
PM Modi: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा , खेती को कैमिस्ट्री की लैब से प्रकृति की प्रयोगशाला से जोडऩा होगा
आणंद/अहमदाबाद. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमें अपनी खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोडऩा ही होगा। प्रकृति की प्रयोगशाला की बात पूरी तरह से विज्ञान आधारित है। आज दुनिया जितना आधुनिक हो रही है, उतनी ही जड़ों से जुडऩे की ओर बढ़ रही है। इस बात को किसान से बेहतर कौन समझता है? हम जितना जड़ों को सींचते हैं, उतना ही पौधे का विकास होता है।
आणंद कृषि विश्वविद्यालय में गुरुवार को एग्रो व फूड प्रोसेसिंग समिट के तीसरे व अंतिम दिन प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कृषि से जुड़े हमारे प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की जरूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी ज़रूरत है। इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे। प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में ढालना होगा।
फसल के अवशेषों को जलाने की परंपरा पड़ गई
मोदी ने कहा कि जानकार ये बताते हैं कि खेत में आग लगाने से धरती अपनी उपजाऊ क्षमता खोती जाती है। लेकिन फसल के अवशेषों को जलाने की हमारे यहां परंपरा सी पड़ गई है। एक भ्रम ये भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी, जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है। पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी।
इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, वर्चुअल रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व कई किसान उपस्थित थे।
8 करोड़ किसान जुड़े
प्रधानमंत्री के मुताबिक उन्होंने किसानों को इस सम्मेलन से जडऩे का आग्रह किया था। मोदी ने कहा कि कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के मुताबिक करीब करीब 8 करोड़ किसान टेक्नोलोजी के माध्यम से देश के हर कोने से जुड़े।
राज्यपाल की सराहना की
प्रधानमंत्री ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक कृषि को लेकर सराहना की। मोदी ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल का पूरा संबोधन सुना। उन्होंने कहा कि देश के किसान प्राकृतिक खेती के फायदे को कभी भी कम नहीं आंकेगे और कभी नहीं भूलेंगे।
Published on:
16 Dec 2021 08:02 pm
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