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National Epilepsy Day मिर्गी के दौरे में जूता सुंघाएं या नहीं, पढ़िए क्या कहते हैं डॉ. एके गुप्ता, देखें वीडियो

-मिर्गी के कारण शादी तक टूट जाती हैं
-लाइलाज नहीं रही Epilepsy बीमारी
-मिर्गी के दौरे क्या करें, क्या न करें

आगराNov 16, 2019 / 10:36 am

Bhanu Pratap

Epilepsy

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आगरा। किसी को मिर्गी (Epilepsy) का दौरा आ जाए तो हड़कम्प मच जाता है। लोग तमाम तरह के जतन करने लगते हैं। कोई मुंह में जबरन पानी डालने लगता है तो कोई दांतों के बीच कुछ फँसाने लगता है। कुछ लोग जूता सुंघाने लगते हैं। मिर्गी के दौरे में क्या ये सब काम करने चाहिए? क्या मिर्गी का दौरा लाइलाज बीमारी है? इसी तरह की तमाम जिज्ञासाओं को लेकर हम पहुंचे एसएन मेडिकल कॉलेज (SN medical college) में मनोरोग विशेषज्ञ प्रोफेसर एके गुप्ता (Dr AK gupta) के पास। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा-
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जूता सुंघाने का मतलब
डॉ. एके गुप्ता ने बताया कि मिर्गी के दौरे के वक्त जूता सुंघाने में कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं जुड़ा हुआ है। मिर्गी आने पर जूता सुंघाने से कोई लाभ नहीं होता है। मिर्गी का दौरा आने पर तुरंत व्यक्ति को बाईं करवट से लिटाएं। मुंह से झाग, थूक या खून निकल रहा है तो उसे साफ करें ताकि ये गले में न चली जाएं। अगर थूक, झाग या खून गले में चला गया तो सांस रुक सकती है और जान को खतरा हो सकता है। यह पूछे जाने पर जूता सुंघाने के बाद व्यक्ति को होश आ जाता है, तो उन्होंने कहा कि मिर्गी का दौरा एक-दो मिनट बाद अपने आप समाप्त हो जाता है। हमें लगता है कि जूता सुंघाने से ऐसा हुआ है।
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क्या मिर्गी लाइलाज है

डॉ. गुप्ता ने बताया कि मिर्गी सौ फीसदी ठीक हो जाती है, पर इसकी दवा ठीक से करने की जरूरत है। धीरे-धीरे दवा को कम किया जाता है। फिर इंसान दवा और बीमारी से पूरी तरह मुक्त हो जाता है। दवा का पूरा कोर्स करना जरूरी है। यह कोर्स अलग-अलग लोगों में अलग-अलग होता है। विभिन्न जांचों के आधार पर कोर्स का समय तय होता है।
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मिर्गी के लक्षण

मिर्गी किसी एक बीमारी का नाम नहीं है। यह तमाम तरह की बीमारियों का समुच्चय है। मिर्गी के दौरे के वक्त दिमागी संतुलन खराब हो जाता है। शरीर लड़खड़ाने लगता है और व्यक्ति का खुद पर नियंत्रण नहीं रहता है। वह जिस स्थिति में होता है, उसी में गिर जाता है। अचानक बेहोशी आ जाती है। हाथ-पांव में झटके आने लगता है। मुंह से झाग निकलने लगता है। मिर्गी के दौरे में यह भी देखा गया है कि व्यक्ति ठीकठाक होता है और अचानक ही बेहोश हो जाता है। दौरा का प्रभाव खत्म होने के बाद भी स्पष्ट बोलने में समस्या आती है।
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क्यों आती है मिर्गी

ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन स्ट्रोक, दिमागी बुखार, सिर पर चोट, शराब और नशील दवाइयों का अत्यधिक सेवन से मिर्गी का दौरा आ जाता है।
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इलाज कराएं

17 नवम्बर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (National epilepsy Day) है। इस दिन लोगों को मिर्गी के बारे में जागरूक किया जाता है। आज भी मिर्गी के बारे में तमाम तरह के मिथक चल रहे हैं। पहला मिथक तो यही है कि ये बीमारी कभी ठीक नही होती है। दूसरा मिथक यह है कि जूता सुंघाने पर होश आ जाता है। यह भी देखा गया है कि शादी के वक्त दूल्हा या दुल्हन को मिर्गी का दौरा आ गया और शादी टूट गई। अगर जानकारी हो तो शादी टूटने से बचाई जा सकती है। डॉ. एके गुप्ता का कहना है कि मिर्गी का इलाज कराएं और स्वस्थ जीवन जीएं।

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