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ओखा-बेट द्वारका सिग्नेचर ब्रिज 25 फरवरी को होगा शुरू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है ड्रीम प्रोजेक्ट ओखा से बेट द्वारका के बीच रोड मार्ग से आवागमन होगा संभव विकास को लगेंगे पंख, गत वर्ष 65 लाख लोगों का आवागमन

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ओखा-बेट द्वारका सिग्नेचर ब्रिज 25 फरवरी को होगा शुरू

ओखा को बेट द्वारका से जोड़ने वाला सिग्नेचर ब्रिज।

भावना सोनी

जामनगर. देवभूमि द्वारका जिले में स्थित ओखा को बेट द्वारका से जोड़ने वाला सिग्नेचर ब्रिज 25 फरवरी से शुरू होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसका लोकार्पण करेंगे। उन्होंने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट की नींव अक्टूबर 2017 में रखी थी। 6 साल बाद यह साकार होने वाला है। इससे ओखा और बेट द्वारका के बीच सड़क के जरिए आवागमन संभव होगा। अभी तक नावों के जरिए ही ओखा से बेट द्वारका पर जाना पड़ता है। सवा दो किलोमीटर लंबे इस ब्रिज के शुरू होने से सालाना करीब 65 लाख से ज्यादा लोगों, विशेषकर पर्यटकों को फायदा होगा। गत वर्ष 2023 में ओखा-बेट द्वारका के बीच करीब 65 लाख लोगों का आवागमन हुआ था। 962 करोड़ की लागत से इस ब्रिज का निर्माण हुआ है।

जिला कलक्टर जी टी पंड्या ने बताया की 24 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी द्वारका में रात्रि विश्राम करेंगे और 25 फरवरी को भगवान कृष्ण की कर्म भूमि पर एक पर्यटक सुविधा और बेट-द्वारका को ओखा से जोड़ने वाले सिग्नेचर ब्रिज का लोकार्पण करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी 25 फरवरी को द्वारका स्थित जगत मंदिर में भगवान द्वारकाधीश के दर्शन करेंगे। एनडीएच हाई स्कूल मैदान पर सभा को संबोधित करेंगे।

965 करोड़ में बने सिग्नेचर ब्रिज की खासियत

- सिग्नेचर ब्रिज की लंबाई 2320 मीटर है, जिसमें से 900 मीटर केबल स्टेंड हिस्सा है।

- ओखा-बेट द्वारका के दोनों ओर 2452 मीटर लंबी एप्रोच रोड बनाई है।

- ब्रिज के मुख्य स्पैन की लंबाई 500 मीटर है, जो भारत में सबसे लंबा स्पैन है।

- ब्रिज के मुख्य हिस्से में 130 मीटर की ऊंचाई वाले दो पाइलॉन हैं।

- चार लेन ब्रिज की चौड़ाई 27.20 मीटर है, जिसमें दोनों तरफ 2.50 मीटर के फुटपाथ बनाए हैं।

- ब्रिज पर कुल 12 स्थानों पर पर्यटकों के लिए व्यूइंग गैलरी की व्यवस्था है। रात के समय ब्रिज पर रोशनी की व्यवस्था है।

- ब्रिज के फुटपाथ पर सोलर पैनल लगाए हैं, जिसससे 1 मेगावाट बिजली उत्पन्न होगी।

- सोलर पैनल से उत्पन्न बिजली का उपयोग ब्रिज पर रोशनी के लिए किया जाएगा।

- जो बिजली बचेगी, उसका इस्तेमाल ओखा गांव की आवश्यकता के लिए किया जाएगा

बेट द्वारका में नया युग होगा शुरू

बेट द्वारका द्वीप पर जाने के लिए अभी तक एक मात्र जरिया समुद्री मार्ग है, इसलिए द्वीप पर पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में भी काफी दिक्कतें आ रही थीं। सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण और केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की घोषणा के बाद पर्यटन उद्योग दिन व दिन बढ़ रहा है। ब्रिज बनने से रोड से जाना संभव होगा, जिससे बेट द्वारका में विकास को गति मिलेगी।

आर्किट्रेक्चरल अजूबे वाला राज्य का पहला केबल ब्रिज

आम तौर पर, केबल ब्रिजों की नींव के खंभे यानि पाइलोन बिल्कुल सीधे होते हैं। इस ब्रिज पर पाइलोन ज़िगज़ैग कलेवर वाले हैं। इसके साथ ही ब्रिज के बीच में 12 अलग-अलग व्यूइंग गैलरी है। पर्यटक इन स्थान पर खड़े होकर ओखा-बेट द्वारका के बीच घुमावदार समुद्री खाड़ी के अदभुत दृश्य का आनंद ले सकेंगे। इस ब्रिज के डिजाइन को आर्किटेक्चरल अजूबे जैसा बनाने की कोशिश की गई है। इस कारण ही ब्रिज को सिग्नेचर ब्रिज नाम दिया है।

बेट द्वारका के सिग्नेचर ब्रिज जैसा ब्रिज भारत में कहीं नहीं

द्वारका से बेट द्वारका की दूरी लगभग 34 किमी है। इसमें लगभग 32 किमी दूरी जमीन पर है। लगभग सवा दो किमी दूरी समुद्र में है। ओखा से बेट द्वारका तक रोरो-फेरी बोट से पहुंचा जा सकता है। इस ब्रिज के बनने से लोगों का रो-रो फेरी बोट सेवा से आवाजाही में लगने वाले समय में भी कमी होगी। समुद्र में ऊंची लहरे उठने पर रो रो फेरी बोट सेवा बंद होने पर आवाजाही ठप होने की समस्या नहीं होगी। लोग कभी भी आवाजी कर सकेंगे। इस ब्रिज को अनोखा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि देश में पहली बार इस ब्रिज के करीब 900 मीटर हिस्से को मजबूती और सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानकों वाले केबल के जरिए दो पाइलॉन (बड़े खंभों) पर लटकाया गया है, जिसे सिग्नेचर ब्रिज का नाम दिया गया है। ऐसे ब्रिज देश में कहीं नहीं है।

आंखों के सामने देखेंगे समुद्र में डूबते सूरज का नजारा

समुद्र पर में तैयार इस ब्रिज पर खड़े होकर भक्त अपनी आंखों के सामने डूबते सूरज को देख सकेंगे। इतना ही नहीं, इस ब्रिज के बनने से लोग कार से बैट द्वारका तक जल्दी पहुंच सकेंगे। यह बाद खुद पीएम ने इस ब्रिज के शिलान्यास पर कही थी।