
अहमदाबाद. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ओर से भारतीय भाषाओं के संरक्षण व संवद्र्धन की आवश्यकता जताई है। नागपुर में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया गया है।
क्षेत्रीय संघचालक डॉ. जयंतीभाई भाडेसिया ने संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। प्रस्ताव में कहा गया है कि भाषा किसी भी व्यक्ति एवं समाज की पहचान का एक महत्वपूर्ण घटक तथा उसकी संस्कृति की सजीव संवाहिका होती है। देश में प्रचलित विविध भाषाएं व बोलियां हमारी संस्कृति, उदात्त परम्पराओं, उत्कृष्ट ज्ञान एवं विपुल साहित्य को अक्षुण्ण बनाए रखने के साथ ही वैचारिक नवसृजन के लिए परम आवश्यक हैं। विविध भाषाओं में उपलब्ध लिखित साहित्य की अपेक्षा कई गुना अधिक ज्ञान गीतों, लोकोक्तियों तथा लोक कथाओं आदि की मौखिक परम्परा के रूप में होता है।
वर्तमान में विविध भारतीय भाषाओं व बोलियों के चलन तथा उपयोग में आ रही कमी, उनके शब्दों का विलोपन व विदेशी भाषाओं के शब्दों से प्रतिस्थापन एक गम्भीर चुनौती बन कर उभर रहा है। वर्तमान में अनेक भाषाएं एवं बोलियां विलुप्त हो चुकी हैं और कई अन्य का अस्तित्व संकट में है। इसलिए देश की विविध भाषाओं तथा बोलियों के संरक्षण और संवद्र्धन के लिए सरकारों, अन्य नीति निर्धारकों और स्वैच्छिक संगठनों सहित समस्त समाज को सभी सम्भव प्रयास करने चाहिए।
प्रस्ताव में कहा गया है कि देशभर में प्राथमिक शिक्षण मातृभाषा या अन्य किसी भारतीय भाषा में ही होना चाहिए, इसके लिए अभिभावक अपना मानस बनाएं तथा सरकारें इस दिशा में उचित नीतियों का निर्माण कर आवश्यक प्रावधान करें। तकनीकी और आयुर्विज्ञान सहित उच्च शिक्षा के स्तर पर सभी संकायों में शिक्षण, पाठ्य सामग्री तथा परीक्षा का विकल्प भारतीय भाषाओं में भी सुलभ कराया जाना आवश्यक है। राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट) एवं संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित परीक्षाएं भारतीय भाषाओं में भी लेनी प्रारम्भ की गई हैं, यह यह पहल स्वागत योग्य है। इसके साथ ही अन्य प्रवेश एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में भी भारतीय भाषाओं का विकल्प सुलभ कराया जाना चाहिए। सभी शासकीय तथा न्यायिक कार्यों में भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसके साथ ही शासकीय व निजी क्षेत्रों में नियुक्तियों, पदोन्नतियों तथा सभी प्रकार के कामकाज में अंग्रेजी भाषा की प्राथमिकता केन्द्र व राज्य सरकारों को सभी भारतीय भाषाओं, बोलियों तथा लिपियों के संरक्षण और संवद्र्धन के लिए प्रभावी प्रयास करने चाहिए। सरकारों, स्वैच्छिक संगठनों, जनसंचार माध्यमों, पंथ-सम्प्रदायों के संगठनों, शिक्षण संस्थाओं तथा प्रबुद्धवर्ग सहित संपूर्ण समाज से आरएसएस ने अपील की है कि हमारे दैनन्दिन जीवन मेें भारतीय भाषाओं के उपयोग एवं उनके व्याकरण, शब्द चयन और लिपि में परिशुद्धता सुनिश्चित करते हुए उनके संवद्र्धन का हर सम्भव प्रयास करें।
Published on:
14 Mar 2018 11:35 pm
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