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Dholera : इस ‘पार्क’ में मिलेगा 20 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार

Gujarat news, Solar Park in Dholera, 20 thousand gets jobs -Ahmedabad news, more than 25 thousand crore invesment 25 हजार करोड़ का निवेश

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Dholera : इस 'पार्क' में मिलेगा 20 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार

Dholera : इस 'पार्क' में मिलेगा 20 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार

अहमदाबाद. दुनिया के इस सबसे बड़े सोलर पार्क में एक तरफ जहां 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। जी हां, बात अहमदाबाद से करीब 80 किलोमीटर धोलेरा स्मार्ट व फ्यूचरिस्टक सिटी की हो रही है जिसमें 25 हजार करोड़ का निवेश किया जाएगा।

इस सोलर पार्क को लेकर 25 हजार करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया जाएगा वहीं इससे 20 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।
राज्य में वर्ष भर में करीब 300 दिन रोजाना 9-10 घंटे सूर्य का प्रकाश मिलता है। साथ ही उच्च सौर विकिरण (हाई सोलर रेडिएशन) के कारण गुजरात सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयुक्त स्थल है।
धोलेरा सिटी की ओर से आरंभिक मूल्यांकन अध्ययन के तहत यह पता चला है कि यहां पर सौर ऊर्जा के उत्पादन की खूब संभावनाएं हैं। सोलर पार्क स्थापित होने के कारण इस सिटी में सोलर पैनल निर्माता, भारी इंजीनियरिंग कंपनियां और अन्य औद्योगिक इकाइयां भी धोलेरा में स्थापित हो सकेंगी।

https://www.patrika.com/ahmedabad-news/world-biggest-solar-park-to-come-up-at-dholera-near-ahmedabad-5081416/


गुजरात की बिजली उत्पादन क्षमता करीब 28 हजार मेगावाट

गुजरात में फिलहाल सभी तरह के स्त्रोतों से बिजली उत्पादन क्षमता 27944 मेगावाट है। इसमें परंपरागत और गैरपरंपरागत दोनों ऊर्जा शामिल हैं। गैर परंपरागत की बिजली उत्पादन क्षमता जहां 8690 मेगावाट है वहीं परंपरागत ऊर्जा बिजली उत्पादन क्षमता 19334 मेगावाट है। इसमें फिलहाल सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता 2440 मेगावाट है। वहीं सिर्फ धोलेरा में 5 हजार मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क स्थापित होगा जिससे यह उत्पादन करीब 33000 मेगावाट बिजली का हो सकेगा।

बनेगा धोलेरा की सुरक्षा की दीवार

धोलेरा के सोलर पार्क की खासियत यह है कि यह सोलर पार्क समुद्र से करीब 15 किलोमीटर दूर पर निर्मित किया जा रहा है। यहां की जमीन करीब 5 मीटर ऊंची है। इसलिए यहां पर समुद्री ज्वार-भाटा तो तट से नहीं टकराएंगे वहीं चक्रवात या समुद्र से जुड़ी प्राकृतिक आपदा पर यह सोलर पार्क धोलेरा सहित अन्य शहरों का बचाव भी कर सकेगा। समुद्र तटों के पास बसे प्राचीन शहर लोथल, धोलेरा, धोलावीरा, खंभात आदि इसलिए उजड़ गए क्योंकि तब इस तरह का कोई पार्क या तकनीक बतौर सुरक्षा दीवार नहीं हुआ करती थी।