जानकारी के अनुसार, अमरेली जिले की लाठी तहसील के पाडरशिंगा गांव के रहने वाले पोलरा ने 2006 में खरीदी गई अपनी लकी कार को अपने ही खेत में समाधि दी। इसके लिए उन्होंने पहले अपने घर पर कुलदेवी की पूजा की। इसके बाद कार को फूल मालाओं से सजाया और फिर गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा निकाली गई। इसके बाद कार को उनके खेत तक ले जाया गया। यहां अपने खेत में एक बड़ा सा गड्ढा खुदवाया और पंडित की उपस्थिति में शास्त्र विधि के साथ कार को समाधि दी गई। इस अवसर पर किसान ने अपने रिश्तेदारो, दोस्तों व गांव वालों को भी मौके पर बुलाया। साथ ही कार्यक्रम को उत्सव में बदल दिया। इस अवसर पर लोगों को पूड़ी, रोटी, लड्डू, सब्जी की दावत दी गई।
कार से बदली तकदीर
पोलरा का मानना है कि जब से उन्होंने यह कार खरीदी तब से उनकी किस्मत ही बदल गई। उनके खेत में उत्पादन में काफी तरक्की हुई। उनकी आर्थिक स्थिति समृद्धि हुई और समाज में उनकी प्रतिष्ठा भी बढ़ी। इसलिए वे इसे बेचना नहीं चाहते थे। कार को बेचने या म्यूजियम में रखने की बजाय हमेशा कार की याद रहे इसलिए उन्होंने अपनी प्रिय कार को खेत में समाधि दे दी।
कार की याद ताजा रखने यह आया विचार
पोलरा ने बताया कि जब से उन्होंने यह कार खरीदी तब से उनकी काफी तरक्की हुई। इसके बाद उन्होंने सूरत जाकर बिल्डर का काम शुरू किया। बिल्डिंग बनाने का काम बहुत बढ़िया तरीके से चलने लगा। आज इतने बरस के बाद उनके पास महंगी कार है और आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी है।
2000 लोगों को भेजा आमंत्रण कार्ड
कुछ ही दिनों पहले उन्हें अपनी लकी कार को अपने ही खेत में समाधि का विचार आया। कार की याद को ताजा रखने के लिए यह उपाय किया। इसका विचार आने के बाद उन्होंने अपने रिश्तेदारों व गांव के साथ-साथ करीब 2000 लोगों को 4 पेज का आमंत्रण कार्ड भी भेजा। —