
गुजरात विधानसभा चुनाव: भाजपा ने दिया 'भरोसे की भाजप सरकार' का नारा
नगेन्द्र सिंह
Ahmedabad. गुजरात में विधानसभा चुनाव का ऐलान कुछ ही दिनों में होने वाला है। ऐसे में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी, विपक्षी कांग्रेस और पहली बार चुनावी मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी पूरी तरह चुनावी मोड में हैं। हर बार चुनावों में राजनीतिक दल अपने किसी विशेष नारे (स्लोगन) के साथ जनता के बीच जाते हैं। इस बार 2022 के राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा ‘भरोसा नी भाजप सरकार’ (भरोसे की भाजपा सरकार) के नारे के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है। ‘डबल इंजन सरकार’ टैग लाइन भी चुनावी सभाओं में सुनने को मिलेगा। भाजपा बीते 27 सालों से राज्य की सत्ता पर काबिज है। इस बार पार्टी ने राज्य विधानसभा की सभी 182 सीटें जीतने का सबसे बड़ा लक्ष्य रखा है। इसे पाने की कोशिश में भाजपा मतदाताओं का आभार व्यक्त करने का रुख अपनाते हुए उनके बीच पहुंचने की रणनीति पर काम कर रही है। यही वजह है कि राज्य में 5 गुजरात गौरव यात्राएं निकाली जा रही हैं। इसमें पार्टी ने ‘भरोसा की भाजप सरकार’ का स्लोगन अपनाया है। राजनीति में भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अहमदाबाद जिले के झांझरका से गुजरात गौरव यात्रा को प्रस्थान कराते समय इस स्लोगन का प्रमुखता से उल्लेख किया। सोशल मीडिया पर भी यह दिख रहा है। भाजपा के एक नेता का कहना है कि स्लोगन काफी सोच समझकर दिया गया है।
कांग्रेस ने रखा है 125 सीटें जीतने का लक्ष्य
2017 के चुनावों में राज्य की सत्ता के काफी नजदीक आ चुकी कांग्रेस ने इस बार के चुनावों में ‘कांग्रेस नुं काम बोले छे’ (यानी कांग्रेस का काम बोलता है) का नारा दिया है। इसे लेकर पार्टी विधानसभा चुनावों में जनता के बीच जा रही है। पार्टी करीब तीन दशक से राज्य की सत्ता से बाहर है। इस बार कांग्रेस ने 125 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
बीते 4 चुनावों में इन नारों की रही गूंज
बीते दो दशकों ( 2002-2022) के दौरान हुए चार विधानसभा चुनावों (2002, 20007, 2012, 2017) में भाजपा और कांग्रेस की ओर से कई नारों (स्लोगन) की गूंज रही।
आतंकवाद विरुद्ध राष्ट्रवाद बनाम सुखी, शांत, समृद्ध गुजरात
गुजरात में 2002 के विधानसभा चुनाव सांप्रदायिक दंगों के बाद हुए थे। ऐसे में भाजपा ने ‘आतंकवाद विरुद्ध राष्ट्रवाद ’ का स्लोगन दिया था, जबकि कांग्रेस ने ‘सुखी, शांत, समृद्ध गुजरात’ का नारा देकर जनता से वोट मांगे थे। गुजरात की अस्मिता की बात कहकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीत दर्ज की और भाजपा को 127 सीटें मिलीं वहीं कांग्रेस के खाते में 51 सीटें आईं।
‘जीतेगा गुजरात’ बनाम ‘चक दे गुजरात’
2007 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ‘जीतेगा गुजरात’ का नारा दिया। वहीं कांग्रेस ‘चक दे गुजरात’ स्लोगन के साथ मैदान में उतरी थी। क्योंकि उसी समय शाहरुख खान स्टारर फिल्म ‘चक दे इंडिया’ काफी लोकप्रिय हुई थी। हालांकि इन चुनावों में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी के लिए ‘मौत का सौदागर’ की विवादित टिप्पणी किए जाने के चलते चुनाव का रुख बदल गया और फिर यह नारा ही छाया रहा। इस दौरान फर्जी मुठभेड़ के मामले भी चर्चा में थे। इस चुनाव में बीजेपी को 117 सीटें मिलीं जबकि कांग्रेस को 59 सीटों से ही संतोष करना पड़ा।
एकमत गुजरात, बने भाजप सरकार बनाम दिशा बदलो, दशा बदलो
2012 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने ‘एकमत गुजरात, बने भाजप सरकार’ का नारा दिया, जबकि कांग्रेस ने ‘दिशा बदलो, दशा बदलो’ का नारा अपनाया था। उस चुनाव में भाजपा को 115 सीटें मिलीं वहीं कांग्रेस को 61 सीटें प्राप्त हुईं।
‘गरजे गुजरात’ बनाम ‘नवसर्जन आवे छे, कांग्रेस लावे छे’
2017 के विधानसभा चुनाव पहले ऐसे विधानसभा चुनाव थे, जब राज्य में भाजपा के करिश्माई नेता व मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी नहीं थे। वे प्रधानमंत्री बनकर केन्द्र में पहुंच गए थे। भाजपा ने तब ‘गरजे गुजरात’ का नारा दिया था। वहीं कांग्रेस ने ‘नवसर्जन आवे छे, कांग्रेस लावे छे’ का नारा जारी किया था।
‘विकांस गाडो थई गयो’ बनाम ‘मैं ही गुजरात, मैं ही विकास’
इस बीच कांग्रेस ने सोशल मीडिया में चर्चित स्लोगन ‘विकास गांडो थई गयो’ (विकास पगला गया है) को अपनाया तो भाजपा उसके जवाब में ‘मैं ही गुजरात हूं, मैं ही विकास हूं’ स्लोगन लेकर जनता के बीच गई थी। हालांकि यह साल पाटीदार आरक्षण आंदोलन, दलित आंदोलन की लहर के असर वाला भी था। ऐसे में चुनाव में भाजपा को पिछले कई वर्षों में पहली बार 99 सीटें आईं और पार्टी दहाई के अंकों में भीतर आ गई वहीं कांग्रेस को पिछले 32 वर्षों में सर्वाधिक 77 सीटें मिली थीं।
Published on:
15 Oct 2022 09:43 pm
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