scriptसंस्थागत प्रसव को कैसे मिले बढ़ावा! प्रसूताओं की सहायता का अटका ‘कलेवाÓ | Assistance is outstanding for hospital delivery women | Patrika News

संस्थागत प्रसव को कैसे मिले बढ़ावा! प्रसूताओं की सहायता का अटका ‘कलेवाÓ

locationअजमेरPublished: Sep 26, 2020 11:09:48 pm

Submitted by:

suresh bharti

चूरू जिले में करीब 1300 से अधिक प्रसूताओं की सहायता राशि नहीं मिल रही,पांच माह बाद भी नहीं हो रही सुनवाई, जिला कलक्टर ने वीसी में सीएमएचओ के समक्ष जताई नाराजगी

संस्थागत प्रसव को कैसे मिले बढ़ावा! प्रसूताओं की सहायता का अटका 'कलेवाÓ

(फाइल फोटो)

अजमेर/चूरू. सत्तारूढ़ सरकार तो केवल योजनाएं बनाकर दे सकती है। उसे लागू करना तो नौकरशाह का काम है। जनहित से जुड़ी किसी योजना का सफल क्रियान्वयन तभी हो सकता है,जब सम्बन्धित महकमा गंभीर हों। संस्थागत प्रसव को लेकर राज्य सरकार ने सहायता राशि का प्रावधान किया है,ताकि सुरक्षित प्रसव हो सके। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहे। यही वजह है कि आजकल गांवों में देसी तरीके से प्रसव नगण्य होने लगे हैं। दूसरी ओर चूरू जिले का स्वास्थ्य महकम संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देता नहीं दिख रहा। तभी तो बीते पांच माह से प्रसूताओं की सहायता राशि अटकी हुई है।
कोरोना का सीधा असर

कोरोना काल का बहाना बनाकर अधिकारी व कर्मचारी इसे महत्व नहीं दे रहे। यह सही है कि मार्च माह के बाद से कोरोना महामारी से सरकारी,निजी और अन्य सभी कार्य बाधित हैं। उच्चाधिकारियों के बार-बार निर्देश के बावजूद ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
इसी का परिणाम है कि चूरू जिले की 1,321 प्रसूताओं को अब तक जेएसवाई की राशि का भुगतान नहीं हो पाया है। परिजन भुगतान के लिए रोज कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। कर्मचारियों की ओर से नित नए बहाने बनाने की शिकायतें मिल रही है। इसके चलते लोगों को निराश होना पड़ रहा है।
जेएसवाई योजना के पीछे सरकारी मंशा ठीक

शहर व गांवों में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से जेएसवाई योजना शुरू की थी, ताकि अधिक से अधिक महिलाएं सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराएं। इस योजना के पीछे सरकारी मंशा तो ठीक है,लेकिन क्रियान्वयन का तरीका ढीला है। विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में जागरुकता के अभाव में महिलाएं घर पर ही प्रसव करा लेती हैं। ऐसे में जच्चा व बच्चा की जान को खतरा हो जाता है। साथ ही प्रसूताओं की डिलेवरी भी बिगड़ जाती है।
प्रोत्साहन राशि सीधे ऑनलाइन होती जमा

सूत्रों की मानें तो सर्वाधिक राशि इस वर्ष अप्रेल से अगस्त माह तक डीबीएच अस्पताल में प्रसव कराने वाली महिलाओं की अटकी हुई है। दूसरा नम्बर सीएचसी राजगढ़ व तीसरा सीएचसी सरदारशहर का है। दूसरी तरफ बीदासर, सांडवा ऐसी सीएचसी है, जहां पर सर्वाधिक कम केवल एक-एक पेंडेंसी है। जननी सुरक्षा के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि सीधे ऑनलाइन जमा होती है।
वीसी में कलक्टर ने जताई नाराजगी

जिला ग्रामीण स्वास्थ्य समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में राशि का भुगतान नहीं होने पर जिला कलक्टर प्रदीप के गांवड़े ने सीएमएचओ मनमोहन गुप्ता के समक्ष नाराजगी जाहिर की। साथ ही पीएमओ डीबीएच डॉ. गोगाराम ने देरी का चलते पूछते हुए अधिकारियों को प्रसूताओं के खाते में शीघ्र राशि जमा कराने के निर्देश दिए गए थे।
बकाया की यह स्थिति

संस्थान का नाम…. बकाया भुगतान…
पीएमओ चूरू…. 702

पीएमओ रतनगढ़…. 39
पीएमओ सुजानगढ़…. 99

सीएचसी साहवा …. 17
सीएचसी तारानगर… 33

सीएचसी राजगढ़… 127
सीएचसी सांखू… 15

सीएचसी दूधवाखारा…. 2
सीएचसी घांघू… 2
सा.स्वा.केन्द्र रतननगर…. 18
सीएचसी पडि़हारा…. 37

सीएचसी राजलदेसर….. 49
सीएचसी बरजांगसर…. 19

सीएचसी जैतसीसर…. 41
सीएचसी सरदारशहर…. 114

सीएचसी बीदासर…. 1
सीएचसी कानूता…. 2

सीएचसी सालासर…. 3
सीएचसी सांडवा… 1

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो