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आगरा

ताज महोत्सव को भी लगी कोरोना की नजर, महामारी के चलते रद्द किया गया आयोजन

Highlights
– 30 साल में पहली बार ताज महोत्सव के आयोजन पर लगा ब्रेक
– प्रशासन के फैसले से शिल्पियों के साथ आम लोग भी निराश
– कलाकार बोले- कोरोना प्रोटोकॉल के तहत बाजार खुले तो महोत्सव क्यों नहीं

आगराJan 13, 2021 / 03:39 pm

lokesh verma

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आगरा. कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के चलते सरकार की गाइडलाइन के बीच जिला प्रशासन ने 30 साल में पहली बार ताज महोत्सव (Taj Mahotsav) के आयोजन पर रोक लगा दी है। जिससे न सिर्फ यहां व्यापारियों को झटका लगा है, बल्कि आम लोग भी निराश हैं। बता दें कि हर वर्ष 18 से 27 फरवरी के बीच चलने वाले 10 दिवसीय ताज महोत्सव का आयोजन इस बार नहीं होगा। कोरोना संक्रमण के कारण प्रशासन ने ताज महोत्सव के आयोजन को रद्द कर दिया है। पर्यटकों के साथ इससे व्यापारियों को भी काफी नुकसान होगा, क्योंकि इस दस दिवसीय आयोजन से व्यापारियों को सबसे अधिक फायदा मिलता रहा है।
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उल्लेखनीय है कि दुनियाभर में आगरा ताजमहल के लिए पहचाना जाता है। वैसे तो सालभर यहां पर्यटकों की बड़ी तादाद में आवाजाही रहती है, लेकिन ताज महोत्सव पर यहां का माहौल कुछ हटकर होता है। यह महोत्सव ताजमहल के करीब शिल्पग्राम में उत्तर प्रदेश टूरिज्म की ओर से किया जाता है, जिसका उद्देश्य दुनियाभर के पर्यटकों को यहां की कला-संस्कृति और शान-ओ-शौकत से रुबरू कराना है। 10 दिन तक चलने वाले इस महोत्सव में पर्यटकों का भरपूर मनोरंजन होता है। इस दौरान कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम, बॉलीवुड नाइट, गीत-संगीत, नृत्य आदि आयोजित किए जाते हैं। यहां पर्यटक विभिन्न कला-संस्कृति के साथ लजीज व्यंजनों का भी लुत्फ उठाते हैं।
1992 से हुई थी ताज महोत्सव की शुरुआत

बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार के टूरिज्म की तरफ से आयोजित किए जाने वाले ताज महोत्सव की शुरुआत 1992 में हुई थी। उसके बाद से हर साल 18 से 27 फरवरी के बीच ताज महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस दस दिवसीय आयोजन में हर साल 300 से ज्यादा शिल्पी अपना हुनर दिखाते हैं। महोत्सम में हिस्सा लेने के लिए देशभर के विभिन्न राज्यों से राष्ट्रीय और राज्य पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिल्पकार यहां की शोभा बढ़ाते हैं।
शिल्पकार मायूस, ताजनगरी के लोगों में भी निराशा

ताज महोत्सव को रद्द करने के प्रशासन के फैसले से यहां आने वाले शिल्पियों के साथ आम लोग भी निराश हैं। वहीं, मुक्ताकाशीय मंच पर प्रस्तुति देने वाले कलाकार भी बेहद निराश हैं। उनका कहना है कि जिस प्रकार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अन्य कार्यक्रम, मॉल और बाजार आदि खोले जा रहे हैं, उसी तरह ताज महोत्सव का आयोजन भी किया जा सकता था। कमला नगर के रहने वाले संजीव बंसल का कहना है कि यहां कलाकारों को कला और शिल्पकारों को शिल्प दिखाने का अच्छा मौका मिलता था। यह महोत्सव उम्दा वस्तुएं बेचने और खरीदने वालों का एक बड़ा बाजार है। ताज महोत्सव नहीं होने से अब सभी लोग बेहद निराश हैं।

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