
पालनपुर. जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने सोमवार सुबह वाव की जुम्मा मस्जिद में पहुंचे। उन्होंने दूसरों के प्रति सद्भाव रखने को प्रेरित किया।
सांप्रदायिक सौहार्द का यह क्षण वहां उपस्थित हर व्यक्ति के लिए चिरस्मरणीय बन गया। मुस्लिम प्रतिनिधियों ने शांतिदूत का अभिनंदन करते हुए कृतज्ञता व्यक्त की। इस अवसर पर आचार्य ने कहा कि जीवन में बुद्धि, शुद्धि व शक्ति इन तीनों का बड़ा महत्व होता है। व्यक्ति को इन तीनों का सदुपयोग करना चाहिए।
बुद्धिमान व्यक्ति समस्याओं का समाधान भी खोज कर सकता है। जैन दर्शन में आठ कर्म बताए गए हैं। ज्ञानावर्णीय, दर्शनावर्णीय आदि। ज्ञानावर्णीय कर्म के क्षयोपशम से ही बुद्धि की प्राप्ति होती है। बुद्धि का मिलना भी एक विशेष बात है, किन्तु उसका सदुपयोग करना चाहिए। बुद्धि का कभी दुरुपयोग न हो यह आवश्यक है।
एक कथा के माध्यम से प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा कि अपनी बुद्धि का प्रयोग कर व्यक्ति दूसरों को भी अच्छी सीख दे सकता है, सही दिशा दिखा सकता है। जो बुद्धि, मति का सम्यक प्रयोग करता है उसके लिए वह कल्याणकारी हो सकती है। हम अपने मन को शुद्ध रखें व सबके प्रति शुद्धि की भावना रहे। बुद्धिमता के साथ आत्म-विश्वास व हिम्मत भी रहे। व्यक्ति अपने ज्ञान का सही उपयोग करे यह आवश्यक है।
मुख्यमुनि महावीर कुमार ने मन, वचन एवं काया को सत्प्रवृति में नियोजित करने पर जोर दिया। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा ने गुरु की महत्ता बताई। कार्यक्रम में वाव पथक व्यवस्था समिति संयोजक विनीत संघवी, उधमचंद संघवी आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
Published on:
21 Apr 2025 09:41 pm
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