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Rajasthan: राजस्थान में मिला करोड़ों का ‘खजाना’, सोने-चांदी के सिक्के, प्राचीन हथियार-मूर्तियां मिलीं, पुलिस के उड़े होश

वन्यजीवों के अवशेष और एंटीक वस्तुओं की तस्करी के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई सामने आई है। जिला स्पेशल टीम की दबिश में हाथीदांत, प्राचीन मूर्तियां, पेंटिंग और हथियार सहित करोड़ों रुपए की दुर्लभ सामग्री बरामद की गई है।

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कार्रवाई में मिली प्राचीन वस्तुएं जप्त कर ले जाती पुलिस। फोटो-पत्रिका

अजमेर। शहर में वन्यजीवों के अवशेष और एंटीक वस्तुओं की तस्करी के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई सामने आई है। जिला स्पेशल टीम (डीएसटी) ने हाथीभाटा क्षेत्र में एक मकान पर दबिश देकर हाथीदांत, राजा-महाराजाओं की पौराणिक पेंटिंग, सोने-चांदी के सिक्के, प्राचीन मूर्तियां, तलवारें सहित बड़ी संख्या में दुर्लभ वस्तुएं बरामद की हैं।

आरोपी सोशल मीडिया के जरिए एंटीक उत्पाद और वन्यजीवों के अवशेष ऑनलाइन बेचने का काम करता था। पुलिस और पुरातत्व विभाग की संयुक्त टीम बरामद वस्तुओं की जांच में जुटी है। जानकारी के अनुसार गुरुवार को आईपीएस अजेयसिंह राठौड़ के नेतृत्व में डीएसटी ने हाथीभाटा निवासी गिरीराज सोनी के मकान पर दबिश दी।

प्रतिबंधित सामग्री मिली

तलाशी के दौरान ऐतिहासिक और प्रतिबंधित सामग्री मिली, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों रुपए आंकी जा रही है। बरामद वस्तुओं में हाथीदांत के टुकड़े, शिल्पकारी वाली मूर्तियां, प्राचीन हथियार, राजसी काल के सिक्के और वन्यजीवों के अवशेष शामिल हैं, जो प्रथम दृष्टया पुरातात्विक महत्व के हैं और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत प्रतिबंधित हैं।

यहां क्या-क्या मिला

पुलिस कार्रवाई में प्राचीन पेंटिंग, भगवान बुद्ध की एक पांडुलिपि, दो ऐतिहासिक कटार, एक जैन मूर्ति, इंदौर शासक काल की 25 मुद्राएं और एक शील्ड बरामद की गई। इसके अलावा बारहसिंघा के दो सींग, हाथीदांत और वन्यजीवों के दो नाखून भी मिले। पुलिस ने चार धारदार हथियार जब्त किए, जिनमें एक ब्रिटिशकालीन तलवार और तीन अन्य पुरातात्विक हथियार शामिल हैं।

जांच के बाद दर्ज हुआ मुकदमा

पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग अजमेर सर्कल के अधीक्षक नीरज त्रिपाठी और राजकीय संग्रहालय के क्यूरेटर अक्षत जैन ने बरामद वस्तुओं की ऐतिहासिकता और वैधानिक स्थिति की जांच कर पुलिस को रिपोर्ट सौंपी। वन विभाग ने वन्यजीवों के अवशेषों की पुष्टि की।

वहीं, कानूनी दायरे में आने वाले चार हथियारों के दस्तावेजों की जांच की गई। संयुक्त जांच रिपोर्ट के बाद सदर कोतवाली थाना पुलिस ने आर्म्स एक्ट और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर आरोपी गिरीराज सोनी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बिक्री

पुलिस जांच में सामने आया है कि गिरीराज सोनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए वन्यजीवों के सींग, दांत, नाखून और पौराणिक वस्तुओं की बिक्री करता था। पुलिस यह भी पड़ताल कर रही है कि ये अवशेष और एंटीक वस्तुएं कहां से लाई गईं और क्या वे किसी संगठित अपराध से जुड़ी हैं।

पहले भी पकड़े जा चुके हैं तस्कर

अजमेर शहर में पहले भी वन्यजीवों के अवशेषों की बिक्री के मामले सामने आ चुके हैं। पूर्व में हाथीदांत तस्करी के खुलासों में तस्करों के अंतरराज्यीय नेटवर्क से जुड़े होने की पुष्टि हुई थी। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि गिरीराज सोनी के तार भी किसी संगठित गिरोह से जुड़े हो सकते हैं।

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इनका कहना है

सोशल मीडिया पर एंटीक वस्तुएं और वन्यजीवों के अवशेष बेचने की सूचना मिली थी। सूचना के आधार पर सर्च वारंट लेकर हाथीभाटा निवासी गिरीराज सोनी के मकान की तलाशी ली गई। वहां बड़ी संख्या में प्रतिबंधित सामग्री मिली, जिसकी जांच के बाद प्रकरण दर्ज किया गया है। मामले में अनुसंधान जारी है।

  • डॉ. अजेय सिंह राठौड़, सहायक पुलिस अधीक्षक (आईपीएस), किशनगढ़ शहर