सबसे ज्यादा महिलाएं और दूसरे नम्बर पर पुरुष हुए लापता
मनीष कुमार सिंह
अजमेर.
दाम्पत्य जीवन में बढ़ते तनाव, अलगाव व अवसाद से महिलाओं की गुमशुदगी के मामले तेजी से बढ रहे हैं। कोरोना संक्रमण काल से मुक्ति के बाद बालक-बालिका और पुरूष के अलावा अजमेर जिले में सवा ग्यारह सौ महिलाएं लापता हो गई। हालांकि बीते 8 साल में लापता हुए 9400 लोगों में साढ़े 8 को पुलिस और परिजन ने ढूंढ निकाला लेकिन 946 का अब तक सुराग नहीं लग सका है।
मानव तस्करी विरोधी इकाई की ओर से संकलित किए आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते 8 साल में अजमेर जिले में 9400 बालक, बालिका, पुरुष और महिलाएं लापता हो गए या किसी कारणवश घर छोड़कर निकल गए। गुमशुदगी के बाद सक्रिय हुई पुलिस ने 8458 को ढूंढकर परिजन के सामने ला दिया, लेकिन अब भी 946 का सुराग नहीं लग सका। इसमें सर्वाधिक 564 महिलाएं, 303 पुरुष, 64 लड़कियां व 15 लड़के शामिल हैं।
लॉकडाउन के बाद बढ़े मामले
आंकड़ों पर नजर डालें तो घर छोड़ने या लापता होने वालों की संख्या में 2016 से लगातार इजाफा हो रहा है लेकिन साल 2022 में आंकड़े में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई। लॉकडाउन खुलने के बाद 1118 युवती व महिलाएं लापता हो गईं, हालांकि इसमें 946 मिल गई जबकि 172 का अब तक सुराग नहीं लग सका।
एक्सपर्ट व्यू
युवाओं के लापता होने में पारिवारिक संघर्ष, स्वतंत्र होने की इच्छा, अपराध बोध, परिजन से टकराव, उपेक्षा व मानव तस्करी शामिल है। पुरुष के लापता होने में कर्ज, अकेलापन, निराशा और अवसाद या डिमेंशिया से पीड़ित होना हो सकता, जहां तक महिलाओं का सवाल है तो समाज के बाहर के किसी व्यक्ति से प्रेम संबंध, घर पर सख्त प्रतिबंध, रिश्ते में समस्या, संबंध टूटने, घरेलू व पारिवारिक हिंसा, दुर्व्यवहार या उत्पीड़न जैसे कारण अक्सर देखने में सामने आते हैं। किसी के भी घर छोड़ने या लापता होने का मुख्य कारण निराशा या मानसिक अवसाद अहम है।
- डॉ. भारती प्रकाश, प्रोफेसर एसपीसी-जीसीए