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आगरा

मिलिए Pink Belt Mission चला रहीं अपर्णा राजावत से जिनके जीवन संघर्ष पर हॉलीवुड फिल्म बना रहा

गैर सरकारी संगठन पिंक बेल्ट मिशन के माध्यम से महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा रहीअपर्णा राजावत जूडो-कराटे की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदक जीतेमहिलाओं को हर दृष्टि से सशक्त बनाया जा रहा, कानूनी जानकारी भी दी जा रहीदेश के 17 राज्यों में अभियान, दो हजार ट्रेनर, सरकार या कहीं से कोई मदद नहीं

आगराFeb 10, 2020 / 04:59 pm

अमित शर्मा

मिलिए Pink Belt Mission चला रहीं अपर्णा राजावत से जिनके जीवन संघर्ष पर हॉलीवुड फिल्म बना रहा

मिलिए Pink Belt Mission चला रहीं अपर्णा राजावत से जिनके जीवन संघर्ष पर हॉलीवुड फिल्म बना रहा

आगरा। मुश्किल नहीं है कुछ भी गर ठान लीजिए…। कुछ ऐसी ही कहानी है अपर्णा राजावत की। गैर सरकारी संगठन पिंक बेल्ट मिशन के माध्यम से महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा रही हैं। उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित कर रही हैं। सशक्त कर रही हैं। उनका फंडा है, अपनी रक्षा खुद करो, शिकार मत बनो। उनके कदम आगे बढ़े तो इतने कि हॉलीवुड उनके काम पर फिदा हो गया। अपर्णा राजावत के जीवन संघर्ष पर हॉलीवुड फिल्म बना रहा है। इसकी शूटिंग लॉस एंजलेस स्थित हॉलीवुड सिटी में हो चुकी है। जॉन मैकरीट फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं। इसका चरम आगरा में 19 फरवरी को 25 हजार महिलाओं के साथ होगा। इसी दिन आगरा में विश्व रिकॉर्ड भी बनेगा।
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निर्भया कांड के बाद शुरू किया पिंक बेल्ट मिशन
वर्ष 2015 में जब दिल्ली में निर्भया कांड हुआ तो वे लंदन में थीं। निर्भया कांड ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया। फिर सोचा कि क्या नए-नए कानून बनाने से महिलाएं सुरक्षित रह सकती हैं। विचार आया कि महिलाओं को अपनी सुरक्षा स्वयं करनी होगी। महिलाओं को आत्मरक्षा में प्रवीण बनना होगा। फिर उन्होंने 2016 में पिंक बेल्ट मिशन का गठन किया और जुट गई अपने अभियान में। बिना किसी सरकारी मदद के अपर्णा राजावत ने पिंक बेल्ट मिशन के तहत बालिकाओं को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया। उन्होंने 4,800 ट्रेनर तैयार किए हैं जो स्कूलों में जाकर प्रशिक्षण देते हैं। उनका मिशन अब तक 1.48 लाख बालिकाओं को प्रशिक्षित कर चुका है। 2018 में राजस्थान राज्य महिला आयोग ने उन्हें राज्य के स्कूलों में प्रशिक्षण का जिम्मा दिया। इसके बाद उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे ओपी सिंह ने विमेन पॉवर लाइन 1090 के तहत जिम्मेदारी दी।
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अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी
अपर्णा जूडो-कराटे की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रही हैं। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक जीते। अपर्णा किक बॉक्सिंग में नेशनल चैंपियन रहीं। कनाडा में 2012 में स्टार ऑफ एशिया अवॉर्ड मिला। समाजसेवा के लिए अमेरिका में सम्मान मिला। सत्यार्थ भदौरिया पिंक बेल्ट मिशन के मुखिया हैं, जो अपर्णा राजावत के भांजे हैं। अपर्णा राजावत के माता-पिता का स्वर्गवास हो चुका है।
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हॉलीवुड की नजर में कैसे आईं
लंदन में पिंक बेल्ट मिशन चलाया। अमेरिका गईं। वहां भारतीय दूतावास में सचिव रूपल शाह ने उनकी काफी मदद की। उनके मिशन के बारे में एक खबर इटली के वेब पोर्टल पर चली। इसे पढ़कर हॉलीवुड डायरेक्टर जॉन मैकरीट ने उनसे संपर्क किया और फिल्म बनाने का प्रस्ताव दिया। फिल्म में भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति भी दिखाई जाएगी। तमाम मुद्दों पर पत्रिका ने उनसे लम्बी बातचीत की।
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पत्रिकाः पिंक बेल्ट मिशन की शुरुआत क्यों की?
अपर्णा राजावतः निर्भया कांड के बाद मैंने नेशनल ब्यूरो क्राइम के माध्यम से महिलाओं के प्रति अपराध का ग्राफ देखा तो शॉकिंग था। वॉट्सऐप पर ब्लैक डीपी और कैंडल मार्च से क्या मिल रहा है। मुझे लगा कि कोई कर कुछ नहीं रहा है। फिर महिलाओं को आत्मरक्षा करना सिखाना शुरू कर दिया।
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पत्रिकाः मिशन का उद्देश्य क्या लड़कियों को मारधाड़ सिखाना ही है?
अपर्णा राजावतः नहीं। मारधाड़ बहुत छोड़ा से पार्ट है। महिलाओं को मानसिक, शारीरिक, डिजिटली रूप से सशक्त करना है। कानूनी ज्ञान देना है। कितनी लड़कियों को मालूम है कि अगर कोई 15 सेकेंड से अधिक घूर ले तो उसे एक साल के लिए जेल भेजा जा सकता है। फेसबुक पर भी हाय-हैलो के मैसेज भेजकर परेशान करना भी अपराध है। लड़कियों को यह सब पता होना चाहिए। स्कूल और कॉलेज में पाठ्यक्रम के अलावा इसकी क्लास भी होनी चाहिए ताकि बालिकाएं जागरूक हो सकें। लड़कों को भी नहीं पता है।
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पत्रिकाः देश में कहां-कहां पिंक बेल्ट मिशन चल रहा है?
अपर्णा राजावतः आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश में चल रहा है। करीब 17 प्रदेशों में है। हमारे ट्रेनर्स यह काम कर रहे हैं। आगरा में 19 फरवरी का ईवेंट करने के बाद देश क्या विदेश में भी ले जाएंगे। हर जगह जरूरत है।
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पत्रिकाः खर्च कैसे चला रहे हैं?
अपर्णा राजावतः मेरे साथ दो हजार से अधिक महिलाएं ट्रेनर के रूप में जुड़ी हैं जो निःशुल्क रूप से काम कर रही हैं। सब अपनी जेब से खर्च कर रही हैं। सरकार या किसी कम्पनी से कोई फंड नहीं मिला है।
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पत्रिकाः कोई पीड़ित महिला संपर्क करे तो उसकी मदद करते हैं?
अपर्णा राजावतः हमारे पास कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं है। ये हमारा भविष्य का प्लान है। जब हमें सरकारी या किसी कंपनी से मदद मिलेगी तो इस पर काम करेंगे।
पत्रिकाः लड़कियों को चाकू चलाने की बात कही जा रही है?
अपर्णा राजावतः जब महिला किचन में चाकू से हर काम कर सकती है, परिवार चला सकती है, तो ऐसा क्या कारण है कि बाहर अपनी रक्षा नहीं कर पा रही है।
पत्रिकाः महिला अपराध के लिए क्या सारा दोष लड़कों का है, लड़कियों का नहीं है?
अपर्णा राजावतः दोष तो ओछी और गंदी मानसिकता का है। दुख की बात है कि देश में हर चीज जाति, धर्म या ***** भेद में बांट दी जाती है। मानसिकता जिसकी गलत है, वह दोषी है। दोनों की मानसिकता को ठीक करना हमारा उद्देश्य है।
पत्रिकाः रेप के अधिकांश मामले घर में होते हैं, उसके लिए कोई काम?
अपर्णा राजावतः ये सबसे भयावह दृश्य है हमारे देश का। सरकारी आकड़े भी कहते हैं कि महिलाओं के प्रति अपराध घर में अधिक होते हैं। अधिकांशतः नाबालिग के साथ होते हैं क्योंकि उन्हें डराना और धमकाना बहुत आसान है। रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो बहुत दुखदायी बात है।
पत्रिकाः महिलाओं के प्रति अपराध के मामले में पुलिस की भूमिका कैसी लगती है?
अपर्णा राजावतः मैं पुलिस की भूमिका से अंतुष्ट हूं। सरकार और पुलिस चाहे तो विदेश में भारत का नाम खराब करने वाले आंकड़े कम हो सकते हैं।
पत्रिकाः आप लंदन में रहे हैं, वहां महिला अपराध की क्या स्थिति है?
अपर्णा राजावतः लंदन में महिलाओं को जो आजादी है, उसका तुलना भारत से नहीं कर सकते हैं। हमारे यहां आजादी का मतलब सेक्सुअल आजादी के रूप में लिया जाता है। यह आजादी नहीं है। आजादी का मतलब है महिला स्वेच्छा से अपना जीवन जी पाए। महिला और पुरुष को समान अधिकार और सम्मान हो। बाहर भी गंदी मानसिकता है, लेकिन वहां आकड़े बहुत कम हैं।
पत्रिकाः वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए आगरा के लोगों से क्या कहना चाहती हैं?
अपर्णा राजावतः 19 फरवरी को सुबह आठ बजे एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम में सब पहुंचें। 25 हजार महिलाएं रहेंगी। सब एक साथ मिलकर कहें- अब हम नहीं सहेंगे। हम साथ खड़ा होना सीखेंगे तो अपने लिए न्याय मांगना भी आसान होगा।

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