाहिए। जो यहां साधु-सत्संगी रहते हैं, उनकी सेवा में लगाना चाहिए। मैंने ये देखा कि जिन पर ज्यादा धन हो जाता है, वो खर्च नहीं करते हैं। ऐसे विरले लोग हैं, जो वास्तविक तौर पर परमार्थ में खर्च करते हैं। गुरु न भूखा तेरे धन का, उन पर धन है भक्ति नाम का, पर तेरा उपकार करावें, भूखे प्यासे को दिलवावें, उनकी मेहर मुफ्त पावें। तू भी उनकी दया का अधीन है।