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 Ahmedabad: पिंडली की हड्डी के कैंसर का नई तकनीक से उपचार

मरीज के ही हैमस्ट्रिंग टेंडन से हड्डी व घुटने से जोड़ने की तकनीक

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सांकेतिक फोटो।

घुटने के नीचे पिंडली की हड्डी (टिबिया) में होने वाले कैंसर के ऑपरेशन के बाद पैर के मूवमेंट को बनाए रखने के लिए अहमदाबाद के सिविल मेडिसिटी स्थित गुजरात कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट( जीसीआरआई) में नई तकनीक विकसित की गई है। इसमें मरीज के ही हैमस्ट्रिंग टेंडन का उपयोग किया जाता है। जीसीआरआई की विकसित तकनीक-सालुंके तकनीक- को ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अभिजीत सालुंके का नाम दिया गया है। भारत में इस तरह के ऑपरेशन केवल जीसीआरआई में होते हैं। इसे ब्रिटिश मेडिकल जर्नल बोन एंड ज्वाइंट ओपन जर्नल (बीजेओ) में भी प्रकाशित किया गया है।

अस्पताल के ऑर्थोपेडिक ओंको सर्जन डॉ. सालुंके के अनुसार घुटने के नीचे की कैंसर ग्रस्त हड्डी को निकालने के बाद उसकी जगह कृत्रिम हड्डी लगाई जाती है। इस हड्डी को घुटने से जोड़ने के लिए जीसीआरआई ने मरीज के ही हैमस्ट्रिंग टेंडन का उपयोग किया है। इस तरह का उपयोग चार महिलाओं समेत 15 मरीजों के उपचार में किया गया है। यह तकनीक अहम साबित हो रही है। इस तकनीक से शून्य से लेकर 90 डिग्री तक पैर मुड़ सकता है।उनके मुताबिक दुनिया में हड्डी के कैंसर होने की दर प्रति 10 लाख लोगों में से चार लोगों की है। जीसीआरआई में भी प्रतिवर्ष हड्डी में कैंसर के 700 से 800 ऑपरेशन किए जाते हैं।

क्या है हैमस्ट्रिंग टेंडन

हैमस्ट्रिंग टेंडन जांघ के पीछे ऊत्तक की पट्टियां होती हैं जो मांसपेशियों को घुटने और निचले पैर की हड्डियों से जोड़ने का काम करती हैं। इससे मुडने की क्रिया ठीक ढंग से होती है।

मरीजों को लाभ, कोई अतिरिक्त खर्च नहीं

पुरानी तकनीक से ऑपरेशन में पैर के मुड़ने की समस्या रहती है, लेकिन इस तकनीक में पूरी तरह से मूवमेंट होता है। इसका लाभ मरीजों को होने लगा है। मरीज का कोई अतिरिक्त खर्च भी नहीं होता।

डॉ. शशांक पंड्या, निदेशक, जीसीआरआई

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